Kuldevi Strotram Lyrics, कुलदेवी स्त्रोत्रम पाठ के फायदे, कुलदेवी का आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें, कुलदेवी को प्रसन्न करने का शक्तिशाली उपाय, Hindi Meanings of Lyrics |
हिन्दुओं में कुलदेवी या कुलदेवता किसी भी परिवार के मुख्य देवी या देवता के रूप में पूजे जाते हैं और ये उस परिवार के मुख्य रक्षक भी होते हैं | किसी भी विशेष कार्य को करने से पहले कुलदेवी या कुलदेवता को पूजने की मान्यता है |
आज के समय में बहुत से परिवारों को उनके कुलदेवी या कुलदेवता का पता नहीं होता है अतः ऐसे में चिंता की बात नहीं है| कुलदेवी स्त्रोत्रम का पाठ करके और सुनके हम अपने कुलदेवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं |
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| Kuldevi Strotram Lyrics |
सुनिए YouTube में कुलदेवी स्त्रोत्रम
Lyrics of Kuldevi Strotram:
ॐ नमस्ते श्री शिवाय कुलाराध्या कुलेश्वरी।
कुलसंरक्षणी माता कौलिक ज्ञान प्रकाशीनी।।1
वन्दे श्री कुल पूज्या त्वाम् कुलाम्बा कुलरक्षिणी।
वेदमाता जगन्माता लोक माता हितैषिणी।।2
आदि शक्ति समुद्भूता त्वया ही कुल स्वामिनी।
विश्ववंद्यां महाघोरां त्राहिमाम् शरणागत:।।3
त्रैलोक्य ह्रदयं शोभे देवी त्वं परमेश्वरी।
भक्तानुग्रह कारिणी कुलदेवी नमोस्तुते।।4
महादेव प्रियंकरी बालानां हितकारिणी।
कुलवृद्धि करी माता त्राहिमाम् शरणागतम्।।5
चिदग्निमण्डल संभुता राज्य वैभव कारिणी।
प्रकटीतां सुरेशानी वन्दे त्वां "कुल गौरवाम्"।।6
त्वदीये कुले जात: त्वामेव शरणम गत:!
त्वत वत्सलोहं आद्ये त्वं रक्ष रक्षाधुना।।7
पुत्रं देहि धनं देहि साम्राज्यं प्रदेहि मे|
सर्वदास्माकं कुले भूयात मंगलानु शाशनम ।।8
कुलाष्टकमिदं पुण्यं नित्यं य: सुकृति पठेत।
तस्य वृद्धि कुले जात: प्रसन्ना कुलेश्वरी।।9
कुलदेवी स्त्रोत्मिदम, सूपुण्यं ललितं तथा |
अर्पयामी भवत भक्त्या, त्राहिमां शिव गेहिनी ||10
| श्री कुलदेव्यार्पणम अस्तु |
Hindi Meanings of Kuldevi Strotram Lyrics:
हे माता! आपको नमस्कार है। आप कुल की आराध्या, कुल की ईश्वरी हैं।
आप कुल की रक्षा करने वाली माता और कौलिक ज्ञान (गूढ़ ज्ञान) की प्रकाशिनी हैं।
हे पूजनीय माता! मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
आप कुलाम्बा हैं, कुल की रक्षा करने वाली हैं।
आप वेदों की माता, जगत् की माता और लोकमाता होकर सबका कल्याण चाहने वाली हैं।
हे कुलस्वामिनी! आप आदि शक्ति से उत्पन्न हुई हैं।
आप विश्व द्वारा वंदनीय और अत्यन्त महाघोर शक्ति स्वरूपा हैं।
शरणागत को कृपा कर रक्षा करें।
हे देवी! आप त्रिलोकी के हृदय में शोभित होती हैं, आप परमेश्वरी हैं।
आप भक्तों पर कृपा करने वाली कुलदेवी हैं। आपको बार-बार प्रणाम है।
हे माता! आप महादेव को प्रिय हैं।
आप बालकों (संतानों) का हित करने वाली और कुल की वृद्धि करने वाली हैं।
मैं आपकी शरण में आया हूँ, मेरी रक्षा कीजिए।
आप चिदग्नि-मण्डल से प्रकट हुई हैं।
आप राज्य और वैभव प्रदान करने वाली हैं।
हे सुरेशानी (देवताओं की अधिष्ठात्री)! मैं आपको प्रणाम करता हूँ, आप कुल का गौरव हैं।
मैं आपके ही कुल में जन्मा हूँ और आपकी ही शरण में आया हूँ।
हे आद्या! मैं आपका पुत्रवत् हूँ।
अभी मेरी रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए।
हे माता! मुझे पुत्र दीजिए, धन दीजिए, और साम्राज्य प्रदान कीजिए।
हमारे कुल में सदा मंगलमय शासन बना रहे।
जो सज्जन पुरुष इस पवित्र "कुलाष्टक" को नित्य पढ़ते हैं,
उनके कुल में वृद्धि होती है और कुलेश्वरी माता उन पर प्रसन्न रहती हैं।
हे कुलदेवी! यह स्तोत्र अत्यंत पवित्र और सुन्दर है।
मैं इसे भक्तिभाव से आपको अर्पित करता हूँ।
हे शिवपत्नी! मेरी रक्षा कीजिए।
यह सब श्री कुलदेवी को अर्पित हो।
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