Bhariav Ashtmi Kab hai, Kaalbhairav ashtmi ki tarikh 2025, कौन है भैरव जी, काल भैरव की पूजा से क्या फायदे होते हैं, उज्जैन में मौजूद अष्ट-भैरव, भैरव अष्टमी का महत्त्व, उज्जैन में कैसे मनता है काल भैरव अष्टमी, भैरव पूजा से समस्या समाधान, kab hai kalbhairav ashtm i 2025. साल 2025 में 12 November, Budhwar को भैरव अष्टमी मनाई जाएगी | अष्टमी तिथि 11 तारीख को Ratri में लगभग 11:10 बजे से शुरू होगी और 12 तारीख को Ratri को लगभग 10:59 तक रहेगी | Bhariav Ashtmi 2025: हिन्दू पंचाग के अनुसार अगहन महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन भैरव जी का जन्म हुआ था. उज्जैन में भैरव अष्टमी बहुत ही हर्षोल्लास से मनता है. इस दिन काल भैरव मंदिर और अष्ट भैरव मंदिरों को खूब सजाया जाता है और विशेष पूजा अर्चना होती है. अर्ध रात्री को बाबा की आरती की जाती है. कौन है काल भैरव ? भगवन शिव के रूद्र अवतार के रूप में काल भैरव को पूजा जाता है | ये शिवजी का प्रचंड रूप है और इनकी पूजा से हर प्रकार के डर से जातक को निजात मिलती है | जो लोग त...
Janmashtmi 2025 me kab hai, 2025 में जन्माष्टमी की वास्तविक तिथि की जानकारी?, कब रखें जन्माष्टमी व्रत?, रोहिणी नक्षत्र कब से कब तक है?, कृष्ण जन्म के लिए ज्योतिष उपाय |
शाश्त्रो के हिसाब से श्रीकृष्ण का जन्म- अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन हुआ था |
2025 में जन्माष्टमी 16 अगस्त शनिवार को है | अष्टमी तिथि 15 तारीख को रात्री में लगभग 11:51 पे शुरू होगी और 16 तारीख को रात्री में लगभग 9:35 PM तक रहेगी | तो उदया तिथि के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत 16 को किया जायेगा.
जन्माष्टमी 2025 पूजा मुहूर्त (Janmashtami 2025 Puja Muhurat):
- श्रीकृष्ण पूजा का समय - 16 अगस्त को रात्री में 12:04 से 12:47 AM तक (निशीथ काल )
- पूजा अवधि - 43 मिनट
कृष्ण जन्माष्टमी एक ऐसा उत्सव है जो की सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु संसार के कई देशो में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. इसका कारण ये है की कृष्ण भक्त पुरे संसार में फैले हुए हैं.
जन्माष्टमी वह दिन हैं जब कृष्ण जी ने धरती पर जन्म लिया था.
कृष्ण जी को भगवान् विष्णु का अवतार माना जाता है और उनके अवतार लेने की दिव्य घटना अष्टमी की रात्री को घटी थी हिन्दू पंचांग के हिसाब से. अतः तभी से जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाने लगा. इस दिन लोग पूरी रात संकीर्तन , कृष्ण मंत्र का जप आदि किया करते हैं.
आइये जानते हैं जन्माष्टमी का ज्योतिषी महत्तव:
इस रात्रि का इन्तेजार भक्त लोग पुरे साल करते हैं, पूरी रात भक्तगण कृष्ण नाम के साथ झूमते हैं , गाते हैं, जगह जगह झांकियां सजाई जाती हैं, लोग घरो में भी झांकियां सजाते हैं और उत्सव मानते हैं.
झूला लगाया जाता है, उसमे बालगोपाल की मूर्ती रखी जाती है, रात्रि को लोग ह्रदय से बड़े हर्ष और उल्लास के साथ पूजन करते हैं बालगोपाल का.
- हिन्दू ग्रंथो के अनुसार साल में 4 ऐसी रात्रियाँ आती है जिनको की महारात्रि कहा जाता है. ये है- ‘शिव रात्रि ’, ‘होली रात्री’, ‘दिवाली रात्रि’ और ‘जन्माष्टमी रात्रि’.
- जन्माष्टमी को ‘मोहरात्रि’ के नाम से भी जाना जाता है. जन्माष्टमी की रात्रि का बहुत महत्तव है और ये रात तंत्र, मंत्र, साधना को सिद्ध करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इसी कारण तांत्रिक, अघोरी लोग, साधक गण मान्त्रिक इस रात का पुरे वर्ष इन्तेजार करते हैं.
