Naye Sal 2026 Ki Shuruat Hogi Chaturgrahi Yog Se, नए साल की शुरुआत होगी धनु राशि में चतुर्ग्रही योग से, सूर्य-मंगल-बुध और शुक्र रहेंगे के साथ, jyotish updates. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों के युति-योग अत्यंत शक्तिशाली ब्रह्मांडीय घटनाएँ होते हैं, जो सामूहिक तथा व्यक्तिगत कर्म को सक्रिय करते हैं। वर्ष 2026 के प्रारंभ में सूर्य, मंगल, बुध और शुक्र की एक दुर्लभ युति धनु राशि में बनी रहेगी । धनु राशि के स्वामी गुरु (बृहस्पति) हैं, जो धर्म, ज्ञान, उच्च विद्या, सत्य और धर्मसम्मत कर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब अनेक ग्रह इस राशि में एकत्र होते हैं, तो सभी बारह राशियों में आध्यात्मिक जागरण, वैचारिक परिवर्तन और उद्देश्यपूर्ण कर्म की प्रबल धारा प्रवाहित होती है। Naye Sal 2026 Ki Shuruat Hogi Chaturgrahi Yog Se यह योग सूर्य की सत्ता, मंगल की ऊर्जा, बुध की बुद्धि और शुक्र के सौहार्द का समन्वय करता है, जिससे रचनात्मक अवसरों के साथ-साथ कर्मिक परीक्षाएँ भी उत्पन्न होती हैं। इसका प्रभाव मानवता को उच्च सिद्धांतों के साथ पुनः संरेखित होने, चेतना के विस्तार और सत्य के अनुरूप कर्म करने के लिए ...
Hariyali Amavasya कब है 2025, कौन सी पूजाएँ फायदा देती है हरियाली अमावस्या को, जनिये सावन अमावस्या का महत्त्व, हरियाली अमावस और ज्योतिष.
वर्ष 2025 में हरियाली अमावस्या 24 July गुरुवार को है। इस दिन गजकेसरी योग और बुधादित्य योग भी रहेगा गोचर कुंडली में । अमावस्या तिथि 24 जुलाई को तडके लगभग 2:30 बजे शुरू होगी और २५ जुलाई को तडके लगभग 12:41 बजे तक रहेगी.
सावन का महिना बहुत ख़ास होता है और इस महीने में पड़ने वाले अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं. ये दिन मानसून के महत्त्व को भी बताता है और हर तरफ हरियाली का प्रतिक है. हरियाली अमावस्या को इस दिन विशेषकर हिन्दू लोग अलग अलग प्रकार के कर्म काण्ड करते हैं जीवन को सफल बनाने के लिए. भक्त गण भगवान् शिव की विशेष पूजा अर्चना करते हैं श्रद्धा भक्ति से.
आइये जानते हैं की हरियाली अमावस्या को किन किन नामो से जाना जाता है?
- आन्ध्र प्रदेश में इसे “चुक्काला अमावस्या” के नाम से जाना जाता है.
- महाराष्ट्र में इसे “गटारी अमावस्या” के नाम से जाना जाता है.
- उड़ीसा में इसे “चिटालागी अमावस्या” के नाम से मनाया जाता है.
- गुजरात में इसे “दिवसो” के नाम से जाना जाता है.
- कर्णाटक में इसे “भीमाना अमावस्या” के नाम से जानते हैं.
आइये जानते है हरियाली अमावस्या का महत्त्व:
ज्योतिष के हिसाब से अमावस को पितरो के लिए कर्म काण्ड होता है. ये दिन पितरो को समर्पित है. इस दिन लोग पितरो को प्रसन्न करने के लिए क्रियाएं करते हैं. भारत में कई जगह तो हरियाली अमावस को मनाने के लिए मेले भी लगते हैं.
कुछ ज्योतिष मानते हैं की इस दिन भगवान् शिव की पूजा से कालसर्प दोष के दुष्परिणाम कम होते हैं, ग्रहण योग का प्रभाव कम होता है, पितृ दोष का प्रभाव भी कम होता है.
हरियाली अमावस को लोग पितृ तर्पण करते हैं, दान करते हैं, पूजा करते हैं पितरो की उच्च गति के लिए और उनके आशीर्वाद के लिए.
यही नहीं विभिन्न प्रकार की अन्य पूजाएँ भी होती है हरियाली अमावस्या को :
- काले जादू से छुटकारे के लिए भी पूजायें होती है इस दिन.
- ग्रहण शांति पूजा हो सकती है इस दिन.
- अगर किसी के वैवाहिक जीवन में समस्या आ रही हो तो वो भी पूजाएँ कर सकते हैं.
- ग्रह शांति पूजाएँ भी होती है इस दिन कुंडली में मौजूद ग्रहों को देखते हुए.
- हरियाली अमावस्या को विभिन्न प्रकार के उतारे भी होते हैं बुरी नजर और बुरी शक्तियों से बचने के लिए.
- कुछ लोग वशीकरण साधना भी करते हैं.
- कुछ तांत्रिक तंत्र सिद्धि और मंत्र सिद्धि की क्रिया भी करते हैं.
- भक्तगण शिव पूजा भी करते हैं स्वास्थ्य और सम्पन्नता के लिए.
- इस दिन पीपल पूजा का भी महत्त्व है
आइये जानते है की Hariyali Amavas को ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी ?
- सूर्य अपनी सम राशि कर्क में रहेगा।
- चन्द्रमा अपने मित्र राशि मिथुन में रहेंगे.
- मंगल अपने मित्र राशि सिंह में रहेंगे.
- बुध अपने शत्रु राशि कर्क में रहेंगे.
- गुरु अपने शत्रु राशि मिथुन में रहेंगे.
- शुक्र स्व राशि वृषभ में रहेंगे.
- शनि सम राशि मीन में रहेंगे.
- राहुअपने मित्र राशि कुम्भ में रहेंगे.
- केतु शत्रु राशि सिंह में रहेंगे.
- इसके अलावा 2 राजयोग बने रहेंगे गोचर कुंडली में - बुधादित्य योग और गजकेसरी योग.
क्या करे हरियाली अमावस को सफलता के लिए?
श्रवण महीने का एक महत्त्वपूर्ण दिन है हरियाली अमावस्या और हम इस दिन का उपयोग बहुत सी बाधाओं को हटाने के लिए कर सकते हैं.- कम से कम ४८ घंटे के लिए दीपक जलाएं अखंड शान्ति और सम्पन्नता के लिए.
- पवित्र नदियों में दीपक छोड़े पूर्वजो और उपरी शक्तियों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए.
- पितृ तर्पण करे दिवंगत आत्माओं की शांति और उच्चगति के लिए.
- शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करे शांति और सम्पन्नता के लिए.
- अगर कोई नकारात्मक उर्जा से ग्रस्त हो तो उनका उतरा भी कर सकते हैं.
- आप किसी अच्छे ज्योतिष से भी पूजाएँ करवा सकते हैं.
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