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Mokshda Ekadashi ka Mahattw in Hindi

मोक्षदा एकादशी का महत्त्व हिंदी ज्योतिष में, क्या फायदे होते हैं जानिए, क्यों करे mokshda ekadashi ka vrat, व्रत और आसान पूजा विधि. एकादशी तिथि ११ दिसम्बर बुधवार को तडके लगभग  ३:४४ AM पे शुरू होगी और १२ दिसम्बर गुरुवार को रात्री में ही लगभग १:१० AMतक रहेगी अतः  उदय तिथि के अनुसार इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा। अगर कुंडली में पितृ दोष है या फिर स्वप्न में पितरो के दर्शन हो रहे हैं, या फिर जीवन में बार बार रूकावटो के कारण समस्याएं आ रही है तो मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखके पूजन करने से बहुत लाभ होते हैं.  Mokshda Ekadashi ka Mahattw in Hindi ऐसी मान्यता है की इस व्रत के पुण्य से पितरो के लिए मोक्ष का रास्ता खुल जाता है और जीवन से पितृ दोष के कारन जो समस्याएं आ रही हो वो भी हट जाती है. इस दिन श्रद्धा और भक्ति से विष्णु आराधना करने से पापो से मुक्ति मिलती है. ऐसी मान्यता है की मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण के मुख से श्रीमदभगवद् गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) का जन्म हुआ था. इसीलिए मोक्षदा एकादशी के दिन ...

Autism Bimari Ke Jyotishiy Karan

Autism Bimari Ke Jyotishiy Karan,स्वलीनता और ज्योतिष उपचार, आटिज्म रोग के लिए कुंडली पढ़ने और वैदिक ज्योतिष के माध्यम से समाधान।

स्वलीनता (ऑटिज़्म) मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है। हिन्दी में इसे 'आत्मविमोह' और 'स्वपरायणता' भी कहते हैं | ऑटिज्म एक विकासात्मक विकार है जो सामाजिक संपर्क और संचार के साथ कठिनाइयों को दिखता है | ऑटिज्म आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से जुड़ा हुआ है।

शोध के अनुसार केवल भारत में ही 18 मिलियन लोग ऑटिज्म से पीड़ित हैं।

दुनिया में ऑटिज्म की सबसे अधिक दर वाले कुछ अन्य देश हैं=
United States, South Korea, Saudi Arabia, Canada, Australia, Japan, United Kingdom, Denmark, Israel, China.

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Autism Bimari Ke Jyotishiy Karan

चिकित्सा ज्योतिष में, हम जन्म चार्ट को सूक्ष्मता से पढ़कर स्वलीनता (ऑटिज़्म) के ग्रह कारणों को खोजने में सक्षम हैं क्योंकि वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हर घटना के पीछे ग्रहों का प्रभाव होता है |

ऑटिज्म(Autism) के मुख्य ज्योतिष कारणों का पता लगाने के लिए लग्न, द्वितीय भाव और तृतीय भाव का अध्ययन महत्वपूर्ण है। इसके साथ बुध ग्रह का अध्ययन भी महत्वपूर्ण है।
 
कई बार लग्न कुंडली से ये नहीं पता चल पाता है की बच्चे को ये बिमारी हो सकती है की नहीं ऐसे में चन्द्र कुंडली का विश्लेषण भी महत्त्वपूर्ण होता है |

ऑटिज्म के लक्षण क्या हैं?

