Shukra Ka vrischik Rashi mai gochar ka rashifal , जानिए शुक्र गोचर के 12 राशियों पर प्रभाव, वैदिक ज्योतिष के अनुसार कौन भाग्यशाली हैं और किसका संघर्ष बढ़ेगा, venus transit in scorpio predictions, शुक्र वृश्चिक राशि में कब प्रवेश करेगा और क्या असर होगा 12 राशियों पर. shukra ka vrischik rashi Me gochar 2025: ग्रहों में शुक्र सबसे चमकीला ग्रह है और ज्योतिष के अनुसार यह प्रेम जीवन, रोमांस, गहने, ग्लैमर उद्योग, विवाह, सफलता, विलासिता आदि से संबंधित है और इसलिए शुक्र का गोचर बहुत महत्वपूर्ण है। यह जीवन में बहुत सारे बदलाव लाता है। यहाँ jyotishsansar.com के इस लेख में हम देखेंगे कि किसकी किस्मत चमकेगी,किनका संघर्ष बढेगा, पेशेवर जीवन कैसा होगा, निजी जीवन कैसा होगा, प्रेम जीवन कैसा रहेगा आदि। शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर कब होगा (तारीख और समय) ?: 26 November बुधवार को शुक्र अपनी राशि तुला को छोड़कर दिन में लगभग 11:10 बजे वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे । वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल है और शुक्र इस राशि में सम के होते हैं | अतः कुछ लोगो को इसका काफी फायदा मिलेगा | Shukra Ka vrishchik R...
Prêt chandal yoga kya hota hai, कैसे बनता है प्रेत चांडाल योग कुंडली में, कैसे जीवन में संघर्ष उत्पन्न होता है प्रेत चांडाल योग के कारण, जानिये कुंडली के बारा भावों में चांडाल योग का असर.
वास्तव में जब भी गुरु, राहू या केतु के साथ युति करता है कुंडली के किसी भी भाव में तो चांडाल योग का निर्माण होता है इसे ही अलग अलग लोग अलग अलग नामो से जानते हैं जैसे कोई इस योग को गुरु चांडाल योग बोलते हैं, कोई इसे प्रेत चांडाल योग बोलते हैं, कुछ इसे दरिद्र योग भी बोलते हैं आदि .
इसमें कोई शक नहीं की जब भी राहू और केतु गुरु के साथ किसी भी घर में बैठेंगे तो वो सम्बंधित कार्य को नुक्सान देंगे या फिर संघर्ष को बढ़ा देंगे. इसके कारण व्यक्ति को शादी में परेशानी आ सकती है, नौकरी में कठिनाई आ सकती है, व्यापार को स्थिर करने में समस्याए आ सकती है, समाज में एक विशेष स्थान बनाने में समस्या आ सकती है.
ग्रहों के शक्ति के अनुसार ये व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं. उदाहरण के लिए अगर शत्रु राशि के राहू केतु या गुरु की शक्ति कम हुई तो ये कम संघर्ष देंगे वही अगर इनकी शक्ति अधिक हुई तो जीवन को नरक भी बना सकते हैं.
अपवाद :
वास्तव में जब भी गुरु, राहू या केतु के साथ युति करता है कुंडली के किसी भी भाव में तो चांडाल योग का निर्माण होता है इसे ही अलग अलग लोग अलग अलग नामो से जानते हैं जैसे कोई इस योग को गुरु चांडाल योग बोलते हैं, कोई इसे प्रेत चांडाल योग बोलते हैं, कुछ इसे दरिद्र योग भी बोलते हैं आदि .
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| pret chandal yog |
इसमें कोई शक नहीं की जब भी राहू और केतु गुरु के साथ किसी भी घर में बैठेंगे तो वो सम्बंधित कार्य को नुक्सान देंगे या फिर संघर्ष को बढ़ा देंगे. इसके कारण व्यक्ति को शादी में परेशानी आ सकती है, नौकरी में कठिनाई आ सकती है, व्यापार को स्थिर करने में समस्याए आ सकती है, समाज में एक विशेष स्थान बनाने में समस्या आ सकती है.
ग्रहों के शक्ति के अनुसार ये व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं. उदाहरण के लिए अगर शत्रु राशि के राहू केतु या गुरु की शक्ति कम हुई तो ये कम संघर्ष देंगे वही अगर इनकी शक्ति अधिक हुई तो जीवन को नरक भी बना सकते हैं.
अपवाद :
परन्तु किसी भी निर्णय पर सिर्फ एक बार कुंडली देखके नहीं पहुचना चाहिए, ऐसे बहुत से कुंडली में मैंने पाया है की चंडाल योग के बावजूद भी वो बहुत सफल है अपने जीवन में. ऐसा तब होता है जब गुरु राहू के साथ बैठने पर भी बहुत सकारात्मक हो कुंडली में और राहू या केतु कमजोर हो, तो जातक को लाभ देता है.
