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Guru Grah Ka Kundli ke 12 Bhavo mai Prabhav

Kundli Ke 12 Bhavo Mai Guru Ka prahbav, जानिए कुंडली के अलग-अलग भावों में गुरु का शुभ और अशुभ प्रभाव, द्वादश भाव में बृहस्पति का फल, Guru Grah Ka Kundli ke 12 Bhavo mai Prabhav | वैदिक ज्योतिष में सूर्य को राजा, मंगल को सेनापति, बुध को युवराज की उपाधि प्राप्त है और बृहस्पति तो सभी के मार्गदर्शक है | जन्म कुंडली में गुरु ग्रह धनु और मीन राशि के स्वामी हैं | कुंडली में बृहस्पति कर्क राशि में उच्च के होते हैं और मकर में नीच के होते हैं | इसे सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 12 वर्षो का समय लगता है |  किसी भी कुंडली में गुरु की शुभ और अशुभ अवस्था जीवन को बदलने की जबरदस्त शक्ति होती है | अशुभ गुरु जहाँ जातक का जीवन संघर्षो से भर देता है, विद्याहीन, मूर्ख, बिना सोचे समझे कार्य करने वाला, असंतोषी बना देता है वहीँ शुभ बृहस्पति जातक को राजा बना देता है, मान-सम्मान दिलाता है, प्रभावशाली व्यक्तित्त्व देता है |  Guru Grah Ka Kundli ke 12 Bhavo mai Prabhav वैदिक ज्योतिष में गुरु ग्रह का सम्बन्ध किन विषयो से होता है  : GURU ग्रह को अंग्रेजी में Jupiter कहा जाता है वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंड

Kundli Ke 12 Bhav Mai Budh Ka Prabhav

Kundli Ke 12 Bhavo Mai Budh Ka prahbav, जानिए कुंडली के अलग-अलग भावों में बुध का शुभ और अशुभ प्रभाव, द्वादश भाव में Budh का फल, Budh Ke upay | वैदिक ज्योतिष में सूर्य को राजा, मंगल को सेनापति और बुध को युवराज की उपाधि प्राप्त है | जन्म कुंडली में budh मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं | बुध कन्या राशि में उच्च के होते हैं और मीन में नीच के होते हैं |  वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह : BUDH ग्रह को अंग्रेजी में mercury कहा जाता है और इसका सम्बन्ध बुद्धि, तर्क , मित्रता, विद्या, वाणी, लेखन, प्रकाशन, शिक्षण, बैंकिंग कार्य, वकालत, एकाउंटिंग, मनोरंजन, व्यापार, सलाहकारी, वाक् चातुर्यता आदि से होता है |  शुभ और शक्तिशाली बुध के कारण जातक बुद्धिमान बनता है, अच्छा वक्ता बनता है और एक सफल जीवन जीता है वहीँ ख़राब बुध जातक को चालाक और लोभी बना देता है, अनैतिक कार्यो की और प्रेरित करता है, बहन, बुआ और मौसी पर संकट लाता है, नौकरी या व्यापार में नुकसान दिलाता है | कमजोर बुध से पौरुष शक्ति भी कम होती है |  Kundli Ke 12 Bhav Mai Budh Ka Prabhav बुध ग्रह का सम्बन्ध किन रोगों से होता है ? Budh ग्रह के

Kundli ke 12 Bhavo me Mangal ka Prabhav

Kundli Ke 12 Bhavo Mai Mangal Ka prahbav, जानिए कुंडली के अलग-अलग भावों में मंगल का शुभ और अशुभ प्रभाव, द्वादश भाव में mangal का फल | वैदिक ज्योतिष में सूर्य को राजा की उपाधि प्राप्त है और मंगल को सेनापति की उपाधि प्राप्त है | भूमिपुत्र होने के कारण इनको भौम के नाम से भी जानते हैं |  मंगल का रंग अंगारों के समान होने के कारण इसे अंगारक के नाम से भी जानते हैं | कुंडली में मेष और वृश्चिक राशि के ये स्वामी होते हैं | यह मकर राशि में उच्च और कर्क राशि में नीच के होते हैं । मंगल ग्रह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी होते है। जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में स्थित होने मांगलीक योग/मंगल दोष बनाता है। Kundli ke 12 Bhavo me Mangal ka Prabhav वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह : Mangal का सम्बन्ध साहस, छोटा भाई, सुख, पराक्रम, धैर्य, अभिमान, शत्रु, कीर्ति, युद्ध, रक्त विकार,  युद्ध, अग्नि, संहार, क्रूरता, विजय, भूमि, भाई, क्रोध, पित्त विकार, ऋण, आलोचना, उत्साह, यौवन ताप, बाहुबल, ताँबा, मूंगा, दण्ड, शस्त्र, मिथ्या भाषण, उच्च मानसिक विचार, रक्त वस्त्र, रक्त पुष

