दिवाली के पहले पुष्य नक्षत्र का महत्त्व 2025, क्या करे सुख सम्पन्नता, भाग्योदय के लिए ज्योतिष अनुसार. Pushya Nakshatra 2025 october: हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है हिन्दू पंचांग अनुसार और इससे पहले एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण दिन आता है जिसे पुष्य योग कहते हैं. पुष्य नक्षत्र जब दिवाली के पहले आता है तो अति महत्त्वपूर्ण कार्यो के लिए योग बना देता है. ये व्यापारियों, गृहस्थो, नौकरीपेशा, विद्यार्थियों आदि के लिए शुभ होता है. pushya in diwali significance विद्वानों ने इस बात को माना है की इस शक्तिशाली दिन में किसी भी चीज को खरीदना बहुत महत्त्व रखता है. इस दिन ख़रीदा सोना सम्पन्नता देता है, इस दिन खरीदी किताबे विद्याप्रप्ती में सहयोग प्रदान करती है. इसी कारण व्यापारी वर्ग इस दिन बही खाते खरीदते नजर आते हैं. महिलाए अपने लिए आभूषण खरीदती है, कुछ लोग श्री यन्त्र की स्थापना करते हैं आदि. साल 2025 में दिवाली से पहले पुष्य नक्षत्र 14 और 15 October को रहेगा | पुष्य नक्षत्र 14 अक्टूबर को दिन में लगभग 11:55 से शुरू होगा और १५ तारीख को दिन में लगभग 12 बजे तक रहे...
⭐ Dusra Vivah Aur Jyotish – दूसरा विवाह और ज्योतिष
Dusra Vivah Aur Jyotish, दूसरा विवाह और ज्योतिष, दुसरे विवाह की जरुरत, कुंडली के हिसाब से दुसरे विवाह के योग, और रुकावटों को कैसे हटाएं ज्योतिष उपायों द्वारा जानें।

Dusra Vivah Aur Jyotish
दूसरा विवाह क्यों होता है आवश्यक?
दूसरा विवाह सुनने में आसान लगता है, पर वास्तविकता में कई समझौते और परिस्थितियों से गुजरना होता है। कभी सामाजिक, कभी मानसिक, और कई बार शारीरिक और पारिवारिक जरूरतें इंसान को दूसरा विवाह करने को मजबूर कर देती हैं।
कब होता है दूसरा विवाह जरुरी?
- लंबे जीवन के लिए साथी की आवश्यकता – अकेलापन जीवन को कठिन बना देता है। इसलिए दूसरा विवाह जीवन में संतुलन लाने का माध्यम बन सकता है।
- बेमेल या असफल पहला विवाह – जब पहले विवाह में तालमेल न बने और रिश्ता टूट जाए, तब दूसरा विवाह समाधान बनता है।
- तलाक – तलाक के बाद एक नई शुरुआत के लिए दूसरा विवाह जरूरी हो सकता है।
- सहारा और जिम्मेदारी बाँटने के लिए – अकेले बच्चों या परिवार की जिम्मेदारी निभाना मुश्किल हो सकता है।
- भावनात्मक संतुष्टि न मिलना – अगर पहला जीवनसाथी अपेक्षाओं पर खरा न उतरे तो भी व्यक्ति दूसरा विवाह सोच सकता है।
दूसरा विवाह भी क्यों टूट जाता है?
- कुंडली मिलान न होना
- जल्दबाजी में विवाह करना
- सच छुपाना – आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य, बच्चों की जानकारी
- नशा और घरेलू हिंसा
- शारीरिक समस्या (सेक्सुअल इनकंपैटिबिलिटी)
- पहली शादी से बच्चों का विरोध
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कुंडली में कैसे जानें दुसरे विवाह के योग?
- सप्तम भाव का कमजोर होना लेकिन शुभ दृष्टि होना
- लग्न, द्वितीय, सप्तम और नवम भाव की विस्तृत जांच
- शुक्र और सुख भाव का मजबूत होना
- विवाह भाव का स्वामी द्विस्वभाव राशि में होना
- राहु या शनि का विवाह भाव में प्रभाव
- भाग्य भाव और विवाह भाव के स्वामी का परस्पर स्थान परिवर्तन
- द्वितीय भाव (परिवार) की स्थिति का महत्व
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कैसे बनाएं दुसरे विवाह को सफल?
- शुभ ग्रहों की शांति हेतु पूजा, रत्न, उपाय
- कल सर्प दोष, पितृ दोष आदि की शांति
- कुंभ विवाह, घट विवाह जैसे उपाय
- विवाह बाधा दूर करने हेतु विशेष अनुष्ठान
- सही मार्गदर्शन के लिए अनुभवी ज्योतिष से परामर्श आवश्यक
दूसरा विवाह अगर सही दिशा में और ज्योतिष सलाह से किया जाए, तो यह जीवन को सुखमय और संतुलित बना सकता है।
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