देव शयनी एकादशी कब है 2025 में , पद्मा एकादशी , हरी शयनी एकादशी किसको कहते है, क्या करे देव शयनी एकादशी को सफलता के लिए, जानिए ग्रहों की स्थिति . Devshayani Ekadashi 2025: अषाढ़ शुक्ल पक्ष का ग्यारहवां दिन बहुत ख़ास होता है भारत मे विशेषतः क्यूंकि मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान् विष्णु क्षीर सागर मे सोने के लिए चले जाते हैं. अलग अलग प्रान्तों मे अषाढ़ मास के ग्यारस को अलग लग नामो से जाना जाता है जैसे पद्मा एकादशी, प्रथमा एकादशी, हरी शयनी एकादशी आदि. इस पुरे दिन और रात भक्त गण भगवान् विष्णु की पूजा और आराधना मे लगे रहते हैं. इसी दिन चातुर्मास की शुरुआत भी होती है अर्थात इस दिन से ४ महीने तक साधू संत विशेष पूजा आराधना करते हैं और कहीं जाते आते भी नहीं है. Watch Video here वर्ष 2025 मे हरी शयनी एकादशी 6 जुलाई को है| मान्यता के अनुसार पद्मा एकादशी की शुरुआत राजा मानदाता से जुडी है. इन्होने अंगीरा ऋषि के कहने से अषाढ़ मास के ग्यारस को व्रत और विशेष पूजा की जिससे की इनके राज्य मे वर्षा हुई और सम्पन्नता आई. तभी से लोग भी इस दिन को मनाने लगे. Devshaya...
ज्योतिष ग्रहों, नक्षत्रो और खगोलीय घटनाओं के अध्ययन का विज्ञान है. हमारे जन्म पत्रिका में 9 ग्रह जिनमे सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु है अलग अलग भावो में बैठे रहते हैं, ज्योतिष का काम है इनके स्थिति, शक्ति, दृष्टी आदि का अध्ययन करके भविष्यवाणी करे. हर व्यक्ति की कुंडली एक दुसरे से भिन्न होती है और इसी के आधार पर उसके रंग, रूप, बोल चाल, व्यक्तित्त्व आदि में भिन्नता आती है.
हर व्यक्ति की अपनी एक सोच होती है, व्यवहार होता है. इसका कारण ये है की हर व्यक्ति के ऊपर ग्रहों का प्रभाव अलग हुआ है. ये सब कुंडली/जन्मपत्रिका के गहराई से अध्ययन से पता चलता है.
पृथ्वी घूम रहा है, सूर्य भी चल रहा है, हर ग्रह अपनी गति से चल रहा है लगातार और इसी बदलाव का असर लोगो के जीवन पर भी पड़ता है. इसी कारण जब ग्रह दशाये बदलती है तो व्यक्ति के जीवन में भी बदलाव देखा जाता है. इस बात का पता ज्योतिष से लगाया जाता है.
>जब कुंडली या जन्म पत्रिका का गहराई से अध्ययन होता है तो 5 बातो का ध्यान ज्योतिष रखते हैं:
- ग्रह कौन से भाव में बैठे है.
- ग्रहों की बल कैसा है.
- कुंडली में भावो की स्थिति कैसी है.
- वर्तमान में कौन से ग्रहों की दशा चल रही है.
- कौन से ग्रह अपनी जगहों को बदल रहे हैं.
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>बारीक़ ज्योतिषी अध्ययन के लिए ज्योतिष अलग अलग प्रकार के कुंडलियो का अध्ययन भी करते हैं जैसे :
- लग्न कुंडली – ये मुख्या कुंडली है जिससे जातक के रूप, रंग, व्यवहार, शक्ति, कमजोरी आदि को जाना जाता है.
- नवमांश कुंडली – इसका अध्ययन साधारणतः जातक के व्यक्तिगत जीवन, वैवाहिक जीवन, सुख को जानने के लिए किया जाता है.
- दशमांश कुंडली – ये कुंडली जातक के कर्म से सम्बन्ध रखता है, कामकाजी जीवन को बताता है.
जीवन के बारे में गहराई से जानने के लिए कुंडली का बारीकी से अध्ययन जरुरी है. सही और सटीक भविष्यवाणी के लिए कुंडली को बहुत बारीकी से देखा जाता है.
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