RinHarta Ganesh Stotra With Lyrics And Hindi Meaning, ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र | तुरंत फल देने वाला ऋण हर्ता गणेश स्त्रोत्रम. RinHarta Ganesh Stotra: यह स्तोत्र भगवान गणेश के उस दिव्य रूप का स्मरण कराता है जो भक्तों के जीवन से ऋण, बाधाएँ, कष्ट और आर्थिक तंगी जैसी समस्याओं को दूर करने वाला माना जाता है। नियमित रूप से श्रद्धा और शुद्ध भाव से इसका पाठ करने से मन में आत्मविश्वास बढ़ता है, नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में स्थिरता तथा समृद्धि का मार्ग खुलता है। यह स्तोत्र मानसिक शांति प्रदान करता है और व्यक्ति को अपने कार्यों में सफल होने की प्रेरणा देता है। मान्यता है कि भगवान गणेश की कृपा से असमर्थता दूर होकर जीवन में उन्नति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साधक हर प्रकार के ऋण, दुःख और दरिद्रता से मुक्ति पाता है. RinHarta Ganesh Stotra With Lyrics And Hindi Meaning सुनिए YouTube में Lyrics Of RinHarta Ganesh Strotram : विनियोगः ॐ अस्य श्रीऋण-हरण-कर्तृ-गणपति-मन्त्रस्य सदा-शिव ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीऋण-हर्ता गणपति देवता, ग्लौं बीजं, गं शक्तिः, गों कीलकं, मम सकल...
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| Dhanu Raashi Rahasya |
- धनु राशि का स्वामी ग्रह है गुरु और इसका सम्बन्ध अग्नि तत्व से है. इसके द्वारा हम इमानदारी, स्वतन्त्रता, दबाने की शक्ति आदि का अध्यन करते हैं.
- धनु से सम्बंधित रत्न है पीला पुखराज, पीला हकिक.
- गुरुवार या Thursday इसका दिन है.
- आपके लिए शुभ दिशा है पूर्व.
- इसकी मित्र राशिय हैं – मेष, तुला, कुम्भ और सिंह.
- बेमेल राशियाँ है- वृषभ, कर्क , तुला, कन्या और मकर.
- जानिए धनु राशि का मंत्र कौन सा है ?
कुछ मुख्य बातें जानिये धनु राशि वालो के बारे में:
- इसका स्थान नवां है राशि चक्र में और ये गुरु ग्रह द्वारा नियंत्रित होता है. इसके कारण इस जातक को उत्साह, विश्वसनीयता, आत्मशक्ति, किस्मत, ज्ञान आदि की प्राप्ति सहज में ही हो जाती है.
- कभी कभार ऐसे जातक ज्यादा पद लेने के कारण अहंकार के वशीभूत भी हो जाता हैं.
- इनके पास सकारात्मक शक्ति होती है और दुसरो को भी ये सकारात्मक कर सकते हैं.
- समाज ये लोग अपनी विद्वता के कारण जाने जाते हैं.
- ये अपने समय का सदुपयोग करने में भी माहिर होते हैं. खोज करना भी इनकी एक आदत है और इसीलिए इनको घूमना भी पसंद होता है.
- काम में ये किसी की दखलंदाजी पसंद नहीं करते हैं.
चूँकि धनु राशी का स्वामी ग्रह गुरु है अतः कुंडली में इसकी स्थिति के अनुसार ही जातक का व्यक्तित्त्व होता है. अगर जन्म पत्रिका में गुरु शुभ अवस्था में है तो निश्चित ही जातक जीवन में बहुत तरक्की करता है अपने व्यक्तित्त्व के कारण वहीँ अगर कुंडली में गुरु अशुभ अवस्था में हो तो जातक के गुणों में कमी लाता है और जीवन में संघर्ष बढ़ता है |
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