Bhadrapad Amavasya 2025 Date, Amavasya Kab Hai, भाद्रपद अमावस्या कब है 2025, कुश ग्रहणी अमावस्या के लिए ज्योतिष उपाय | इस साल कुशग्रहणी अमावस्या 23 अगस्त को है और शनिवार होने के कारण "शनि अमावस्या" भी रहेगा | अमावस्या तिथि प्रारंभ : २२ अगस्त को दिन में लगभग 11:57 बजे. अमावस्या तिथि समाप्त : २३ अगस्त को दिन में लगभग 11:36 बजे हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने की अमावस्या को कुश ग्रहणी और कुशोत्पतिनी अमावस्या के नाम से भी जानते हैं| ये अती महत्त्वपूर्ण दिन है और इस दिन जीवन में से बाधाओं को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार की पूजाओं को किया जाता है | Bhadrapad Amavasya Kab Hai jyotish upaay Watch Details on YouTube इस अमावस्या का एक नाम कुश ग्रहणी अमावस्या है जिससे पता चलता है की इस दिन एक पवित्र घास को इकट्टा किया जाता है और पूरे साल प्रयोग किया जाता है, इस घास का नाम है कुश | हर पूजा में इसका प्रयोग किया जाता है, हर कर्मकांड में इसका उपयोग होता है| पूजन के अवसर पर हम अनामिका अंगुली में कुश की अंगूठी पहनते हैं जिसे की पवित्री कहा जाता है | आइये जानते है...
अशुभ गुरु के उपाय, जानिए कुछ आसान उपाय गुरु के दुष्प्रभाव को कम करने के, कैसे पायें गुरु की कृपा.
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Ashubh Guru Ke Upaay Jyotish Me |
गुरु के उपाय जानने से पहले आइये जानते हैं की ख़राब गुरु और कमजोर गुरु में क्या अंतर है. अशुभ गुरु मतलब है की गुरु शत्रु राशि में बैठा है परन्तु कमजोर गुरु शुभ और अशुभ दोनों हो सकता है.इस लेख में हम सिर्फ अशुभ गुरु के उपाय ही देखने वाले है. कमजोर और दूषित गुरु के उपाय अलग अलग होते हैं अतः भ्रमित नहीं होना चाहिए.गुरु हमारे जीवन में बहुत महत्त्व रखता है और वैदिक ज्योतिष के हिसाब से गुरु बुद्धिमत्ता, पढ़ाई की शक्ति, धर्म, बैंकिंग, ज्ञान अर्जित करने की शक्ति, दुसरो को प्रभावित करने की शक्ति आदि से सम्बन्ध रखता है.अगर कुंडली में गुरु शुभ है तो जातक को सफल और आनंदायक जीवन की प्राप्ति बहुत ही आसानी से हो जाती है. वही दूषित गुरु अनेको समस्याएं उत्पन्न करता है जीवन में.
आइये जानते हैं की जन्मपत्रिका में गुरु अशुभ कैसे होता है ?
- कुंडली में गुरु अगर वृषभ राशि का बैठा हो तो ख़राब प्रभाव उत्पन्न करता है |
- मिथुन राशी का गुरु भी शत्रु का होता है और जातक के जीवन में परेशानी उत्पन्न करता है |
- तुला राशी का बृहस्पति भी अशुभ प्रभाव उतपन्न करता है |
- मकर राशि का बृहस्पति तो नीच का होता है और इससे जातक को और गंभीर परिणाम भुगतना पड़ता है |
- इसके अलावा अगर गुरु राहु या केतु के साथ बैठ जाए कुंडली के किसी भी भाव मे तो गुरु ग्रहण योग का निर्माण करता है और जातक को विभिन्न प्रकार के आर्थिक, पारिवारिक और सामाजिक परेशानियाँ देता है |
आइये जानते हैं की किस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती है ख़राब गुरु के कारण:
- अशुभ गुरु के कारण जातक को पढ़ाई में परेशानी आ सकती है.
- अशुभ गुरु जातक को नास्तिक बना सकता है.
- जातक के सम्बन्ध गुरु जानो से बिगड़ जाते हैं.
- जातक को धन – संपत्ति इकठ्ठा करने में परेशानी आती है.
- जातक दुसरो पर प्रभाव नहीं जमा पाता है.
- जातक का लीवर भी कमजोर हो सकता है.
अगर गुरु के कारण जीवन समस्या से ग्रस्त हो गया है तो अच्छे ज्योतिष से परामर्श ले के सही उपाय को अपनाना चाहिए.
गुरु पुष्य का महत्त्व
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आइये जानते हैं कुछ आसान उपाय अशुभ गुरु के प्रभाव को कम करने के लिए:
- गुरु शांति पूजा एक अच्छा तरीका है गुरु के दुष्प्रभाव को कम करने का.
- रोज गुरु के १०८ मंत्रो का कम से कम जप करे और अच्छे जीवन के लिए प्रार्थना करे.
- गुरुवार का व्रत करे और गुरु के चीजो का दान करे गुरुवार को.
- पुखराज धारण न करे अगर कुंडली में गुरु ख़राब है तो. पढ़िए पिला पुखराज का महत्त्व ज्योतिष में|
- किसी मंदिर में रोज जाएँ और ब्राह्मणों का आशीर्वाद ले.
- गुरुवार को मंदिर में केले का भोग लगाएं. पढ़िएगुरुवार को सफल बनाने के टोटके|
- गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करके दीपक लगाएं.
अशुभ गुरु के उपाय, जानिए कुछ आसान उपाय गुरु के दुष्प्रभाव को कम करने के,How to reduce ill effects of Jupiter?,कैसे पायें गुरु की कृपा.
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