अघहन माह का महत्व — हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष के अनुसार अघहन माह, जिसे “मार्गशीर्ष मास” भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग का नवम महीना है। यह सामान्यतः नवंबर से दिसंबर के बीच आता है। यह माह कार्तिक के पश्चात आता है और शीत ऋतु के आरंभ का सूचक है। इस समय प्रकृति की ऊर्जा बाहरी क्रियाओं से हटकर अंतरमुखी होने लगती है, जिससे साधना, भक्ति और आत्मचिंतन के लिए यह काल अत्यंत उपयुक्त माना गया है। 2025 में 6 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक रहेगा अघहन/मार्गशीर्ष का महिना | Aghan Mahina Kab Se kab Tak Rahega धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भगवद गीता के दसवें अध्याय, 'विभूतियोग' में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं — “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् — “मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूँ।” यह वचन इस माह की असाधारण पवित्रता और श्रेष्ठता को दर्शाता है। अघहन का समय भक्ति, तप, दान और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत शुभ होता है। प्रमुख धार्मिक क्रियाएँ: इस माह में विशेष रूप से गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की उपासना का बहुत महत्व होता है। परिवार में सुख-शांति हेतु सत्यनारायण व्रत और कथा इस महीने में करना...
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| Eczema Ka Karan Aur Upchaar Jyotish Dwara |
एक बहुत ही समान्य रोग है जिसे की एक्जिमा या डर्मेटाइटिस भी कहते हैं. इस रोग के कारण त्वचा सूख सी जाती है और छोटे दाने उभर आते हैं, मीठी मीठी खुजली चलने लगती है जिसके कारण रोजाना के काम को अछे तरीके से करने में समस्या आती है. सामान्यतः रक्त में समस्या के कारण या फिर किसी प्रकार के एलर्जी के कारण एक्जिमा हो जाता है.
ये एक त्वचा रोग है.
आइये देखते हैं की शारीर के किन भागो में ज्यादातर एक्जिमा की समस्या देखने को मिलती है:
एक्जिमा सामान्यतः कलाई में परेशान कर सकता है जिसके कारण घड़ी पहनने में दिक्कत होती है. लगातार खुजली आती रहती है जिससे की काम करने में भी परेशानी होती है.
पीठ में भी एक्जिमा का असर हो सकता है जिसके कारण मीठी खुजली होती रहती है और सामान्य कार्यो को करने में भी समाया आती है.
दोनों जांघो में भी इसका प्रभाव होता है जिसके सबके सामने खुजली करने में भी शर्म सी महसूस होती है.
कुछ लोगो को अपने आन्तरिक अंगो में भी इस रोग के कारण परेशानी होती है.
पैर के नीचे के भागो में भी एक्जिमा परेशान करती है बहुत लोगो मे.
अतः ये रोग कहीं भी हो सकता है और इसका इलाज जितनी जल्दी हो जाए उतना अच्छा है अन्यथा ये बढ़ता जाता है.
ECZEMA के कारण क्या हो सकते हैं?
- गर्मी और उमस में लगातार काम करने के कारण पसीना जो आता है उससे ये रोग हो सकता है.
- सिंथेटिक कपड़ो के कारण भी कुछ लोगो को एक्जिमा हो सकता है. गर्मियों में इससे ज्यादा परेशानी हो सकती है.
- कुछ लोगो को धुल, धुएं आदि से एलर्जी होती है, ऐसे लोग जब इनके संपर्क में आते हैं तो एक्जिमा हो जाता है.
- मानसिक तनाव, हद से ज्यादा प्रेशर काम का भी इस प्रकार के रोग को बढ़ाता है.
- कुछ लोगो को विशेष प्रकार के कपड़े धोने के साबुन और नहाने के साबुन से, परफ्यूम आदि से भी एलर्जी होती है जिसके कारण त्वचा सम्बन्धी रोग हो जाते हैं.
आइये जानते हैं एक्जिमा के ज्योतिष कारण :
ग्रहों का प्रभाव हमारे ऊपर पूरा पूरा रहता है अतः जो भी होता है उसके पीछे ग्रहों के खेल को समझ कर भी इलाज संभव है. अतः अगर कोई बिमारी हो तो कुंडली को अच्छे ज्योतिष को दिखा के समाधान लेना चाहिए.
साधारणतः देखा गया है की जब कुंडली शुक्र खराब हो तो जातक त्वचा सम्बंधित रोगों से ग्रस्त हो जाता है. कुछ लोगो में दूषित शनि के प्रभाव के कारण भी एक्जिमा की समस्या देखी गई है. मंगल और शुक्र की युति भी त्वचा सम्बंधित रोग दे सकती है, ख़राब बुध के कारण भी ऐसी समस्या उत्पन्न हो सकती है.
अतः बहुत से कारण हो सकते हैं, अच्छे ज्योतिष को कुंडली दिखा के ही सही कारण पता किया जा सकता है.
आइये जानते हैं एक्जिमा का घरेलु इलाज:
- अपने नाखुनो को सही समय पर काटे, गंदे नाखुनो से खुजली करने से भी रोग बढ़ता जाता है.
- हमेशा वही साबुन, शैम्पू प्रयोग करे जो आपको सूट करे, हो सके तो आयुर्वेदिक या मेडिकेटिड प्रयोग करे.
- गर्मियों में सूती कपड़े पहने.
- प्रचुर मात्र में पानी पियें.
- पाचन तंत्र को स्वस्थ रखिये.
- अपने आपको ज्यादा समय के लिए भूखा न रखे.
- सही रत्न या धातु पहनने से पहले जरुरी सलाह ज्योतिष से ले.
अगर आप भी किसी बिमारी से पीड़ित है और ज्योतिष से सलाह लेना चाहते हैं तो आप ज्योतिष संसार के माध्यम से संपर्क करके उचित मार्गदर्शन ले सकते हैं.
- जानिए कौन सी पूजा आपको रोग से मुक्त करेगी.
- जानिए कौन सा दान आपके लिए सही है.
- कौन सा रत्न भाग्य जगायेगा.
- पाइए अपने स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का समाधान.

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