Shiv Pradosh Mantra For Puja, शिव पूजा मंत्र सफलता के लिए, धन-ऐश्वर्य-संतान सुख-वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए शिव मंत्र, Daily Mantra, Evening mantra.
Pradoshstrotrashtkam(प्रदोषस्तोत्राष्टकम् ) ka paath प्रदोष व्रत या प्रदोष शिव पूजा के दौरान किया जाता है। इसमें प्रदोष काल की महिमा का वर्णन है और बताया गया है की प्रदोष काल में सिर्फ भगवान् शिव की पूजा करने से ही सभी देवी देवताओं के पूजा का फल प्राप्त होता है. प्रदोष काल में भगवान् शिव की पूजा करने से जातक को पारिवारिक सुख, सांसारिक सुख, सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
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Shiv Pradosh Mantra For Puja |
Lyrics of Pradoshstrotrashtkam/प्रदोषस्तोत्राष्टकम् in Sanskrit:
सत्यं ब्रवीमि परलोकहितं ब्रवीमि सारं ब्रवीम्युपनिषद्धृदयं ब्रवीमि ।
संसारमुल्बणमसारमवाप्य जन्तोः सारोऽयमीश्वरपदांबुरुहस्य सेवा ॥१॥
ये नार्चयन्ति गिरिशं समये प्रदोषे ये नार्चितं शिवमपि प्रणमन्ति चान्ये ।
एतत्कथां श्रुतिपुटैर्न पिबन्ति मूढास्ते जन्मजन्मसु भवन्ति नरा दरिद्राः ॥२॥
ये वै प्रदोषसमये परमेश्वरस्य कुर्वन्त्यनन्यमनसोंऽघ्रिसरोजपूजाम् ।
नित्यं प्रवृद्धधनधान्यकळत्रपुत्रसौभाग्यसंपदधिकास्त इहैव लोके ॥३॥
कैलासशैलभुवने त्रिजगज्जनित्रीं गौरीं निवेश्य कनकाचितरत्नपीठे ।
नृत्यं विधातुममिवाञ्चति शूलपाणौ देवाः प्रदोषसमये नु भजन्ति सर्वे ॥४॥
वाग्देवी धृतवल्लकी शतमुखो वेणुं दधत्पद्मजस्तालोन्निद्रकरो रमा भगवती गेयप्रयोगान्विता ।
विष्णुः सान्द्रमॄदङ्गवादनपटुर्देवाः समन्तात्स्थिताः सेवन्ते तमनु प्रदोषसमये देवं मृडानीपतिम् ॥५॥
गन्धर्वयक्षपतगोरगसिद्धसाध्यविद्याधरामरवराप्सरसां गणांश्च ।
येऽन्ये त्रिलोकनिलयाः सहभूतवर्गाः प्राप्ते प्रदोषसमये हरपार्श्वसंस्थाः ॥६॥
अतः प्रदोषे शिव एक एव पूज्योऽथ नान्ये हरिपद्मजाद्याः ।
तस्मिन्महेशे विधिनेज्यमाने सर्वे प्रसीदन्ति सुराधिनाथाः ॥७॥
एष ते तनयः पूर्वजन्मनि ब्राह्मणोत्तमः ।
प्रतिग्रहैर्वयो निन्ये न दानाद्यैः सुकर्मभिः ॥८॥
अतो दारिद्र्यमापन्नः पुत्रस्ते द्विजभामिनि ।
दद्दोषपरिहारार्थं शरणं यातु शङ्करम् ॥९॥
॥ इति श्रीस्कंदपुराणे प्रदोषस्तोत्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
Meaning of Pradoshstrotrashtkam in Hindi :
- मैं सच कहता हूँ, मैं दूसरी दुनिया के लिए जो अच्छा है वो बताता हूँ, मैं उपनिषदों के विचार बताता हूँ, जन्म लेने वाले हर तुच्छ प्राणी के लिए, एकमात्र सार्थक चीज़ भगवान की सेवा है।
- जो प्रदोष के समय भगवान शिव की पूजा नहीं करता, जो उस समय कम से कम उनके सामने झुकता नहीं, जो उस समय कम से कम शिव की कथा नहीं सुनता, वह मूर्ख आत्मा है जो जन्म-जन्मान्तर तक दरिद्र ही रहेगा।
- जो व्यक्ति प्रदोष के समय कमल के फूलों से भगवान शिव की पूजा करता है, उसे अपने बच्चों, पत्नी और मित्रों के साथ-साथ बहुत अधिक मात्रा में धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- प्रदोष के समय त्रिशूल धारण करने वाले भगवान तीनों लोकों की माता गौरी को बहुमूल्य रत्नों से जड़ित स्वर्ण आसन पर बिठाते हैं और स्वयं नृत्य करने के लिए तैयार होते हैं और सभी देवता इस समय उनकी स्तुति गाते हैं.
- ज्ञान की देवी वीणा बजाती हैं, सौ मुख वाले इंद्र बांसुरी बजाते हैं, कमल में जन्मे ब्रह्मा समय का ध्यान रखते हैं, देवी लक्ष्मी गाना शुरू कर देती हैं, भगवान विष्णु सहजता से डमरू बजाते हैं, और सभी देवता चारों ओर सेवा में खड़े होते हैं, और प्रदोष के समय भगवान शिव की प्रार्थना करते हैं।
- जब प्रदोष का समय आता है, तो गन्धर्व, यक्ष, पक्षी, साँप, ऋषि, विद्याधर, देवता, दिव्य नर्तक, भूत, और तीनों लोकों के सभी प्राणी, भगवान शिव के पास आकर खड़े हो जाते हैं।
- इसलिए प्रदोष के समय, केवल शिव की पूजा करने की आवश्यकता है, विष्णु, ब्रह्मा और अन्य की बजाय, भगवान शिव की उचित पूजा करने से सभी देवताओं के पूजा का फल मिलेगा।
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