Skip to main content

Latest Astrology Updates in Hindi

July Ka Grah Gochar

July 2025 Grah Gochar, कौन से ग्रह बदलेंगे राशि जुलाई महीने में, किन राशियों को मिलेगा फायदा, july prediction, जुलाई में कब कौन सा ग्रह करेगा गोचर, planetary transits in july 2025. July 2025 Grah Gochar:  गोचर कुंडली में ग्रहो का राशि परिवर्तन बहुत ही रोचक घटना है जिसके कारण बाजार में, व्यक्तिगत जीवन में, राजनीती में, मौसम में बहुत बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं |  वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु एक निश्चित अवधि में निरंतर राशि बदलते रहते हैं | प्रत्येक ग्रह की चाल अलग अलग होती है जैसे चंद्रमा, सूर्य, बुध, मंगल और शुक्र बहुत जल्दी जल्दी राशि बदलते हैं जबकि बृहस्पति, शनि, राहु और केतु को राशि बदलने में सबसे ज्यादा समय लगता है |  इस ज्योतिषीय लेख में हम जानेंगे की July 2025 में कौन से ग्रह बदलेंगे राशि, कौन से शुभ और अशुभ योग का निर्माण होगा और क्या प्रभाव होगा 12 राशियों पर |  July Ka Grah Gochar Watch On YouTube आइये अब जानते हैं की July 2025 में कौन से ग्रह बदलेंगे राशि (July 2025 Grah Gochar): जुलाई 2025 में बड़े ...

Sarwarisht Nivaran Strotram ke fayde

 सर्वारिष्ट निवारण स्त्रोत्रम के बोल, Lyrics of sarwarisht nivaran strot, श्री भृगुसंहिता | 

इसके पाठ से सभी प्रकार के बाधाओं का नाश होता है और सभी के लिए ये उपयोगी है |  इस पाठ में भृगु ऋषि का आशीर्वाद समाया हुआ है | पाठ शुरू करने से पहले ऋषि भृगु का ध्यान अवश्य करें | 

Sarwarisht strot के पाठ से बुरी शक्तियों का प्रभाव ख़त्म होता है, संतान की ईच्छा रखने वाले को संतान प्राप्त होता है, धन की ईच्छा रखने वाले को धन की प्राप्ति होती है, विवाह की परेशानियाँ दूर होती है, कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों से सुरक्षा होती है | भूत बाधा, डाकिनी बाधा, शाकिनी बाधा का नाश होता है | 

सर्वारिष्ट निवारण स्त्रोत्रम के बोल, Lyrics of sarwarisht nivaran strot, श्री भृगुसंहिता |
Sarwarisht Nivaran Strotram ke fayde 

Lyrics of Sarvarisht Nivaran Strot:

ॐ गं गणपतये नमः । सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालानां बुद्धि-प्रदाय, नाना-प्रकार-धन-वाहन-भूमि-प्रदाय, मनोवांछित-फल-प्रदाय रक्षां कुरू कुरू स्वाहा ।।

ॐ गुरवे नमः, ॐ श्रीकृष्णाय नमः, ॐ बलभद्राय नमः, ॐ श्रीरामाय नमः, ॐ हनुमते नमः, ॐ शिवाय नमः, ॐ जगन्नाथाय नमः, ॐ बदरीनारायणाय नमः, ॐ श्री दुर्गा-देव्यै नमः ।।

ॐ सूर्याय नमः, ॐ चन्द्राय नमः, ॐ भौमाय नमः, ॐ बुधाय नमः, ॐ गुरवे नमः, ॐ भृगवे नमः, ॐ शनिश्चराय नमः, ॐ राहवे नमः, ॐ केतवे नमः, ॐ नव-ग्रह ! रक्षां कुरू कुरू नमः ।।

ॐ मन्येवरं हरिहरादय एव दृष्ट्वा द्रष्टेषु येषु हृदयस्थं त्वयं तोषमेति विविक्षते न भवता भुवि येन नान्य कश्विन्मनो हरति नाथ भवान्तरेऽपि । ॐ नमो मणिभद्रे ! जय-विजय-पराजिते ! भद्रे ! लभ्यं कुरू कुरू स्वाहा ।।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्-सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।। सर्व विघ्नं शांन्तं कुरू कुरू स्वाहा ।।