Vibhinn Bhavo Mai Chandra Ka Fal

 Kundli ke vibhinn Bhav Mai Chandrama Ka Fal, जानिए कुंडली के अलग-अलग भावों में चन्द्रमा का शुभ और अशुभ प्रभाव, द्वादश भाव में चन्द्र का फल | ज्योतिष में चंद्र ग्रह को स्त्री ग्रह कहा गया है। चंद्रमा धरती का सबसे निकटतम ग्रह है। इसमें प्रबल चुम्बकीय शक्ति होती है जिसका प्रभाव हमे अमावस्या और पूर्णिमा में देखने को मिलता है |  वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, माता, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, पोषण, संवेदनशीलता और भावनात्मक गुण, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, रक्त आदि से जुड़ा हुआ है | यह एक स्त्री ग्रह है और ये कर्क राशि का स्वामि है। सभी ग्रहों में चंद्रमा की गति सबसे तेज़ होती है। वैदिक ज्योतिष में कुंडली बनाने के समय चन्द्रमा के द्वारा ही राशि का निर्णय किया जाता है |  इस ज्योतिषी लेख में हम जानेंगे की कौन से घर में चन्द्रमा अच्छे परिणाम देता है?, चन्द्रमा अशुभ कब होता है?, कुंडली के अलग अलग भावो में चन्द्रमा का क्या फल होता है आदि | Vibhinn Bhavo Mai Chandra Ka Fal चन्द्रमा कब शुभ होते हैं ? जब चन्द्रमा मिथुन, सिंह, कन्या राशि में हो कुंडली में तो शुभ परिणाम देते हैं |  कर

Kundli ke Dwadash Bhav Mai Surya Ka Fal

Kundli ke Dwadash Bhav Mai Surya Ka Fal, जानिए कुंडली के अलग-अलग भावों में सूर्य का शुभ और अशुभ प्रभाव, द्वादश भाव में सूर्य का फल | ग्रहों के राजा सूर्य जब शुभ होते हैं जन्म कुंडली में तो जातक को मान-सम्मान, यश, राज योग देते हैं वहीँ अशुभ सूर्य बदनामी, पितृ दोष, अपयश, संघर्षो का कारण बनता है | वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा और पिता का कारक भी माना जाता है |  इस ज्योतिषी लेख में हम जानेंगे की कौन से घर में सूर्य अच्छे परिणाम देता है?, सूर्य अशुभ कब होता है?, कुंडली के अलग अलग भावो में सूर्य का क्या फल होता है आदि | सूर्य कब शुभ होते हैं ? जब सूर्य मेष राशि, वृश्चिक राशि, धनु और मीन राशि में होते हैं तो शुभ परिणाम देते हैं |  कुंडली का प्रथम भाव सूर्य का ही घर होता है | मेष राशि के सूर्य उच्च के होते हैं | सूर्य कब अशुभ परिणाम देते हैं ? वृषभ राशि, मकर राशि और कुम्भ राशि के सूर्य अशुभ होते हैं और जीवन में संघर्ष पैदा करते हैं | Kundli ke Dwadash Bhav Mai Surya Ka Fal Read in English about Sun impacts on 12 Houses in  Horoscope आइये अब जानते हैं की जन्म कुंडली के अलग अलग भावो

Kundli ka Dwadash Bhav in Jyotish

Kundli ka Barahwan bhav, कुंडली का बारहवां भाव क्या बताता है ज्योतिष मै,  12th House in birth chart | वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के द्वादश भाव पर विभिन्न ग्रहों का क्या प्रभाव होता है  ? | जन्म पत्रिका का द्वादश भाव बहुत महत्त्वपूर्ण हैं क्यूंकि इस भाव से व्यय, स्वास्थ्य, जीवन साथी के गुप्त शत्रु, मृत्यु के बाद की गति, हानि,  आदि विषयो का पता लगाया जाता है |  जब जातक के अन्दर की चिंता का कारण, हीन भावना का कारण आदि को जानना हो तो भी द्वादस भाव का अध्ययन बहुत मदद करता है |  Kundli ka Dwadash Bhav in Jyotish आइये कुंडली के बारहवें भाव के बारे में और महत्त्वपूर्ण बातें जानते हैं : इस भाव को व्यय भाव के नाम से भी जाना जाता है वैदिक ज्योतिष में | संतान की शादी में आने वाली अड्चनो और बिमारी के बारे में जाना जा सकता है बारहवें भाव के अध्ययन से | जन्म कुंडली के द्वादश भाव से जुड़ा प्राकृतिक ग्रह और राशि हैं मीन और बृहस्पति |  जातक की आँखों के बारे में भी जाना जाता है इससे | जातक के स्वप्न के रहस्यों को समझा जा सकता है इस घर के अध्ययन से |  मृत्यु के बाद जातक को मोक्ष मिलेगा की नहीं