यह रोग विकास विकार से संबंधित है और इसलिए स्वलीनता (ऑटिज़्म) से प्रभावित व्यक्ति कई मुद्दों से पीड़ित हो सकता है जैसे -
ध्यान की कमी, अवसादग्रस्तता की प्रवृत्ति, जुनूनी बाध्यकारी विकार (OCD), नींद न आना, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता, अकेले होने की कोशिश करना, सही समय पर सही तरीके से बोलने में समस्या, डिस्प्रैक्सिया (विकास संबंधी समन्वय विकार (DCD), बहुत धीमी गति से सीखना, किसी के लिए बहुत भावुक या कोई भावनाएं और कुछ भी नहीं, मिजाज में बदलाव की बीमारी, अपने आप को ही नुक्सान पंहुचाने की प्रवृत्ति, पढ़ने और लिखने में समस्या, शारीरिक गतिविधियों आदि में निष्क्रिय रहना।

ये लोग सामाजिक होने में संकोच करते हैं क्योंकि उनके मन में हमेशा एक डर बना रहता है और इससे उनका स्वभाव अधिक उलझा हुआ सा हो जाता है।

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वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रह कैसे व्यक्ति के विकास को प्रभावित करते हैं?

  1. यदि लग्न ख़राब प्रभाव पैदा कर रहा है तो यह सीधे व्यक्ति के दिमाग को प्रभावित करता है। इसके साथ यदि लग्न का स्वामी भी ख़राब है तो यह भी व्यक्तित्व के लिए शुभ नहीं है।
  2. यदि लग्न में शत्रु के राहु या केतु का प्रभाव है तो यह समस्याग्रस्त मन की शक्ति की तीव्रता को भी बढ़ाता है।
  3. यदि जन्म कुंडली में दूसरा घर किसी भी तरह से ख़राब हो या दूसरे घर का स्वामी अशुभ है तो यह व्यक्ति की वाक् शक्ति को अथात बोलने की शक्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
  4. यदि कुंडली का दूसरा घर अशुभ राहु या केतु से प्रभावित होता है या इसका स्वामी अशुभ ग्रहों से प्रभावित होता है, तो व्यक्ति भी बेहतर तरीके से जीवन नहीं बना पाता है क्योंकि यह विकास को प्रभावित करता है।
  5. जन्म कुंडली का तीसरा घर भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे ताकत, क्षमता से जुड़ा हुआ है और इसलिए यदि यह घर सकारात्मकता पैदा नहीं कर रहा है, तो व्यक्ति को जीवन को सर्वश्रेष्ठ स्तर पर विकसित करने में असमर्थता के कारण जीवन में बहुत त्याग करना पड़ता है।
  6. यदि तृतीय भाव का स्वामी और लग्न का स्वामी एक दुसरे के भाव में बैठ जाते हैं और दोनों कुंडली में अशुभ स्थिति में हैं तो यह जीवन में एक बहुत ही जटिल स्थिति उत्पन्न करता है।
  7. यदि तृतीय भाव अशुभ राहु या केतु से प्रभावित है या तृतीय भाव का स्वामी अशुभ राहु या केतु से प्रभावित है तो यह भी नकारात्मक तरीके से व्यक्तित्व को प्रभावित करता है।
  8. इसके साथ यह भी देखा जाता है कि यदि बच्चे का जन्म अशुभ ग्रहों के गोचर में होता है तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
  9. न केवल बच्चे की कुंडली महत्वपूर्ण है बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य का अध्ययन करने के लिए माता-पिता की जन्म कुंडली भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि माता-पिता की कुंडली भी यह बताती है कि बच्चों का स्वास्थ्य कैसा होगा। मेरे अध्ययन में मैंने पाया है कि जिन लोगों के 5 वें घरों में अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, वे भी बच्चों के स्वास्थ्य से पीड़ित होते हैं।
  10. शोध में ये भी पाया गया है की अगर जन्म कुंडली के बारहवें घर में विष योग, या फिर अंगारक योग या फिर अन्य को ख़राब योग बन रहा हो तो ऐसे में भी जातक के मानसिक विकास में समस्या आ सकती  है |
  11. अगर अष्टम भाव का स्वामी नीच होक बारह्म्वें भाव में बैठ जाए तो भी ये जातक को किसी न किसी गंभीर रोग से ग्रस्त रखता है |
  12. बुद्धि और वाणी के कारक ग्रह बुध का कुंडली में कमजोर या ख़राब होना भी इस प्रकार की बिमारी देता है | 
तो वास्तव में जन्म कुंडली में प्रथम भाव, द्वितीय भाव, तृतीय भाव, अष्टम भाव, बारहवां भाव  Autism/ स्वलीनता  रोग से बहुत निकट से सम्बन्ध रखता है |