Listen Sarwarisht On Youtube

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक-भैरवाय आपदुद्धारणाय महान्-श्याम-स्वरूपाय दीर्घारिष्ट-विनाशाय नाना-प्रकार-भोग-प्रदाय मम  सर्वारिष्टं हन हन, पच पच, हर हर, कच कच, राज-द्वारे जयं कुरू कुरू, व्यवहारे लाभं वृद्धिं वृद्धिं, रणे शत्रुन् विनाशय विनाशय, पूर्णा आयुः कुरू कुरू, स्त्री-प्राप्तिं कुरू कुरू, हुम् फट् स्वाहा ।।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः । ॐ नमो भगवते, विश्व-मूर्तये, नारायणाय, श्रीपुरूषोत्तमाय । रक्ष रक्ष, युग्मदधिकं प्रत्यक्षं परोक्षं वा अजीर्णं पच पच, विश्व-मूर्तिकान् हन हन, ऐकाह्निकं द्वाह्निकं त्राह्निकं चतुरह्निकं ज्वरं नाशय नाशय, चतुरग्नि वातान् अष्टादश-क्षयान् रोगान्, अष्टादश-कुष्ठान् हन हन, सर्व दोषं भञ्जय-भञ्जय, तत्-सर्वं नाशय-नाशय, शोषय-शोषय, आकर्षय-आकर्षय, मम शत्रुं मारय-मारय, उच्चाटय-उच्चाटय, विद्वेषय-विद्वेषय, स्तम्भय-स्तम्भय, निवारय-निवारय, विघ्नं हन-हन, दह-दह, पच-पच, मथ-मथ, विध्वंसय-विध्वंसय, विद्रावय-विद्रावय, चक्रं गृहीत्वा शीघ्रमागच्छागच्छ, चक्रेण हन-हन, पर-विद्यां छेदय-छेदय, चौरासी-चेटकान् विस्फोटान् नाशय-नाशय, वात-शुष्क-दृष्टि-सर्प-सिंह-व्याघ्र-द्विपद-चतुष्पद अपरे बाह्यं ताराभिः भव्यन्तरिक्षं अन्यान्य-व्यापि-केचिद् देश-काल-स्थान सर्वान् हन हन, विद्युन्मेघ-नदी-पर्वत, अष्ट-व्याधि, सर्व-स्थानानि, रात्रि-दिनं, चौरान् वशय-वशय, सर्वोपद्रव-नाशनाय, पर-सैन्यं विदारय-विदारय, पर-चक्रं निवारय-निवारय, दह दह, रक्षां कुरू कुरू, ॐ नमो भगवते, ॐ नमो नारायणाय, हुं फट् स्वाहा ।।

ठः ठः ॐ ह्रीं ह्रीं । ॐ ह्रीं क्लीं भुवनेश्वर्याः श्रीं ॐ भैरवाय नमः । हरि ॐ उच्छिष्ट-देव्यै नमः । डाकिनी-सुमुखी-देव्यै, महा-पिशाचिनी ॐ ऐं ठः ठः । ॐ चक्रिण्या अहं रक्षां कुरू कुरू, सर्व-व्याधि-हरणी-देव्यै नमो नमः । सर्व-प्रकार-बाधा-शमनमरिष्ट-निवारणं कुरू कुरू फट् । श्रीं ॐ कुब्जिका देव्यै ह्रीं ठः स्वाहा ।।

शीघ्रमरिष्ट-निवारणं कुरू-कुरू शाम्बरी क्रीं ठः स्वाहा ।।

शारिका-भेदा महा-माया पूर्णं आयुः कुरू । हेमवती मूलं रक्षा कुरू । चामुण्डायै देव्यै शीघ्रं विध्नं सर्वं वायु-कफ-पित्त-रक्षां कुरू । मन्त्र-तन्त्र-यन्त्र-कवच-ग्रह-पीडान तर, पूर्व-जन्म- दोषान् तर, अन्य जन्म- दोषान् तर, मातृ-दोषान् दोषन तर, पितृ- दोषान् तर, मारण-मोहन-उच्चाटन-वशीकरण-स्तम्भन-उन्मूलनं भूत-प्रेत-पिशाच-जात-जादू-टोना-शमनं कुरू । सन्ति सरस्वत्यै कण्ठिका-देव्यै गल-विस्फोटकायै विक्षिप्त-शमनं महान् ज्वर-क्षयं कुरू स्वाहा ।।

सर्व-सामग्री-भोगं सप्त-दिवसं देहि-देहि, रक्षां कुरू, क्षण-क्षण अरिष्ट-निवारणं, दिवस-प्रति-दिवस दुःख-हरणं मंगल-करणं कार्य-सिद्धिं कुरू कुरू । हरि ॐ श्रीरामचन्द्राय नमः । हरि ॐ भूर्भुवः स्वः चन्द्र-तारा-नव-ग्रह-शेष-नाग-पृथ्वी-देव्यै आकाशस्य सर्वारिष्ट-निवारणं कुरू कुरू स्वाहा ।।

१॰ ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बटुक-भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व-विघ्न-निवारणाय मम रक्षां कुरू-कुरू स्वाहा।।

