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Bhoothnath Ashtkam Lyrics With Hindi Meanings

Bhoothnath Ashtkam Lyrics With Hindi Meanings, भूतनाथ अष्टकम ke fayde, Shiv pooja Mantra, daily shiva puja mantra. Bhoothnath Ashtkam:  भूतनाथ अष्टकम की रचना श्री कृष्ण दास जी ने की है। "Bhootnath Ashtkam" पारंपरिक रूप से शिव के ताण्डव, संहार, करुणा और उनकी भस्म-लेपित, अघोर रूप की उपासना के लिए पढ़ा जाता है। भूतनाथ का अर्थ है––समस्त भूत-प्रेत, गणों तथा सभी प्राणियों के स्वामी। यह अष्टक शिव के अघोर, ताण्डवमय, निर्भय और भस्म-लेपित स्वरूप का गहन वर्णन करता है। इसके पाठ से साधक के भीतर निडरता, आंतरिक शक्ति और मानसिक स्थिरता का विकास होता है। शिव के संहार और नृत्य स्वरूप का ध्यान मन में वैराग्य, अनित्यत्व का बोध और जीवन के गूढ़ तत्त्वों की समझ पैदा करता है। Bhoothnath Ashtkam Lyrics With Hindi Meanings Listen On YouTube Lyrics Of Bhootnath Ashtkam in Sanskrit: शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम् नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम् घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घंन्निनादम् भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||1|| कळकळकाळरूपं कल्लोळंकंकराळम् डम डम डमनादं डम्बुरुं डंकनादम् सम सम शक्तग्र...

Bhoothnath Ashtkam Lyrics With Hindi Meanings

Bhoothnath Ashtkam Lyrics With Hindi Meanings, भूतनाथ अष्टकम ke fayde, Shiv pooja Mantra, daily shiva puja mantra.

Bhoothnath Ashtkam: भूतनाथ अष्टकम की रचना श्री कृष्ण दास जी ने की है। "Bhootnath Ashtkam" पारंपरिक रूप से शिव के ताण्डव, संहार, करुणा और उनकी भस्म-लेपित, अघोर रूप की उपासना के लिए पढ़ा जाता है। भूतनाथ का अर्थ है––समस्त भूत-प्रेत, गणों तथा सभी प्राणियों के स्वामी। यह अष्टक शिव के अघोर, ताण्डवमय, निर्भय और भस्म-लेपित स्वरूप का गहन वर्णन करता है। इसके पाठ से साधक के भीतर निडरता, आंतरिक शक्ति और मानसिक स्थिरता का विकास होता है। शिव के संहार और नृत्य स्वरूप का ध्यान मन में वैराग्य, अनित्यत्व का बोध और जीवन के गूढ़ तत्त्वों की समझ पैदा करता है।

Bhoothnath Ashtkam Lyrics With Hindi Meanings, भूतनाथ अष्टकम ke fayde, Shiv pooja Mantra, daily shiva puja mantra
Bhoothnath Ashtkam Lyrics With Hindi Meanings

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Lyrics Of Bhootnath Ashtkam in Sanskrit:

शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम्

नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम्

घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घंन्निनादम्

भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||1||


कळकळकाळरूपं कल्लोळंकंकराळम्

डम डम डमनादं डम्बुरुं डंकनादम्

सम सम शक्तग्रिवं सर्वभूतं सुरेशम्

भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||2|| Bhoothnath Ashtkam


रम रम रामभक्तं रमेशं रां रारावम्

मम मम मुक्तहस्तं महेशं मं मधुरम्

बम बम ब्रह्मरूपं बामेशं बं विनाशम्

भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||3||


हर हर हरिप्रियं त्रितापं हं संहारम्

खमखम क्षमाशीळं सपापं खं क्षमणम्

द्दग द्दग ध्यानमूर्त्तिं सगुणं धं धारणम्

भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||4|| Bhoothnath Ashtkam


पम पम पापनाशं प्रज्वलं पं प्रकाशम्

गम गम गुह्यतत्त्वं गिरीशं गं गणानाम्

दम दम दानहस्तं धुन्दरं दं दारुणम्

भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||5||


गम गम गीतनाथं दूर्गमं गं गंतव्यम्

टम टम रूंडमाळं टंकारं टंकनादम्

भम भम भ्रम् भ्रमरं भैरवं क्षेत्रपाळम्

भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||6|| Bhoothnath Ashtkam


त्रिशुळधारी संहारकारी गिरिजानाथम् ईश्वरम्

पार्वतीपति त्वम्मायापति शुभ्रवर्णम्महेश्वरम्

कैळाशनाथ सतीप्राणनाथ महाकालम्कालेश्वरम्

अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ||7||


नीलकंठाय सत्स्वरूपाय सदा शिवाय नमो नमः

यक्षरूपाय जटाधराय नागदेवाय नमो नमः

इंद्रहाराय त्रिलोचनाय गंगाधराय नमो नमः

अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ||8|| Bhoothnath Ashtkam


तव कृपा कृष्णदासः भजति भूतनाथम्

तव कृपा कृष्णदासः स्मरति भूतनाथम्

तव कृपा कृष्णदासः पश्यति भूतनाथम्

तव कृपा कृष्णदासः पिबति भूतनाथम् ||9||

|| अथ श्रीकृष्णदासः विरचित 'भूतनाथ अष्टकम्' यः पठति निस्कामभावेन सः शिवलोकं सगच्छति ||

Hindi Meanings of Bhootnath Ashtkam Lyrics:


श्लोक 1 — अर्थ

मैं उस भूतनाथ शिव की वंदना करता हूँ—
जो शक्ति के स्वामी हैं, संहार और कल्याण दोनों के रूप हैं,
जो सदा नवीन तांडव नृत्य करते हैं,
जिनकी गर्जना घने मेघों जैसी भयानक है,
जो भस्म से विभूषित हैं।


श्लोक 2 — अर्थ

मैं उस भूतनाथ शिव की वंदना करता हूँ—
जो काल का भयावह रूप हैं,
जिनके डमरू का दिव्य नाद होता है,
जो महाशक्ति से युक्त हैं,
और जो सभी प्राणियों तथा देवताओं के स्वामी हैं,
जो भस्म धारण करते हैं।


श्लोक 3 — अर्थ

मैं भूतनाथ शिव का स्मरण करता हूँ—
जो रामभक्तों के भी ईश्वर हैं,
जिनका हाथ मुक्तिदान करता है,
जो ब्रह्मस्वरूप हैं और समय पर संहार करने वाले हैं,
जो भस्म से अलंकृत हैं।


श्लोक 4 — अर्थ

मैं भूतनाथ शिव की उपासना करता हूँ—
जो विष्णु के प्रिय हैं,
तीनों प्रकार के दुःखों का नाश करते हैं,
अत्यंत क्षमाशील हैं,
ध्यान के दिव्य स्वरूप हैं,
सगुण रूप से भी पूजनीय हैं,
और भस्म से विभूषित हैं।


श्लोक 5 — अर्थ

मैं भूतनाथ शिव की शरण लेता हूँ—
जो पापों का नाश करते हैं,
जिनका स्वरूप प्रकाशमान है,
जो गूढ़ आध्यात्मिक तत्व हैं,
गणों के स्वामी हैं,
दान व करुणा के दाता हैं,
दुष्टों के लिए कठोर रूप धारण करते हैं,
और भस्म से सुशोभित हैं।


श्लोक 6 — अर्थ

मैं उस भूतनाथ शिव को प्रणाम करता हूँ—
जो गीत, संगीत और ज्ञान के स्वामी हैं,
कठिन साधना से प्राप्त होते हैं,
कपालमाला धारण करते हैं,
भैरव रूप में क्षेत्रपाल हैं,
और भस्म से विभूषित हैं।


श्लोक 7 — अर्थ

मैं उस शिव को नमन करता हूँ—
जो त्रिशूलधारी और संहारकर्ता हैं,
गिरिजा के स्वामी हैं,
कैलाशपति और सतीप्राणनाथ हैं,
महाकाल और समय के ईश्वर हैं,
सिर पर अर्धचंद्र धारण करते हैं,
और भूतनाथ हैं।


श्लोक 8 — अर्थ

मैं उस शिव को प्रणाम करता हूँ—
जो नीलकंठ, सत्यस्वरूप और सदाशिव हैं,
यक्षरूपधारी, जटाधारी और नागभूषित हैं,
तीन नेत्रों वाले और गंगा को धारण करने वाले हैं,
सिर पर अर्धचंद्र जिनका अलंकार है,
और जो भूतनाथ रूप में पूज्य हैं।


श्लोक 9 — अर्थ

कृष्णदास आपकी कृपा से—
आपका भजन करता है,
आपको स्मरण करता है,
आपका दर्शन करता है,
और आपके दिव्य अमृततत्त्व को अनुभव करता है।


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