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Shree Ganesh Kawach Ke Fayde|| श्री गणेश कवच

Shree ganesh kavach| गणेश कवच के फायदे  | lyrics of ganesh kawach |benefits of shree ganesh kawacham.

कवच का अर्थ है जो सुरक्षा करे अतः जब भी कवच का पाठ किया जाता है तो हमारे आस पास एक सुरक्षा घेरा का निर्माण हो जाता है और नकारात्मकता से हमारी रक्षा होती है | 

गणेश कवच शक्तिशाली मंत्रो से बना है जिसमे हम गणेशजी से सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं | 

श्री गणेश तो वैसे भी प्रथम पूज्य है, विघ्नहर्ता है, रिद्धि सिद्धि के दाता है अतः उनके कवच का पाठ हमे हर प्रकार के लाभ देता है अर्थात सुरक्षा के साथ ही हमे इस संसार में सुखो की प्राप्ति भी करवाता है |

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Shree Ganesh Kawach Benefits

Read in english about Benefits of Reciting Shree Ganesh Kawacham

आइये जानते हैं गणेश कवच के पाठ से क्या फायदे होते हैं ?

  1. अगर विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में न लग रहा हो तो इसका पाठ करना चाहिए |
  2. अगर व्यापार में हानि हो रही हो तो ganesh kawach का पाठ करना चाहिए |
  3. अगर हर काम में असफलता मिल रही हो तो श्री गणेश की पूजा करके रोज अधिक से अधिक गणेश कवच का पाठ करना चाहिए |
  4. अगर शत्रु परेशान कर रहे हों तो ganesh kawacham का पाठ नित्य करना चाहिए |
  5. अगर जन्म कुंडली में ग्रह ख़राब हो और परेशानी दे रहे हो तो श्री गणेश कवचम के पाठ से बहुत फायदा होता है |
  6. अगर घर में क्लेश हो रोज तो ऐसे में शांति के लिए इसका पाठ करना चाहिए |
  7. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करने के लिए भगवानगणेश की पूजा उपयुक्त है |

Shree ganesh kavach| गणेश कवच के फायदे  | lyrics of ganesh kawach |benefits of shree ganesh kawacham.


||गणेश कवच/Ganesh Kavach||

गौर्युवाच

एषोऽतिचपलो दैत्यान्बाल्येऽपि नाशयत्यहो ।

अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम ।।1।।


दैत्या नानाविधा दुष्टा: साधुदेवद्रुह: खला: ।

अतोऽस्य कण्ठे किंचित्त्वं रक्षार्थं बद्धुमर्हसि ।।2।।


मुनिरुवाच

ध्यायेत्सिंहगतं विनायकममुं दिग्बाहुमाद्यं युगे त्रेतायां तु मयूरवाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् ।

द्वापरे तु गजाननं युगभुजं रक्तांगरागं विभुं तुर्ये तु द्विभुजं सितांगरूचिरं सर्वार्थदं सर्वदा ।।3।।