२॰ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीवासुदेवाय नमः, बटुक-भैरवाय आपदुद्धारणाय मम रक्षां कुरू-कुरू स्वाहा।।

३॰ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीविष्णु-भगवान् मम अपराध-क्षमा कुरू कुरू, सर्व-विघ्नं विनाशय, मम कामना पूर्णं कुरू कुरू स्वाहा ।।

४॰ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक-भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व-विघ्न-निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा ।।

५॰ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ श्रीदुर्गा-देवी रूद्राणी-सहिता, रूद्र-देवता काल-भैरव सह, बटुक-भैरवाय, हनुमान सह मकर-ध्वजाय, आपदुद्धारणाय मम सर्व-दोष-क्षमाय कुरू कुरू सकल विघ्न-विनाशाय मम शुभ-मांगलिक-कार्य-सिद्धिं कुरू-कुरू स्वाहा।।

||फल श्रुतिः ||

एष विद्या-माहात्म्यं च, पुरा मया प्रोक्तं ध्रुवं । शम-क्रतो तु हन्त्येतान्, सर्वांश्च बलि-दानवाः।।१

य पुमान् पठते नित्यं, एतत् स्तोत्रं नित्यात्मना । तस्य सर्वान् हि सन्ति, यत्र दृष्टि-गतं विषं ।।२

अन्य दृष्टि-विषं चैव, न देयं संक्रमे ध्रुवम् । संग्रामे धारयेत्यम्बे, उत्पाता च विसंशयः ।।३

सौभाग्यं जायते तस्य, परमं नात्र संशयः । द्रुतं सद्यं जयस्तस्य, विघ्नस्तस्य न जायते।।४

किमत्र बहुनोक्तेन, सर्व-सौभाग्य-सम्पदा। लभते नात्र सन्देहो, नान्यथा वचनं भवेत् ।।५

ग्रहीतो यदि वा यत्नं, बालानां विविधैरपि । शीतं समुष्णतां याति, उष्णः शीत-मयो भवेत् ।।६

नान्यथा श्रुतये विद्या, पठति कथितं मया । भोज-पत्रे लिखेद् यन्त्रं, गोरोचन-मयेन च ।।७

इमां विद्यां शिरो बध्वा, सर्व-रक्षा करोतु मे । पुरूषस्याथवा नारी, हस्ते बध्वा विचक्षणः ।।८

विद्रवन्ति प्रणश्यन्ति, धर्मस्तिष्ठति नित्यशः । सर्व-शत्रुरधो यान्ति, शीघ्रं ते च पलायनम् ।।९ 

सर्वारिष्ट निवारण स्त्रोत्रम के बोल, Lyrics of sarwarisht nivaran strot, श्री भृगुसंहिता | 

सर्वारिष्ट निवारण स्त्रोत का पाठ करने के फायदे और तरीका :

  1. इस स्त्रोत का पाठ अगर खुद के लिए और दुसरो के लिए भी कर सकते हैं | 
  2. इस स्त्रोत्र का ४० पाठ करने के बारे में बताया गया है | 
  3. शीघ्र फल के लिए घी में गुग्गल मिला के sarwarisht ke mantro का जप करते हुए आहुतियाँ देनी चाहिए | 
  4. इसका पाठ किसी शुभ योग से शुरू करें जैसे रवि पुष्य, गुरु पुष्य, नवरात्री, सर्वार्थ सिद्धि योग आदि |
  5. अगर आप काले जादू से परेशां है और अनुष्ठान करवाने में सक्षम नहीं है तो सर्वारिष्ट निवारण का पाठ खुद करें और लाभ ले |
  6. अगर सभी उपायों के बावजूद नौकरी नहीं मिल रही है तो sarwarisht nivaran strot का पाठ करें |
  7. अगर कुंडली में अनेक दोष है या फिर अनेक ग्रह ख़राब है तो चिंता न करें सिर्फ इस शक्तिशाली स्त्रोत का पाठ करें और जीवन में बदलाव देखें |
  8. अगर शादी नहीं हो रही है तो सर्वारिष्ट निवारण स्त्रोत का पाठ करें | शीघ्र ही विवाह होगा |
  9. अगर शत्रु किसी प्रकार का मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण का प्रयोग कर रहा हो तो इसका पाठ कर सकते हैं | 
  10. अगर रोग पीछा न छोड़ रहा हो तो इन मंत्रो का जप करें लाभ होगा | 

सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र  के बोल, Lyrics of sarwarisht nivaran strot, श्री भृगुसंहिता |

