अघहन माह का महत्व — हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष के अनुसार अघहन माह, जिसे “मार्गशीर्ष मास” भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग का नवम महीना है। यह सामान्यतः नवंबर से दिसंबर के बीच आता है। यह माह कार्तिक के पश्चात आता है और शीत ऋतु के आरंभ का सूचक है। इस समय प्रकृति की ऊर्जा बाहरी क्रियाओं से हटकर अंतरमुखी होने लगती है, जिससे साधना, भक्ति और आत्मचिंतन के लिए यह काल अत्यंत उपयुक्त माना गया है। 2025 में 6 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक रहेगा अघहन/मार्गशीर्ष का महीना | Aghan Mahina Kab Se kab Tak Rahega Watch Details On YouTube धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भगवद गीता के दसवें अध्याय, 'विभूतियोग' में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं — “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् — “मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूँ।” यह वचन इस माह की असाधारण पवित्रता और श्रेष्ठता को दर्शाता है। अघहन का समय भक्ति, तप, दान और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत शुभ होता है। प्रमुख धार्मिक क्रियाएँ: इस माह में विशेष रूप से गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की उपासना का बहुत महत्व होता है। परिवार में सुख-शांति हेतु सत्यनारायण व्र...
क्या है रत्न चिकित्सा, कैसे करे रत्न चिकित्सा, क्या फायदे हो सकते है रत्न चिकित्सा के, कैसे प्राप्त करे अच्छे रत्न, ध्यान रखने योग्य बाते.
रत्न चिकित्सा भारत के अन्दर अत्यंत प्राचीनकाल से चला आ रहा है जिसके अंतर्गत दिव्य रत्नों का प्रयोग करके रोगी को ठीक किया जाता है.
ज्योतिष के अंतर्गत रत्नों का प्रयोग बहुत होता है ग्रहों को मजबूत करने के लिए, कई दोषों को दूर करने के लिए gems stones का स्तेमाल साधारणतः होता ही है.
रत्नों को हम उसके रंग के आधार पर पहचानते है साधारणतः और तकनिकी रूप से उसे जांचने के लिए डेंसिटी टेस्ट भी किया जाता है, आज अनेक प्रकार के ऐसे इलेक्ट्रॉनिक औजार बन गए है जिनके इस्तेमाल से रत्नों को पहचाना जा सकता है. इसीलिए बड़ी कंपनीज तो सर्टिफाइड रत्न भी प्रदान करते हैं.
हालांकि सर्टिफाइड रत्न एक आम आदमी के जेब की सीमा से बहार ही होते है, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है.
ऐसे में उपरत्नों का इस्तेमाल लाभदायक रहता है.
ज्योतिष और रोग :
ज्योतिष के अंतर्गत रोगों का उपचार भी किया जाता है ग्रहों को समझकर क्यूंकि ज्योतिष का ये मानना है की जो भी कुछ घटना घटित होती है उसके पीछे ग्रहों का प्रभाव पूरा होता है अतः रोगी का इलाज जितना डॉक्टर के द्वारा किया जाता है उतना ही ज्योतिष के द्वारा भी किया जाना चाहिए.
अगर डॉक्टर और ज्योतिष दोनों की सलाह से इलाज किया जाए तो निश्चित ही रोगी बहुत जल्दी स्वस्थ होता नजर आता है इसमे कोई शक नहीं है परन्तु रोगी को अपने सलाहकार पर पूरा भरोसा होना चाहिए. श्रद्धा और विश्वास के अभाव में कोई इलाज असरकारक नहीं रहती.
अगर बिमारी समझ नहीं आ अहि है, अगर दवाइयां असर नहीं कर रही है तो ऐसे में ज्योतिष का जानकार व्यक्ति मददगार साबित हो सकता है.
ऐसे कई किस्से सामने आये है जिनमे डॉक्टर्स बिमारी का पता नहीं लगा पा रहे थे परन्तु सिर्फ एक पूजा करने के बाद जब दुबारा जांच किया गया तो बिमारी का पता चल गया, कई लोग जिन के ऊपर दवाइयां असर नहीं कर रही थी उन्होंने कुछ पूजाए और दान की तो दवाईया का असर होने लगा.
अतः हम किसी भी प्रकार से ज्योतिष के महत्व को नकार नहीं सकते हैं.
रत्नों का प्रयोग करने से पहले क्या ध्यान रखे :
- रत्न खंडित न हो इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए.
- रत्न चिकित्सा में सम्बंधित रत्न के साथ सम्बंधित धातु ही होना चाहिए, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए.
- रत्नों को शुभ महूरत में ही धारण करना चाहिए.
- रत्नों को धारण करने के लिए पेंडेंट या अंगूठी बनाई जा सकती है. कुछ विशेष दशाओं में या पूजाओ में यन्त्र में नग लगाके पूजा की जाती है.
- रत्नों को प्रयोग करने से पहले शुद्ध किया जाना किया जाना चाहिए, पूजा की जानी चाहिए.
- किसी अच्छे साधू, ब्राह्मण के हाथो अगर लेके इसे धारण किया जाये तो भी बहुत शुभ परिणाम प्राप्त हुए है.
आइये अब जानते है ग्रहों से सम्बंधित रत्न :
इनके अलावा सभी के उपरत्न भी उपलब्ध है , जिनको भी रत्न चिकित्सा लेना हो वो अपने जेब के हिसाब से रत्न खरीद सकते है सलाह ले के.
सही रत्न व्यक्ति को उर्जावान बनाते है, निरोगी बनाते है, धनवान बनाते है, संपन्न बनाते है.
रत्नों द्वारा आप बना सकते है अपने जीवन को समृद्ध , सुखी और शक्तिशाली.
क्या है रत्न चिकित्सा, कैसे करे रत्न चिकित्सा, क्या फायदे हो सकते है रत्न चिकित्सा के, कैसे प्राप्त करे अच्छे रत्न, ध्यान रखने योग्य बाते.

Comments
Post a Comment