आइये अब जानते हैं क्या प्रभाव होता है प्रेत चंडाल योग का कुंडली के विभिन्न घरों में:
कुंडली का पहला घर और गुरु चांडाल योग :
ये एक महत्वपूर्ण घर है और व्यक्ति के दिमाग , जीवन के लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित करता है अतः यहाँ अगर ये योग बन रहा है तो व्यक्ति क्रोधी होगा, संघर्षपूर्ण जीवन गुजारेगा. वैवाहिक जीवन भी संघर्षमय होगा.कुंडली का दूसरा घर और गुरु चांडाल योग :
इसके कारण जातक को अपने ससुराल से लाभ नहीं होता और साथ ही व्यापार या अन्य आय के क्षेत्र से भी कमाने में समस्याएं आती है.कुंडली का तीसरा घर और गुरु चांडाल योग :
यहाँ पर अगर ये ख़राब योग का निर्माण हो जाए तो व्यक्ति अपने शक्ति और सामर्थ्य का सही स्तेमाल नहीं कर पाता है और जीवन भर संघर्ष करता रहता है.कुंडली का चौथा घर और गुरु चांडाल योग :
सुख स्थान होने के कारण व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार के सुख से वंचित हो सकता है साथ ही यहाँ बैठा ग्रह कर्म स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है और उस घर को भी खराब करता है अतः इस दोष के निवारण हेतु कदम उठाना चाहिए.कुंडली का पांचवा घर और गुरु चांडाल योग :
अगर पांचवे घर में प्रेत चंडाल योग बने तो व्यक्ति को संतान समस्या, पढ़ाई में समस्या, भाग्योदय की समस्या आदि का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा भी देखा गया है की अच्छी पढ़ाई करने के बावजूद इस योग के कारण जातक को उसके हिसाब की नौकरी नहीं मिल पाती है.कुंडली का छठा घर और गुरु चांडाल योग :
यहाँ मौजूद योग व्यक्ति को शत्रुओं से परेशान करवाता है, स्वस्थ्य समस्याए देता है , अगर व्यक्ति का गण राक्षस हुआ तो नकारात्मक उर्जाओं से भी जातक परेशान रह सकता है.कुंडली का सातवां घर और गुरु चांडाल योग :
इसके कारण व्यक्ति जीवन में कई बार अपने करीबी से धोखा खता है साथ ही विवाह में परेशानी हो सकती है, साथी धोखा दे सकता है. विवाह बाद तलाक भी हो सकता है.कुंडली का आठवां घर और गुरु चांडाल योग :
यहाँ मौजूद ख़राब योग व्यक्ति को कई प्रकार की असाध्य बीमारियाँ दे सकता है , दुर्घटनाये करवा सकता है अतः सावधान रहना चाहिए.कुंडली का नवां घर और चांडाल योग :
यहाँ व्यक्ति को भाग्योदय की समस्या आती है परन्तु दूसरा पक्ष ये है की व्यक्ति कर्मठ होता है और अपनी कड़ी मेहनत के बल से सफलताएँ हासिल कर सकता है. परन्तु संघर्ष अधिक रहता है.कुंडली का दसवां घर और प्रेत चांडाल योग :
कार्य में अस्थिरता, नौकरी में परेशानी, विविध कष्ट के कारण जीवन संघर्षमय हो जाता है.कुंडली का ग्यारहवां घर और गुरु चांडाल योग :
यहाँ पर बुरा योग जातक से बुरे कार्यो से आय करवा सकता है और व्यक्ति जीवन में संतान से भी दुखी रह सकता है.कुंडली का बारहवां घर और गुरु चांडाल योग :
इसके कारण व्यक्ति बचत नहीं कर पाता , अनावश्यक खर्चे व्यक्ति को परेशान करते रहते हैं. कर्जा चढ़ जाता है. अतः सावधान रहना चाहिए.निवेदन :
लेख पढ़ के अपनी कुंडली को देखके किसी नतीजे पर मत पहुचिये, किसी अच्छे ज्योतिष से सलाह भी ले क्यूंकि जीवन में परेशानी के कई और कारण भी हो सकते हैं.आइये अब जानते हैं प्रेत चांडाल योग के कुछ उपाय:
- ऐसे में गुरु के साथ राहू या केतु की शांति पूजा सहायक हो सकती है.
- ब्राह्मणों का आशीर्वाद रोज लेना चाहिए.
- नारियल का दान करे मंदिर में जीतना हो सके इससे बहुत लाभ होगा.
- मदिरा, तम्बाखू का प्रयोग बिलकुल ना करे.
- गुर मंत्र का जप या फिर ज्योतिष से अपने लिए सही मंत्र जान के उसका जप लगातार करना चाहिए.
- गणपति मंत्र का जप भी ऐसे में लाभदायक है.
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जानिये कुंडली के बारा भावों में चांडाल योग का असर.

It is good knowledge.
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