श्रीगोविन्दशरणागतिस्तोत्रम्, Govinda Stotram, Sharanagati Stotram, Sanskrit Stotra, Vishnu Stotra, devotional prayer, Bhakti Stotra, Govinda prayer.
श्रीगोविन्दशरणागतिस्तोत्रम् के लाभ (फायदे):
"श्रीगोविन्दशरणागतिस्तोत्रम्" एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है, जो भगवान श्रीकृष्ण (गोविन्द) की शरण में जाने का भाव व्यक्त करता है। इसके नियमित पाठ से अनेक आध्यात्मिक, मानसिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं जैसे:
- शरणागति का भाव जागृत होता है
- भय और संकट से रक्षा होती है
- भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है
- पापों का नाश होता है
- मानसिक शांति और संतुलन में मदद मिलती है
- दैनिक जीवन में शुभता आने लगती है
- भगवान की कृपा प्राप्त होती है
- वैकुण्ठ प्राप्ति का भी यह एक महत्त्वपूर्ण साधन है
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Shri Govinda Stotram With Lyrics and Hindi Meaning |
🔹 मुख्य लाभ:
- शरणागति का भाव जागृत करता है: यह स्तोत्र हमें पूर्ण समर्पण की भावना सिखाता है।
- भय और संकट से रक्षा: रोग, भय, शत्रु आदि से रक्षा करता है।
- भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि: श्रीकृष्ण भक्ति गहराती है।
- पापों का नाश: आत्मशुद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
- मानसिक शांति: चिंता, क्रोध, अवसाद में राहत देता है।
- दैनिक शुभता: सौभाग्य, समृद्धि लाता है।
- भगवान की कृपा: दिव्यता और आनंद का संचार होता है।
- वैकुण्ठ प्राप्ति: मोक्ष का साधन बनता है।
📜 पाठ की विधि (संक्षेप में):
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- शांत चित्त से श्रीकृष्ण का ध्यान करें
- श्रद्धा और भावना से पाठ करें
- प्रातःकाल या संध्या समय उपयुक्त है
- पाठ के बाद "विष्णु सहस्रनाम" या "गोविन्द नाम" का जप करें (यदि चाहें)
📖 Shri Govinda Sharanagati Stotram (श्रीगोविन्दशरणागतिस्तोत्रम्)
गोविन्द गोकुलपते वसुदेवसूनो गोपाल कृष्ण गरुडध्वज गोपिनाथ । श्रीवासुदेव पुरुषोत्तम पद्मनाभ त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ १॥ ब्रह्मण्यदेव जनवल्लभ दीनबन्धो लक्ष्मीनिवास करुणालय कंसशत्रो । वैकुण्ठनाथ धरणीधर धर्मरूप त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ २॥ लक्ष्मीपते कमललोचन कल्मषारे वाराह वामन जनार्दन नन्दसूनो । पीताम्बरच्युत हरे मधुकैटभारे त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ ३॥ श्रीरामचन्द्र रघुनाथ जगच्छरण्य राजीवलोचन धनुर्धर रावणारे । सीतापते रघुपते रघुवीर राम त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ ४॥ नारायणाव्यय विभो भवबन्धनाश वेदान्तवेद्य यदुनन्दन विश्वरूप । श्रीवत्स श्रीधर गदाधर शङ्खपाणे त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ ५॥ गोपीपते यदुपते नवनीतचौर वृन्दावनेश मुरलीधर पद्मपाणे । गोवर्द्धनोद्ध रणधीर मुकुन्द शौरे त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ ६॥ सर्वज्ञ सर्वद शरण्य कृपासमुद्र कारुण्यरूप कमलाकर कैटभारे । दारिद्र्य दुःखविनिवारण विश्वबन्धो त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ ७॥ हे राधिका प्रिय अनन्त मुकुन्दकृष्ण विश्वेश्वराखिलगुरो कमायताक्ष । नारायणादि पुरुषेश पुराण विष्णो त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ ८॥ हे ईड्य यादवपते सरसीरुहाक्ष चैतन्यरूप परमेश्वर पूर्णकाम । अध्यात्मदीपपरमेश पुराण जिष्णो त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ ९॥ पद्मापते मधुरिपो जगदेकसाक्षिन् भृत्यार्तिनाशन नरेश्वर देव-देव । चाणूरमर्दन चतुर्भुज चक्रपाणे त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ १०॥ भो राधिका हृदय जीवन सुन्दराङ्ग ब्रह्मादिदेव परिपालक दैत्यशत्रो । केशि-प्रलम्ब-बक-धेनुक प्राणहारिन् त्रायस्व केशव हरे शरणागतं माम् ॥ ११॥ श्रीकृष्णशरणस्तोत्रं तदीयगुणसंयुतम् । सर्वाशुभहरं दिव्यं पठनाद्भक्तिदन्नृणाम् ॥ १२॥ इति श्रीगोविन्दशरणागतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
📝 Hindi Meanings of Shri Govindsharanagati Stotram (श्रीगोविन्दशरणागतिस्तोत्रम् — हिंदी अर्थ)
१.
