Kundli Ke Pahle Ghar Mai Shani Ka Fal, लग्न में शनि का प्रभाव, कुंडली के पहले भाव में शनि का फल, लग्न में शनि के उपाय, Saturn in 1st house. जन्म कुंडली में पहला घर जिसे की लग्न भी कहा जाता है बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्यूंकि इसका सम्बन्ध हमारे मस्तिष्क से होता है और इसीलिए हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है, लग्न में मौजूद ग्रह और राशि का बहुत गहरा प्रभाव जातक पर रहता है जीवन भर | Kundli Ke Pahle Ghar Mai Shani Ka Fal Read in English - Saturn in First House Impacts अब आइये जानते हैं शनि ग्रह के बारे में कुछ ख़ास बातें ज्योतिष के अनुसार : हमारे कर्मो के फल को देने वाले ग्रह हैं शनिदेव इसीलिए इन्हें न्याय के साथ जोड़ा जाता है | वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि का सम्बन्ध मेहनत, अनुशाशन, गंभीरता, जिम्मेदारी, स्वाभिमान, दुःख, अहंकार, देरी, भूमि, रोग आदि से होता है | शनि ग्रह मेष राशि में नीच के होते हैं और तुला राशि में उच्च के होते हैं | शनि ग्रह की मित्र राशियाँ हैं – वृषभ, मिथुन और कन्या| शनि ग्रह की शत्रु राशियाँ है – कर्क, सिंह और वृश्चिक| Watch Video Here शनि की दृष्
शिव महिमा, शिवजी की पूजा का महत्त्व, क्या वस्तुएं प्रयोग होती है शिव पूजा में, कौन हैं भगवन भोलेनाथ, जानिए भोलेनाथ के परिवार को.
भारत भूमि दिव्य है और यहाँ पर विभिन्न देवी देवताओं की पूजा होती है. भारत भूमि का पुण्य इतना ज्यादा है की भगवान् भी अवतार के लिए इसी देश को चुनते आये हैं. देविक शक्तियों में से एक है भगवान् शिव जो सदेव संसार के कल्याण हेतु साधनारत रहते हैं. भगवन शिव निराकार है इसीलिए उनकी पूजा लिंग के रूप में की जाती है. ब्रह्माण्ड की उत्पाती से पहले भी शिव ही थे और उत्पत्ति के बाद भी वही है और विनाश के बाद भी वही रहेंगे.ये पूरा विश्व सिर्फ शिव का ही रूप है. हिन्दू मान्यता के अनुसार शिवरात्रि को भगवान् शिव का विवाह हुआ था इसीलिए ये दिन बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है.
Bhagwan Shiv Ka Mahattw |
भक्तो ने भगवान् शिव की मूर्ति को कल्पना से बनाया है और उसकी पूजा करते हैं जिसमे उनकी जटाएं हैं, हाथ में त्रिशूल है, गले में नाग की माला है, चन्द्रमा भी उनके मुकुट की शोभा बढ़ाते हैं. शिव ही ऐसी शक्ति है जो की जहर को भी पचा लेते हैं.
आइये जानते हैं की भगवान् शिव की पूजा में किन चीजो का प्रयोग होता है:
दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, बेलपत्र, मौसमी फल, आक के फूल, श्रीफल, ताम्बुल, इत्र, अक्षत, पंचमेवे धुप, दीप, धतुरा आदि. और अधिक पढ़िए >>
शिव पूजन का मंत्र है :
“”ॐ नमः शिवाय"
- भगवान् शिव के भक्तो के लिए कोई भी कार्य नामुमकिन नहीं होता है.
- शिवजी सर्वशक्तिमान है, सर्वज्ञ है और सर्वा व्यापी है. इस ब्रह्माण्ड में कुछ भी शिव से जुदा नहीं है. वे सब जगह हैं, अन्दर हैं, बहार है, हर पल में हैं और वो हमारे कार्य के साक्षी हैं.
- हर संकटों से बहार आने का सबसे आसान तरीका है “शिव पूजा”. उनकी कृपा से साधक धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्त करता है.
- जब साधक ध्यान में शिव को प्रकाश के रूप में अपने अंतर में देखता है तो उसके इस जीवन का हेतु पूर्ण हो जाता है. हर कोई भोलेनाथ को अपने ह्रदय में देख सकता है, उन्हें महसूस कर सकता है.
कौन है भगवान् शिव?
हिन्दू मान्यता अनुसार 3 मुख्या शक्तियों को माना गया है , ब्रह्मा, विष्णु और महेश. भगवान् शिव इन्ही 3 शक्तियों में से एक हैं जो की मोक्ष के प्रदाता है. शिव से जुड़े ग्रंथो में लिखा है की इस ब्रह्माण्ड का कण कण शिव ही है. शिव की अलग अलग रूपों में अपने आपके प्रकट करते हैं.
- योगी जन ध्यान में शिव का ही साक्षात्कार करते हैं.
- भक्तगण विभिन्न रूपों में शिव की आराधना करते हैं जैसे नटराज, महाकाल, अघोर, योगिराज, रूद्र आदि.
- शिव का पंचाक्षरी मंत्र पुरे विश्व में प्रसिद्द है.
- इनका महामृत्युंजय मंत्र भी बहुत शक्ति शाली है जिसका प्रयोग अकाल मृत्यु से बचाता है, रोग से बचाता है, आदि.
- इनके रूद्र मंत्रो का जप समस्त सुख सुविधाओं को प्रदान करता है.
आइये जानते हैं भगवान् शिव के परिवार के बारे में :
इनकी अर्धागिनी साक्षातशक्ति है जिन्हें हम पार्वती/गौरी, आदि शक्ति, दुर्गा आदि के नाम से जानते हैं. भगवान् कार्तिके और गणेशजी इनके पुत्र हैं. नंदी भी इनके बहुत नजदीक हैं और वे हमेशा उनकी सेवा में लगे रहते हैं. इनको भी हम इनके परिवार में ही मानते हैं, ये सभी गणों को नियंत्रित करते हैं.
“शिव पुराण” में इनकी सारी कहानियां दी गई हैं.
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