शंख गायत्री मंत्र: अर्थ, महत्व और आध्यात्मिक लाभ मंत्र: ॐ पंचजन्याय विद्महे पवमानाय धीमहि। तन्नो शङ्खः प्रचोदयात्॥ भारतीय सनातन परंपरा में शंख (Conch Shell) को अत्यंत पवित्र और दिव्य माना गया है। यह केवल एक वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि धर्म, शुद्धता और चेतना का प्रतीक है। शंख से संबंधित गायत्री मंत्र को शंख गायत्री मंत्र कहा जाता है, जिसका जप और श्रवण साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। Shankh Gayatri Mantra ke Fayde शंख गायत्री मंत्र का अर्थ ॐ पंचजन्याय विद्महे हम भगवान विष्णु के दिव्य शंख पाञ्चजन्य को जानते हैं। पवमानाय धीमहि जो शुद्धता, पवित्रता और प्राण ऊर्जा का संचार करता है, उसका हम ध्यान करते हैं। तन्नः शङ्खः प्रचोदयात् वह पवित्र शंख हमारी बुद्धि और चेतना को प्रेरित करे। यह मंत्र शंख की दिव्य शक्ति से हमारी बुद्धि, प्राणशक्ति और आत्मा को शुद्ध व जाग्रत करने की प्रार्थना है। शंख का आध्यात्मिक महत्व शंख को भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है यह पांच महाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का संतुलन करता है शंखनाद से नक...
मंगल शांति पूजा के फायदे ज्योतिष अनुसार, benefits of Mangal Shanti pooja, मंगल के दुष्प्रभाव को कैसे दूर करे, जानिए मंगल कैसे जीवन को प्रभावित करता है ? मंगल एक शक्तिशाली ग्रह है जो की शक्ति, जुनून, रचनात्मकता, क्रोध युद्ध, ऊर्जा, इच्छाओं, साहसिक प्रकृति, आक्रामकता आदि का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल का संबंध भाई-बहन, सेना में नौकरी, सुरक्षा के कार्य, सर्जरी, दुर्घटना, हिंसा आदि से भी है। आइये जानते हैं मंगल से सम्बंधित कुछ ख़ास बाते वैदिक ज्योतिष के हिसाब से : धातुओं में ताँबा मंगल से सम्बन्ध रखता है । वैदिक ज्योतिष में मंगल का रत्न है मूंगा । अंक ज्योतिष के हिसाब से मंगल से संबंधित अंक है 9 । मंगल की दिशा दक्षिण है और दिन मंगलवार है। मेष और वृश्चिक राशी का स्वामी है मंगल । जन्म कुंडली में मकर राशि के साथ बैठा मंगल उच्च का होता है और यदि यह कर्क राशि के साथ बैठा हो तो नीच का होता है। अगर मंगल राहू के साथ बैठ जाए किसी भी भाव में तो अंगारक योग बनता है जो की एक घातक योग है | पढ़िए जन्मी कुंडली में 12 भावो में मंगल का क्या फल होता है ? आइये जानते है मांगलिक दोष के बारे...