हे गोविन्द! गोकुल के स्वामी! वसुदेव के पुत्र!
गोपियों के रक्षक, कृष्ण, गरुड़ध्वज, गोपिनाथ!
वासुदेव, श्रेष्ठ पुरुष, कमलनाभ!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
२.
हे धर्मप्रिय देव! जनप्रिय! दीनों के बंधु!
लक्ष्मी के निवास, करुणा के सागर, कंस के शत्रु!
वैकुण्ठनाथ, पृथ्वी के धारक, धर्मस्वरूप!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
३.
लक्ष्मीपति, कमल जैसे नेत्रों वाले, पापों को हरने वाले!
वाराह, वामन, जनार्दन, नन्द के पुत्र!
पीतांबरधारी, मधु-कैटभ के वधकर्ता!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
४.
श्रीरामचन्द्र, रघुनाथ, जगत के शरणदाता!
कमलनयन, धनुषधारी, रावण के शत्रु!
सीता के पति, रघुवीर राम!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
५.
नारायण, अविनाशी प्रभु, संसार बंधनों को तोड़ने वाले!
वेदों द्वारा जानने योग्य, यदुवंश के नन्दन, विश्वरूप!
श्रीवत्सचिह्नधारी, गदा और शंखधारी!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
६.
गोपियों के स्वामी, यदुवंशी नायक, माखन चुराने वाले!
वृन्दावन के प्रभु, मुरली बजाने वाले, कमलहस्त!
गोवर्धन उठाने वाले, धीर वीर मुकुन्द!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
७.
सर्वज्ञ, सब कुछ देने वाले, शरणागतों के रक्षक!
कृपा के सागर, दया के स्वरूप, कैटभ के शत्रु!
दरिद्रता और दुखों को दूर करने वाले, जगत के बंधु!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
८.
राधा के प्रिय, अनन्त, मुकुन्द, कृष्ण!
विश्वेश्वर, गुरुजन के भी गुरु, कमल-नयन!
आदिपुरुष, पुराण पुरुष, विष्णु!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
९.
पूज्य, यादवों के स्वामी, कमल जैसे नेत्रों वाले!
चैतन्यस्वरूप, पूर्णकाम परमेश्वर!
आध्यात्मिक ज्ञान के दीप, विजयी विष्णु!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
१०.
लक्ष्मीपति, मधु के शत्रु, समस्त जगत के साक्षी!
भक्तों के कष्टों को दूर करने वाले, नरों में श्रेष्ठ, देवों के देव!
चाणूर का वध करने वाले, चतुर्भुज, चक्रधारी!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
११.
राधिका के हृदय में बसने वाले, सुंदर रूप वाले!
ब्रह्मा आदि देवों के रक्षक, दैत्यों के शत्रु!
केशी, प्रलम्ब, बकासुर, धेनुक का वध करने वाले!
हे केशव! हे हरि! मेरी रक्षा करो, मैं तुम्हारी शरण में हूँ।
१२.
श्रीकृष्ण की शरण का यह स्तोत्र उनके गुणों से युक्त है।
इसके पाठ से सभी अशुभ दूर होते हैं और भक्ति प्राप्त होती है।
📜 समाप्ति पंक्ति:
इस प्रकार "श्रीगोविन्दशरणागतिस्तोत्रम्" पूर्ण हुआ।
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