Comments

Popular posts from this blog

Kuldevi Strotram Lyrics

Kuldevi Strotram Lyrics, कुलदेवी स्त्रोत्रम पाठ के फायदे, कुलदेवी का आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें, कुलदेवी को प्रसन्न करने का शक्तिशाली उपाय | हिन्दुओं में कुलदेवी या कुलदेवता किसी भी परिवार के मुख्य देवी या देवता के रूप में पूजे जाते हैं और ये उस परिवार के मुख्य रक्षक भी होते हैं | किसी भी विशेष कार्य को करने से पहले कुलदेवी या कुलदेवता को पूजने की मान्यता है |  आज के समय में बहुत से परिवारों को उनके कुलदेवी या कुलदेवता का पता नहीं होता है अतः ऐसे में चिंता की बात नहीं है| कुलदेवी स्त्रोत्रम का पाठ करके और सुनके हम अपने कुलदेवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं |  Kuldevi Strotram Lyrics सुनिए YouTube में कुलदेवी स्त्रोत्रम  Lyrics of Kuldevi Strotram:  ॐ नमस्ते श्री  शिवाय  कुलाराध्या कुलेश्वरी।   कुलसंरक्षणी माता कौलिक ज्ञान प्रकाशीनी।।1   वन्दे श्री कुल पूज्या त्वाम् कुलाम्बा कुलरक्षिणी।   वेदमाता जगन्माता लोक माता हितैषिणी।।2   आदि शक्ति समुद्भूता त्वया ही कुल स्वामिनी।   विश्ववंद्यां महाघोरां त्राहिमाम् शरणागत:।।3   त्रैलोक...

Bank Account kab khole jyotish anusar

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बैंक खाता कब खोलें, बैंक खाता खोलने के लिए सबसे अच्छा दिन चुनकर सौभाग्य कैसे बढ़ाएं,  when to open bank account as per astrology ,  ज्योतिष के अनुसार बैंक खाता खोलने का शुभ दिन, नक्षत्र और समय, ज्योतिष के अनुसार बचत कैसे बढ़ाएं? बैंक खाता खोलने का निर्णय एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय है और इसलिए इसे खोलने के लिए सबसे अच्छा दिन, सर्वश्रेष्ठ नक्षत्र, सर्वश्रेष्ठ महुरत चुनना अच्छा होता है । शुभ समय पर खोला गया बैंक खाता व्यक्ति को आसानी से संपन्न बना देता है |  बिना प्रयास के सफलता नहीं मिलती है अतः अगर हमे सफल होना है ,धनाढ्य बनना है, अमीर बनना है तो हमे सभी तरफ से प्रयास करना होगा, हमे स्मार्ट तरीके से काम करना होगा |  प्रत्येक व्यवसाय या कार्य में बैंक खाता आवश्यक है। चाहे आप एक कर्मचारी या उद्यमी हों चाहे आप एक व्यवसायी हों या एक गैर-कामकाजी व्यक्ति, बैंक खाता आमतौर पर हर एक के पास होता है। बैंक खाता हर एक के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हम इस पर अपनी बचत रखते हैं, यह इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रत्येक लेनदेन बैंक खाते के माध्यम...

Mahakal Kawacham || महाकाल कवच

महाकाल कवच के बोल, महाकाल कवचम के क्या फायदे हैं। Mahakal Kavacham || Mahakaal Kavach || महाकाल कवच || इस लेख में अति गोपनीय, दुर्लभ, शक्तिशाली कवच के बारे में बता रहे हैं जिसे की विश्वमंगल कवच भी कहते हैं। कवच शब्द का शाब्दिक अर्थ है सुरक्षा करने वाला | जिस प्रकार एक योद्धा युद्ध में जाने से पहले ढाल या कवच धारण करता है, उसी प्रकार रोज हमारे जीवन में नकारात्मक्क शक्तियों से सुरक्षा के लिए महाकाल कवच ढाल बना देता है | जब भी कवच का पाठ किया जाता है तो देविक शक्ति दिन भर हमारी रक्षा करती है |  कवच के पाठ करने वाले को अनैतिक कार्यो से बचना चाहिए, मांसाहार नहीं करना चाहिए, किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करना चाहिए | Mahakal Kavach का विवरण रुद्रयामल तंत्र में दिया गया है और ये अमोघ रक्षा कवच है | Mahakal Kawacham || महाकाल कवच  किसी भी प्रकार के रोग, शोक, परेशानी आदि से छुटकारा दिला सकता है महाकाल कवच का पाठ | इस शक्तिशाली कवच के पाठ से हम बुरी शक्तीयो से बच सकते हैं, भूत बाधा, प्रेत बाधा आदि से बच सकते हैं | बच्चे, बूढ़े, जवान सभी के लिए ये एक बहुत ही फायदेमंद है | बाबा महाकाल ...