हरतालिका तीज का त्यौहार कब है 2025 में , तीज पूजा का असान तरीका, hartalika teej significance in hindi, क्या फायदे है हरतालिका तीज का , हरतालिका व्रत और कथा, क्या करे मनोकामना पूर्ण करने के लिए हरतालिका तीज को. Hartalika teej 2025: भारत में भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष तृतीय तिथि को एक और महत्त्वपूर्ण त्यौहार मनाया जाता है जिसे हरतालिका तीज कहते है | ये त्यौहार कुंवारी और शादीसुदा महिलाए दोनों के लिए महत्त्व रखता है. कुंवारी कन्याएं और शादी सुदा महिलायें इस त्यौहार को बहुत ही उत्साह से मनाती है. Hartalika Teej Ka Mahattwa In Hindi Haritalika Teej 2025 Mahurat: हिन्दू पंचांग अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को आती है | सन 2025 में हरतालिका तीज 26August मंगलवार को मनेगा | इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लम्बी आयु होने, उनके सुखी जीवन और आरोग्यता के लिए व्रत रखती हैं. Watch Details on YouTube 2025 हरतालिका तीज व्रत: शुभ मुहूर्त: पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 August सोमवार को दिन में लगभग 12:...
माँ सरस्वती चालीसा ,Goddess Saraswati Chalisa lyrics In Hindi, Benefits of saraswati chalisa.
Mother Saraswati is the goddess of knowledge and devotees of goddess get the real knowledge and wisdom to make life successful. This is very good for students.![]() |
Saraswati Chalisa lyrics |
Benefits of Saraswati chalisa:
- Goddess is also known as Sharda and helps to develop strong mind power.
- The recitation of sarwaswati chalisa opens the way to gain knowledgeable.
- It helps to enhance concentration of mind.
- It is very good for musicians, orators, teachers and students.
- It enhance the luck and fame in life.
- It is also good for spiritual practitioners.
Lyrics of saraswati chalisa in hindi
॥दोहा॥जनक जननि पद कमल रज, निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
रामसागर के पाप को, मातु तुही अब हन्तु॥
<b>॥चौपाई॥</b>
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥
जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुजधारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती। जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥
तबहि मातु ले निज अवतारा। पाप हीन करती महि तारा॥
बाल्मीकि जी थे बहम ज्ञानी। तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामायण जो रचे बनाई। आदि कवी की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता। तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्धाना। भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा। केवल कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी। दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करै अपराध बहूता। तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥
राखु लाज जननी अब मेरी। विनय करूं बहु भांति घनेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा। कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधु कैटभ जो अति बलवाना। बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥
समर हजार पांच में घोरा। फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥
मातु सहाय भई तेहि काला। बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी। पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता। छण महुं संहारेउ तेहि माता॥
रक्तबीज से समरथ पापी। सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥
काटेउ सिर जिम कदली खम्बा। बार बार बिनवउं जगदंबा॥
जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा। छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥
भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई। रामचंद्र बनवास कराई॥
एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा। सुर नर मुनि सब कहुं सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना। निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी। जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी। नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा। दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता। कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित जो मारन चाहै। कानन में घेरे मृग नाहै॥
सागर मध्य पोत के भंगे। अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में। हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई। संशय इसमें करइ न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई। सबै छांड़ि पूजें एहि माई॥
करै पाठ नित यह चालीसा। होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा॥
धूपादिक नैवेद्य चढावै। संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करै हमेशा। निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें शत बारा। बंदी पाश दूर हो सारा॥
करहु कृपा भवमुक्ति भवानी। मो कहं दास सदा निज जानी॥
॥दोहा॥
माता सूरज कान्ति तव, अंधकार मम रूप।
डूबन ते रक्षा करहु, परूं न मैं भव-कूप॥
बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि, सुनहु सरस्वति मातु।
अधम रामसागरहिं तुम, आश्रय देउ पुनातु॥
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