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Ashwini nakshtra Ke Log Kaise hote hain jyotish anusar

नक्षत्र ज्योतिष, अश्विनी नक्षत्र वाले जातक कैसे होते हैं, personality of ashwini nakshatra people as per vedic astrology, वैदिक ज्योतिष द्वारा जानिए, नक्षत्र कैसे जीवन को प्रभावित करता है | 

नक्षत्र ज्योतिष में हम 27 नक्षत्र के आधार पर भविष्यवानियाँ करते हैं | पहले के समय में राशियों की जगह नक्षत्रो के आधार पर भी भविष्यकथन होता था जो की ज्यादा सटीक होता है | 

all about Ashwini nakshtra mai janme log kaise hote hain
Ashwini nakshtra Ke Log Kaise hote hain jyotish anusar

वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों को समझना बहुत आवश्यक है और इसी का असर व्यक्ति के ऊपर सबसे ज्यादा पड़ता है| अगर हमे अपनी शक्तियों को समझना है तो हमे ये जानना आवश्यक है की हमारा जन्म नक्षत्र क्या है | 

आइये जानते हैं की वीदिक ज्योतिष में नक्षत्र क्या होते हैं ? 

चंद्रमा पृथ्वी की पूरी परिक्रमा 27.3 दिनों में करता है और 360 डिग्री की इस परिक्रमा के दौरान सितारों के 27 समूहों के बीच से गुजरता है। विभिन्न सितारों के समूहों को 27 नक्षत्रों में बांटा गया है । 

जातक के जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहता है उस पर उसी का प्रभाव सबसे ज्यदा देखा जाता है और इसी आधार पर उसके अन्दर शक्तियां भी पाई जाती है जिसे विकसित करके वो सुखी और सफल जीवन जी सकता है |

नक्षत्रो को जानके हम किस्मत का कनेक्शन जान सकते हैं | 

आइये अब जानते हैं कौन-कौन से हैं 27 नक्षत्र?

  1. अश्विन 
  2. भरणी 
  3. कृत्तिका नक्षत्र
  4. रोहिणी नक्षत्र
  5. मृगशिरा 
  6. आर्द्रा नक्षत्र
  7. पुनर्वसु 
  8. पुष्य 
  9. आश्लेषा नक्षत्र
  10. मघा
  11. पूर्वाफाल्गुनी 
  12. उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र
  13. हस्त 
  14. चित्रा नक्षत्र
  15. स्वाति नक्षत्र
  16. विशाखा 
  17. अनुराधा 
  18. ज्येष्ठा नक्षत्र
  19. मूल नक्षत्र
  20. पूर्वाषाढ़ा
  21. उत्तराषाढ़ा
  22. श्रवण नक्षत्र
  23. घनिष्ठा 
  24. शतभिषा
  25. पूर्वाभाद्रपद
  26. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
  27. रेवती नक्षत्र।


जब महुरत निकाले जाते हैं तो नक्षत्रो का स्तेमाल भी महत्त्वपूर्ण रूप से होता है, कुछ नक्षत्रो में कार्य करना वर्जित माना जाता है और कुछ नक्षत्र में कार्य शुरू करने से सफलता निश्चित होती है | जैसे शुभ कार्यो के लिए चोघडिया देखने के लिए ज्योतिष बोलते हैं वैसे है अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्यो में नक्षत्रो को भी देखना आवश्यक माना जाता है | इस पे आप बाद में बात करेंगे |

फिलहाल हम इस लेख में जानेंगे की किस जन्म में जन्म लेने वाला जातक कैसा होता है, उसमे कैसी शक्तियां होती है और वो अपने जीवन में क्या कर सकता है |

हर नक्षत्र के  4 चरण होते हैं |


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इस लेख में हम जानने वाले हैं अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक कैसे होते हैं ?

अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु हैं एवं देवता अश्विनी कुमार है |

आइए सबसे पहले जानते हैं कि अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म लेने वाले जातक कैसे होते हैं?

अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म लेने वाला जातक मध्यम कद काठी के होते हैं । जातक का सावला वर्ण होता है। ऐसे व्यक्ति अपने काम से काम रखने वाले होते हैं और सबसे पहले अपने कार्यो को पूर्ण करना चाहते हैं | ऐसे लोग विलास पूर्ण जीवन जीना चाहते हैं और उसके लिए प्रयत्नशील भी रहते हैं, कोई मौका छोड़ते नहीं हैं | 

अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक धार्मिक भी होते हैं और अगर ऐसे लोग धर्म से जुड़े किसी कार्य में संलग्न हो जाए तो अपने लक्ष्य के लिए जी जान लगा देते हैं | 

परन्तु ऐसे लोगो को बाँध के रखना संभव नहीं है, ये स्वतंत्र रूप से काम करना पसंद करते हैं | जीवन में कोई ना कोई लक्ष्य इनको उर्जा देता रहता है और उसे पाने के लिए ये भरपूर मेहनत करते हैं | 

अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मे व्यक्ति का जीवन साथी भाग्यशाली होता है परन्तु उनका स्वाभाव कठोर हो सकता है | 

ऐसे लोग गृहस्थी निभाने में भी माहिर होते हैं | 

ज्यादा जिम्मेदारियां इनको कई बार मस्तिष्क से सम्बंधित विकार से ग्रस्त कर देती है |

कोई डर भी इनको परेशां करता रहता है | 

आइए जानते हैं कि अश्विनी नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्म लेने वाले जातक कैसे होते हैं?

अश्विनी नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्म लेने वाले जातक सामान्य शरीर वाला होता है और अपने कार्यो को कैसे पूर्ण करना है या करवाना इस जुगाड़ में लगे रहता है । ऐसे जातकों को भौतिक सुख सुविधा खूब मिलता है, पारिवारिक जीवन भी इनका बहुत अच्छा रहता है, परिवार के लोगो के सहयोग से ऐसे लोग खूब तरक्की करते हैं अपने जीवन में | 

जातक को सुन्दर जीवन साथी प्राप्त होता है जो की स्वाभिमानी होता है। 

ऐसे जातको को कन्या संतान की प्राप्ति के योग अधिक रहते हैं | अश्विनी नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्म लेने वाले जातक का भाग्य उदय 20 वर्ष के लगभग होता है| 

आइए जानते हैं कि अश्विनी नक्षत्र के तृतीय चरण में जन्म लेने वाले जातक कैसे होते हैं?

अश्विनी नक्षत्र के तृतीय चरण में जन्म लेने वाले जातक सामान्य शरीर वाला और दिखने में सुंदर होता है स्वभाव से जातक माहोल के हिसाब से अपने आपको बदलने में माहिर होता है | जातक अवसरवादी भी होता है और उन्नति करने का कोई मौका छोड़ता नहीं । जातक जीवन में त्वचा रोग से पीड़ित हो सकता है है। जातक का जीवन साथी सुन्दर और धर्यशील होता है । इनको पुत्र अधिक होने के योग होते हैं | ऐसे जातको को आकस्मिक धन प्राप्ति के योग बनते हैं और जीवन में कभी ना कभी आकस्मिक धन की प्राप्ति होती ही है | ऐसे लोगो का भाग्योदय 26 वर्ष के लगभग होता है | 

आइए जानते हैं कि अश्विनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्म लेने वाले जातक कैसे होते हैं?

अश्विनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्म लेने वाले जातक शरीर से कमजोर परंतु सुंदर होते हैं । ऐसे लोग स्वभाव से चंचल होते हैं, अस्थिर होते हैं । कला के प्रति ऐसे लोगों का रुझान होता है। जातक महत्वकांक्षी व्यवहारिक होता है। अपने व्यापार से धन अर्जित करता है। जातक की वास्तविक उन्नति विवाह के बाद होना शुरू होती है । जातक अच्छी शिक्षा प्राप्त करता है और किसी ना किसी विषय का विशेषज्ञ होता है | ऐसे लोगो को अपने जीवन साथी का अच्छा साथ प्राप्त होता है |

हमारा जीवन पूरी तरह से ग्रहों और नक्षत्रो के अनुसार चलता रहता है, जानिए आपके कुंडली में ग्रह आपके जीवन को कैसे प्रभावित कर रहे हैं |

अगर किसी दिन आपका जन्म नक्षत्र पड़ता हो और उस दिन कोई विशेष महुरत भी हो तो ऐसे में अपने नए कार्यो को शुरू करे और देखे की आपके जीवन में कैसे सफलता आती है 

  • जानिए अपने करियर के बारे में |
  • अपने प्रेम जीवन के बारे में |
  • जन्म पत्रिका में मौजूद ख़राब ग्रहों के बारे में | 
  • अपने जन्म पत्रिका में मौजूद शक्तिशाली ग्रहों के बारे में | 
  • जानिए अपने भाग्यशाली रात्नो के बारे में | 

नक्षत्र ज्योतिष, अश्विनी नक्षत्र वाले जातक कैसे होते हैं, personality of ashwini nakshatra people as per vedic astrology, वैदिक ज्योतिष द्वारा जानिए, नक्षत्र कैसे जीवन को प्रभावित करता है | 

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