विनायक: शिखां पातु परमात्मा परात्पर: ।

अतिसुंदरकायस्तु मस्तकं सुमहोत्कट: ।।4।।


ललाटं कश्यप: पातु भ्रूयुगं तु महोदर: ।

नयने भालचन्द्रस्तु गजास्यस्तवोष्ठपल्लवौ ।।5।।


जिह्वां पातु गणाक्रीडश्रिचबुकं गिरिजासुत: ।

पादं विनायक: पातु दन्तान् रक्षतु दुर्मुख: ।।6।।


श्रवणौ पाशपाणिस्तु नासिकां चिंतितार्थद: ।

गणेशस्तु मुखं कंठं पातु देवो गणञज्य: ।।7।।


स्कंधौ पातु गजस्कन्ध: स्तनौ विघ्नविनाशन: ।

ह्रदयं गणनाथस्तु हेरंबो जठरं महान् ।।8।।


धराधर: पातु पाश्र्वौ पृष्ठं विघ्नहर: शुभ: ।

लिंगं गुज्झं सदा पातु वक्रतुन्ड़ो महाबल: ।।9।।


गणाक्रीडो जानुजंघे ऊरू मंगलमूर्तिमान् ।

एकदंतो महाबुद्धि: पादौ गुल्फौ सदाऽवतु ।।10।।


क्षिप्रप्रसादनो बाहू पाणी आशाप्रपूरक: ।

अंगुलीश्च नखान्पातु पद्महस्तोऽरिनाशन ।।11।।


सर्वांगनि मयूरेशो विश्र्वव्यापी सदाऽवतु ।

अनुक्तमपि यत्स्थानं धूम्रकेतु: सदाऽवतु ।।12।।


आमोदस्त्वग्रत: पातु प्रमोद: पृष्ठतोऽवतु ।

प्राच्यां रक्षतु बुद्धीश आग्नेय्यां सिद्धिदायक: ।।13।।


दक्षिणस्यामुमापुत्रो नैर्ऋत्यां तु गणेश्वर: ।

प्रतीच्यां विघ्नहर्ताऽव्याद्वायव्यां गजगर्णक: ।।14।।


कौबेर्यां निधिप: पायादीशान्यामीशनन्दन: ।

दिवोऽव्यादेलनन्दस्तु रात्रौ संध्यासु विघ्नह्रत् ।।15।।


राक्षसासुरवेतालग्रहभूतपिशाचत: 

पाशांकुशधर: पातु रज:सत्त्वतम:स्मृति: ।।16।।


ज्ञानं धर्मं च लक्ष्मीं च लज्जां कीर्तिं तथा कुलम् ।

वपुर्धनं च धान्यश्र्च ग्रहदारान्सुतान्सखीन् ।।17।।


सर्वायुधधर: पौत्रान्मयूरेशोऽवतात्सदा ।

कपिलोऽजाबिकं पातु गजाश्रवान्विकटोऽवतु ।।18।।


भूर्जपत्रे लिखित्वेदं य: कण्ठेधारयेत्सुधी: ।

न भयं जायते तस्य यक्षरक्ष:पिशाचत: ।।19।।


त्रिसंध्यं जपते यस्तु वज्रसारतनुर्भवेत् ।

यात्राकाले पठेद्यस्तु निर्विघ्नेन फलं लभेत् ।।20।।


युद्धकाले पठेद्यस्तु विजयं चाप्नुयाद्ध्रुवम् ।

मारणोच्चटनाकर्षस्तंभमोहनकर्मणि ।।21।।


सप्तवारं जपेदेतद्दिननामेकविशतिम ।

तत्तत्फलमवाप्नोति साधको नात्र संशय: ।।22।।


एकविंशतिवारं च पठेत्तावद्दिनानि य: ।

काराग्रहगतं सद्यो राज्ञा वध्यं च मोचयेत् ।।23।।


राजदर्शनवेलायां पठेदेतत्तत्त्रिवारत: ।

स राजानं वशं नीत्वा प्रक्रतीश्र्च सभां जयेत् ।।24।।


इदं गणेशकवचं कश्यपेन समीरितम् ।

मुद्गलाय च तेनाथ मांडव्याय महर्षये ।।25।।


मज्झं स प्राह कृपया कवचं सर्वसिद्धिदम् ।

न देयं भक्तिहीनाय देयं श्रद्धावते शुभम् ।।26।।


अनेनास्य कृता रक्षा न बाधाऽस्य भवेत्कचित् ।

राक्षसासुरवेतालदैत्यदानवसंभवा ।।27।।

Ganesh Kavach/गणेश कवच विशेष:

कैसे करें गणेश कवच का पाठ ?

सबसे पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें – धुप, दीप, नवैद्य अर्पित करें और फिर भक्ति भाव के साथ गणेश कवच का पाठ करें |

गणेश चतुर्थी, बुधवार, गणेश उत्सव के समय तो गणेश कवच का पाठ जरुर करना चाहिए |

ग्रहण के समय भी इसका पाठ जरुर करें |


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सफलता के लिए गणेश मंत्र 

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