RinHarta Ganesh Stotra With Lyrics And Hindi Meaning, ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र | तुरंत फल देने वाला ऋण हर्ता गणेश स्त्रोत्रम.
RinHarta Ganesh Stotra: यह स्तोत्र भगवान गणेश के उस दिव्य रूप का स्मरण कराता है जो भक्तों के जीवन से ऋण, बाधाएँ, कष्ट और आर्थिक तंगी जैसी समस्याओं को दूर करने वाला माना जाता है। नियमित रूप से श्रद्धा और शुद्ध भाव से इसका पाठ करने से मन में आत्मविश्वास बढ़ता है, नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में स्थिरता तथा समृद्धि का मार्ग खुलता है। यह स्तोत्र मानसिक शांति प्रदान करता है और व्यक्ति को अपने कार्यों में सफल होने की प्रेरणा देता है। मान्यता है कि भगवान गणेश की कृपा से असमर्थता दूर होकर जीवन में उन्नति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साधक हर प्रकार के ऋण, दुःख और दरिद्रता से मुक्ति पाता है.
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| RinHarta Ganesh Stotra With Lyrics And Hindi Meaning |
Lyrics Of RinHarta Ganesh Strotram :
विनियोगः
ॐ अस्य श्रीऋण-हरण-कर्तृ-गणपति-मन्त्रस्य सदा-शिव ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीऋण-हर्ता गणपति देवता, ग्लौं बीजं, गं शक्तिः, गों कीलकं, मम सकल-ऋण-नाशार्थे जपे विनियोगः।
|| ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र ||
॥ ध्यान ॥
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम् ॥
॥ मूल-पाठ ॥
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥RinHarta Ganesh Stotra
तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥
पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ RinHarta Ganesh Stotra
इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमतां व्रजेत्।
फडन्तोऽयं महामन्त्रः सार्धपञ्चदशाक्षरः॥
अस्यैवायुतसङ्ख्याभिः पुरश्चरणमीरितम।
सहस्रावर्तनात् सद्यो वाञ्छितं लभते फलम्॥
भूत-प्रेत-पिशाचानां नाशनं स्मृतिमात्रतः॥
॥ इति श्रीकृष्णयामलतन्त्रागत-उमामहेश्वरसंवादे
ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
इसके साथ निम्न मंत्र की भी माला करे -
" ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुम् नमः फट "
Hindi Meaning of RinHarta Ganesh Strotram :
- मैं उस भगवान गणेश को प्रणाम करता हूँ जिनका वर्ण लाल सिंदूर के समान है, जिनकी दो भुजाएँ हैं, जो बड़े उदर (लम्बोदर) वाले हैं, कमल के आसन पर विराजमान हैं, और जिन्हें ब्रह्मा आदि देवता तथा सिद्धजन निरंतर सेवा करते हैं।
- सृष्टि की शुरुआत में ब्रह्माजी ने कार्य-सिद्धि के लिए गणेशजी की विधिवत पूजा की थी। वही पार्वतीनंदन गणेश हमेशा मेरे सभी ऋणों और कर्जों को समाप्त करें। RinHarta Ganesh Stotra
- त्रिपुरासुर के वध से पहले भगवान शिव ने गणेशजी की पूर्ण श्रद्धा से पूजा की थी। वही पार्वतीपुत्र मेरे ऋणों का नाश करें।
- हिरण्यकशिपु जैसे दैत्यों के संहार के लिए भगवान विष्णु ने भी गणेशजी की पूजा की थी। वही गणेशजी मेरे सभी प्रकार के ऋण दूर करें।
- देवी दुर्गा ने महिषासुर-वध से पहले गणनायक गणेश की विधि से पूजा की थी। वही पार्वतीपुत्र मेरे ऋणों का विनाश करें। RinHarta Ganesh Stotra
- कार्तिकेय (कुमार) ने तारकासुर के वध से पूर्व गणेशजी की आराधना की थी। वही गणेशजी मेरे सभी कष्ट और ऋण समाप्त करें।
- सूर्यदेव ने अपनी प्रकाश-शक्ति की सिद्धि के लिए गणेशजी का पूजन किया था। वही पार्वतीनंदन मेरे ऋणों का नाश करें।
- चंद्रदेव ने अपनी कान्ति और सौंदर्य की वृद्धि के लिए गणेशजी का पूजन किया था। वही गणेशजी मेरे सभी ऋण दूर करें।
- विश्वामित्र ऋषि ने अपनी कठोर तपस्याओं की सिद्धि और उनके संरक्षण के लिए गणेशजी की पूजा की। वही गणेशजी मेरे ऋणों का नाश करें।
- यह ऋणहर स्तोत्र अत्यंत दारिद्र्य-नाशक है। यदि कोई व्यक्ति इसे एक वर्ष तक प्रतिदिन एकाग्रता से पढ़े, तो उसके गहरे गरीबी और संकट भी दूर हो जाते हैं। RinHarta Ganesh Stotra
- यह स्तोत्र दारुण (कठोर) दारिद्र्य को दूर करके मनुष्य को कुबेर के समान समृद्ध बना सकता है।
- यह महान् मंत्र अत्यंत प्रभावशाली है। इस मंत्र के दस हज़ार (आयुत) जप को इसका पुरश्चरण (सिद्धि हेतु आवश्यक संख्या) बताया गया है।
- हज़ार बार जप करने पर भी साधक को तुरंत इच्छित फल प्राप्त हो जाता है।
- इसका केवल स्मरण करने मात्र से भूत-प्रेत-पिशाच आदि का नाश हो जाता है ।

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