- इस रात्रि को वशीकरण क्रियाओं को भी सिद्ध किया जाता है.
- भक्तगण इस रात का उपयोग दिव्य कृपा को प्राप्त करने के लिए करते हैं और इसके लिए नाम जप और संकीर्तन का सहारा लेते हैं.
- जन्माष्टमी की रात्रि एक दिव्य रात्रि है और पूरा वातावरण कृष्णमय हो जाता है इस दिन और रात को. भगवान् कृष्ण का जन्म धरती पर से पापियों के नाश के लिए हुआ था और उन्होंने ये काम बहुत अच्छी तरह से किया , इसी कारण लोग उनको आज भी पूजते हैं जिससे की उनके जीवन से भी नकारात्मकता का नाश हो.
पढ़िए कृष्ण कवचम के फायदे
दही-हांडी के खेल का महत्तव जन्माष्टमी को :
कृष्ण जन्म के अवसर पर एक विशेष आयोजन होता है और उसे कहते हैं दही-हांडी फोड़ प्रतियोगिता, इसके अंतर्गत एक निश्चित ऊँचाई पर एक हांडी या मटकी में दही भर के लटका दिया जाता है और लोगो को आमंत्रित किया जाता है इसे फोड़ने के लिए , जो फोड़ता है उसे इनाम भी मिलता है. इसको देखने के लिए लोगो की भीड़ लगी रहती है.
वास्तव में ये प्रतियोगिता कृष्ण जी के नटखट स्वभाव को याद करने के लिए किया जाता है, कृष्ण जी जब छोटे थे तो माखन चुरा के खा लिए करते थे, और गोपियों की मटकी फोड़ दिया करते थे. आज भी लोग उनकी शैतानियों को याद करके खुश होते हैं और विभिन्न आयोजन करते हैं.
2025 के कृष्ण जन्माष्टमी को गोचर कुंडली में ग्रहों की स्थिति :
इस साल जन्माष्टमी 16 अगस्त शनिवार को आ रही है और कृष्ण जी के पूजा के समय ग्रहों की स्थिति इस प्रकार की रहेगी -
- गोचर कुंडली में गजलक्ष्मी योग बना रहेगा |
- चन्द्रमा अपने उच्च राशि वृषभ में रहेंगे |
- मंगल अपने शत्रु राशी कन्या में रहेंगे |
- बुध अपने शत्रु राशी कर्क में रहेंगे |
- बृहस्पति अपने शत्रु राशी मिथुन में रहेंगे |
- शुक्र अपने मित्र राशि मिथुन में रहेंगे |
- शनि सम राशि मीन में रहेंगे |
- राहू अपने मित्र राशी कुम्भ में रहेंगे |
- केतु अपने शत्रु राशि सिंह में रहेंगे |
जन्माष्टमी को पूजा अर्चना करके विभिन्न प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती है.
घर में जन्माष्टमी उत्सव मनाने का आसान तरीका :
- घर में किसी जगह को साफ़ करे और पवित्र जल छिड़क कर जगह को शुद्ध भी करे.
- वहाँ पर झुला लगाएं, बाल गोपाल जी की मूर्ति या फोटो लगाए और अपनी क्षमता के अनुसार आकर्षक सजाये.
- वहाँ पर पंचामृत, कपडे, भोग, धूप , दीप, शंख, फूल,फल आदि रखे |
- ठीक अर्ध रात्रि में बाल गोपाल की पूजा करे, इसके लिए उनका अभिषेक करे, उन्हें नए वस्त्र पहनाये फिर उनका पूजन कर भोग अर्पित करे , आरती करे और जीतना हो सके कृष्ण मंत्र जपे. फिर स्वास्थ्य और सम्पन्नता के लिए प्रार्थना करे.
- फिर प्रसाद बांटे घर के लोगो में, पड़ोसियों में, भक्तो में.
इस प्रकार से कोई भी बहुत आसान तरीके से घर में भी पूजन कर सकते हैं बाल गोपाल का.
- जन्माष्टमी की पूजा से स्वास्थ्य और सम्पन्नता प्राप्त किया जा सकता है.
- जन्माष्टमी की पूजा से काले जादू के असर को भी ख़त्म किया जा सकता है.
- बुरी नजर की समस्या से भी निजात पाई जा सकती है.
- बाल गोपाल की कृपा से भाग्योदय होता है |
- जो लोग संतान समस्या से गुजर रहे हैं, वे लोग भी लाभ ले सकते हैं |
अतः इस पवित्र और शक्तिशाली रात्री का स्तेमाल करे और बनाए अपने जीवन को धन्य.
||आप सबको जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं || जय श्री कृष्णा ||
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