Vichitra Veer Hanuman Mala Mantra Lyrics Aur Fayde, Vichitra Veer Hanuman Mantra Viniyog, विचित्र वीर हनुमान माला मंत्र.
Vichitra Veer Hanuman Mala Mantra: विचित्र वीर हनुमान माला मंत्र का जप अत्यंत शक्तिशाली और कल्याणकारी माना जाता है। यह मंत्र हनुमानजी की अद्वितीय वीरता, साहस, बुद्धि और पराक्रम का आह्वान करता है, जिसके प्रभाव से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा का भाव उत्पन्न होता है। इस मंत्र के नियमित जप से भय, नकारात्मक शक्तियों, बुरे स्वप्न और बाधाओं से रक्षा होती है तथा व्यक्ति के चारों ओर एक अदृश्य सुरक्षात्मक कवच बनता है। यह मंत्र आत्मविश्वास और मानसिक दृढ़ता बढ़ाता है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है। मंत्रजाप मन को शांत, स्थिर और एकाग्र करता है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता तथा कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। इसे बाधानिवारक माना जाता है, इसलिए जीवन की रुकावटें और अनचाही मुश्किलें धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। इसके अतिरिक्त यह मंत्र शरीर और मन में सकारात्मक कंपन उत्पन्न करता है, जिसका प्रभाव स्वास्थ्य और ऊर्जा पर भी देखा जाता है। हनुमानजी भक्ति, समर्पण और शक्ति के प्रतीक हैं, इसलिए इस मंत्र का जप साधक के आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होता है तथा उसे शत्रु, ईर्ष्या और विरोध जैसी नकारात्मक परिस्थितियों से मुक्त होने में मदद मिलती है।
अगर कोई साधक इसका ग्यारह सौ बार जप करे तो वह सभी शत्रुओं को वश में कर लेता है.
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| Vichitra Veer Hanuman Mala Mantra |
विनियोगः
ॐ अस्य श्रीविचित्रवीरहनुमन्मालामंत्रस्य श्रीरामचन्द्रो भगवानऋषिः
अनुष्टुप छन्दः श्रीविचित्रवीरहनुमान देवता ममाभीष्टसिद्ध्यर्थे
माला मंत्र जपे विनियोगः |
ऋष्यादिन्यासः
ॐ श्रीरामचन्द्रो भगवान् ऋषये नमः शिरसि |
अनुष्टुपछन्दसे नमः मुखे |
श्रीविचित्रवीर हनुमान देवतायै नमः हृदि |
ममाभीष्ट सिध्यर्थे मालमन्त्र जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे |
षडङ्गन्यासः
ॐ ह्रां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः |
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः |
ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः |
ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः |
ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |
ॐ ह्रां हृदयाय नमः |
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा |
ॐ ह्रूं शिखायै वौषट |
ॐ ह्रैं कवचाय हुम् |
ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट |
ॐ ह्रः अस्त्राय फट |
ध्यानं
वामे करे वैरवहं वहन्तं शैलं परे श्रृंखलमालयाढ़यम |
दधानमाध्मातसुवर्णवर्णं भजे ज्वलत्कुण्डल माँजनेयम ||
माला मंत्रः
ॐ नमो भगवते विचित्रवीरहनुमते
प्रलयकालानलप्रभाज्वलत्प्रतापवज्रदेहाय |
अञ्जनीगर्भसम्भूताय |
प्रकटविक्रमवीरदैत्यदानवयक्षराक्षसग्रहबन्धनाय
भूतग्रहप्रेतग्रहपिशाचग्रहशाकिनीग्रहडाकिनीग्रह
काकिनीग्रहकामिनीग्रह ब्रह्मग्रहब्रह्मराक्षसग्रह चोरग्रहबन्धनाय |
एहि एहि |
आगच्छागच्छ | आवेशयावेशय |
मम हृदयँ प्रवेशय प्रवेशय |
स्फुर स्फुर | प्रस्फुर प्रस्फुर |
सत्यं कथय कथय |
व्याघ्रमुखं बन्धय बन्धय |
सर्पमुखं बन्धय बन्धय |
राजमुखं बन्धय बन्धय |
सभामुखं बन्धय बन्धय |
शत्रुमुखं बन्धय बन्धय |
सर्वमुखं बन्धय बन्धय |
लङ्काप्रासादभञ्जन सर्वजनं में वशमानय वशमानय
श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सर्वानाकर्षय
आकर्षय शत्रून्मर्दय मर्दय
मारय मारय |
चूर्णय चूर्णय |
खे खे खे श्रीरामचन्द्राज्ञया प्रज्ञया मम कार्यसिद्धि कुरु कुरु
मम शत्रून् भस्मी कुरु कुरु स्वाहा ||
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः फट्
विचित्रवीरहनुमते मम सर्वशत्रून् भस्मीकुरु कुरु |
हन हन हुं फट् स्वाहा |
( एकादशशतवारं जपित्वा सर्वशत्रून वशमानयति नान्यथा इति )
|| इति श्री विचित्रवीर हनुमन्माला मंत्र सम्पूर्णं ||

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