यहाँ ये बात भी ध्यान रखना है की आटिज्सम बिमारी की गंभीरता कुंडली में अशुभ ग्रहों की शक्ति और स्थिति पर निर्भर होती है।

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ऑटिज्म या व्यक्तित्व विकार के ज्योतिष उपाय:

ऑटिज़्म या विकास के मामले में उपचार का कोई एक नियम नहीं है क्योंकि बीमारी का कोई फिक्स कारण नहीं है। तो इस समस्या के समाधान इस बात पर निर्भर करते हैं कि कौन से ग्रह जीवन में समस्याएं पैदा कर रहे हैं और उस ग्रह की जन्म कुंडली में शक्ति और स्थिति कैसी है।

अगर स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले भाव और ग्रह ज्यादा शक्तिशाली नहीं है तो ऐसे में स्वास्थ्य में सुधार जल्दी होता है उपायों से परन्तु कुछ गंभीर स्थिति में पूरा लाभ नहीं मिल पाता है |


ऑटिज़्म या विकास विकार के ज्योतिष उपचार में शामिल हो सकते हैं:
  • रत्न
  • प्रार्थना
  • ग्रह शांती पूजा
  • दान
  • मंत्र जप
  • यंत्र प्रयोग आदि।
यदि कोई भी बच्चा ऑटिज्म बीमारी से गुजर रहा है तो यह एक विशेष अवधि के लिए हो सकता है या शायद यह लंबे समय तक जीवन को प्रभावित कर सकता है । सब कुछ कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है।

इसलिए किसी भी बीमारी के कारणों को जानने के लिए सबसे अच्छा तरीका है की अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करे और फिर किसी भी समस्या का सबसे अच्छा उपचार पता लगाना संभव है।

अगर आप बच्चे की समस्या, याददाश्त की समस्या, डर की समस्या का सामना कर रहे हैं तो परामर्श के लिए ज्योतिष से संपर्क कर सकते हैं और जान सकते हैं -
  • कौन से ग्रह जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर रहे हैं?
  • कौन सी पूजा फायदेमंद हैं?
  • पुरानी बीमारियों से कैसे उबरें?
  • कौन सा संक्रमण जीवन के लिए खतरनाक है?
  • किस प्रकार के चिकित्सा मुद्दे जीवन को परेशान कर सकते हैं?

आइये जानते हैं कुछ सरल उपाय जो आप घर में कर सकते हैं बच्चे के मानसिक विकास के लिए :

  1. घर में ॐ की ध्वनि चलायें इससे घर में सकारात्मक उर्जा बनेगी और इसका लाभ सभी को मिलेगा |
  2. किसी अच्छे आयुर्वेद के जानकार से सलाह लेके स्वर्ण प्राशन करवाएं बच्चे को, इससे बहुत लाभ होगा |
  3. अपने कुल देवी, कुल देवता और पितरों के नाम से दीपक जालाया करें और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करें, इससे रास्ते जरुर खुलेंगे |
  4.  अगर बच्चे की तबियत ज्यादा ख़राब रहती हो तो ऐसे में आपको चाहिए की रोज सुबह शाम महामृत्युंजय मंत्र से जल को अभिमंत्रित करके जल पिलाया करें |
  5. अगर आप कर सके तो रोज दत्तात्रेय कवच का पाठ करें और भगवान् से बच्चे के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें | उनके कृपा से हर विपत्ति का नाश होता है |
  6. बच्चे और माता पिता की कुंडली दिखवा के आप ज्योतिष उपाय भी प्राप्त कर सकते हैं जिससे की अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके |



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