केन्द्राधिपति योग/दोष क्या होता है, kendradhipati dosh kab khandit hota hai, क्या उपाय है केन्द्रधिपति दोष से बचने के, कब इस दोष का असर नहीं होता हैं ?| वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी जातक की कुंडली कुल 12 भाव होते हैं उसमे पहला, चौथा, सातवां और दसवां भाव केंद्र कहा जाता है | जब केन्द्रधिपति दोष की बात करना हो तो हमे इन्ही 4 भाव का अध्ययन गहराई से करना होता है | Kendradhipati Dosh : गुरु, शुक्र, बुध और चन्द्रमा नैसर्गिक शुभ ग्रह होते हैं और इन्ही का सम्बन्ध जब विशिष्ट अवस्था में केंद्र भावो से होता है तब केन्द्रधिपति दोष बनता है | Kendradhipati Dosh Kya hota Hai Jyotish Mai आइए विस्तार से जानते हैं इस विषय को की कैसे और कब ये हमारे जीवन को प्रभावित करता है ?| केन्द्राधिपति दोष कुंडली में तब बनता है जब गुरु, शुक्र, बुध या चन्द्रमा पहले, चौथे, सातवें या फिर दसवें भाव में बैठ जाए | इस दोष के साथ सूर्य, मंगल, शनि, राहू और केतु का कोई सम्बन्ध नहीं होता है | परन्तु कुछ बातें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए : अगर केंद्र में नैसर्गिक शुभ ग्रहों की राशि हो तो ही केन्द्रधिपति दोष का विचार क