अघहन माह का महत्व — हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष के अनुसार अघहन माह, जिसे “मार्गशीर्ष मास” भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग का नवम महीना है। यह सामान्यतः नवंबर से दिसंबर के बीच आता है। यह माह कार्तिक के पश्चात आता है और शीत ऋतु के आरंभ का सूचक है। इस समय प्रकृति की ऊर्जा बाहरी क्रियाओं से हटकर अंतरमुखी होने लगती है, जिससे साधना, भक्ति और आत्मचिंतन के लिए यह काल अत्यंत उपयुक्त माना गया है। 2025 में 6 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक रहेगा अघहन/मार्गशीर्ष का महिना | Aghan Mahina Kab Se kab Tak Rahega धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भगवद गीता के दसवें अध्याय, 'विभूतियोग' में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं — “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् — “मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूँ।” यह वचन इस माह की असाधारण पवित्रता और श्रेष्ठता को दर्शाता है। अघहन का समय भक्ति, तप, दान और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत शुभ होता है। प्रमुख धार्मिक क्रियाएँ: इस माह में विशेष रूप से गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की उपासना का बहुत महत्व होता है। परिवार में सुख-शांति हेतु सत्यनारायण व्रत और कथा इस महीने में करना...
Shukra Ka Dhani Rashi Mai Praves Hoga 29 Jan Ko, कैसे रहेगा शुक्र का धनु राशि में प्रवेश, जानिए वैदिक ज्योतिष से. शुक्र ग्रह को अंग्रेजी में वीनस कहते है, गोचर कुंडली में अभी तक शुक्र वृश्चिक राशि में चल रहा था परन्तु २९ जनवरी की रात्रि को ये धनु राशी में प्रवेश करेगा जिसके कारण जीवन में बहुत से बदलाव देखने को मिल सकते हैं, आइये देखते हैं की कैसे प्रभावित करेगा शुक्र का धनु राशी परिवर्तन. hindi jyotish me shukra ke rashi parivartan ka fal ज्योतिष के हिसाब से शुक्र ग्रह का सम्बन्ध व्यक्तिगत जीवन से ज्यादा है जैसे प्रेम, भौतिक सुख साधन, मनोरंजन आदि. अतः देखा जाए तो शुक्र का धनु राशि में आना बहुत ही सकारात्मक बदलाव लेके आ सकता है क्यूंकि धनु राशी का शुक्र मित्र का होता है जिससे लोगो में सुख प्राप्त करने की लालसा बढ़ेगी और उसके साधन भी प्राप्त होंगे. हालांकि शुक्र राशी परिवर्तन करके शनि और चन्द्रमा के साथ बैठेगा जिससे त्रिग्रही योग का निर्माण भी होगा. परन्तु देखा जाए तो शुक्र और शनि भी मित्र ही है जिससे की कोई नुक्सान नहीं करेगा. पढ़िए कमजोर शुक्र का जीवन पर प्रभाव...