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Kundli Ke Pahle Ghar Mai Shani Ka Fal

Kundli Ke Pahle Ghar Mai Shani Ka Fal, लग्न में शनि का प्रभाव, कुंडली के पहले भाव में शनि का फल, लग्न में शनि के उपाय, Saturn in 1st house. जन्म कुंडली में पहला घर जिसे की लग्न भी कहा जाता है बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्यूंकि इसका सम्बन्ध हमारे मस्तिष्क से होता है और इसीलिए हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है, लग्न में मौजूद ग्रह और राशि का बहुत गहरा प्रभाव जातक पर रहता है जीवन भर |  Kundli Ke Pahle Ghar Mai Shani Ka Fal Read in English - Saturn in First House Impacts अब आइये जानते हैं शनि ग्रह के बारे में कुछ ख़ास बातें ज्योतिष के अनुसार  : हमारे कर्मो के फल को देने वाले ग्रह हैं शनिदेव इसीलिए इन्हें न्याय के साथ जोड़ा जाता है | वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि का सम्बन्ध  मेहनत, अनुशाशन, गंभीरता, जिम्मेदारी, स्वाभिमान, दुःख, अहंकार, देरी, भूमि, रोग आदि से होता है |  शनि ग्रह मेष राशि में नीच के होते हैं और तुला राशि में उच्च के होते हैं | शनि ग्रह की मित्र राशियाँ हैं – वृषभ, मिथुन और कन्या| शनि ग्रह की शत्रु राशियाँ है – कर्क, सिंह और वृश्चिक| Watch Video Here शनि की दृष्

Mahakali Kawach Suraksha Ke Liye

काली कवच की शक्ति और प्रकार, mahakali kavach ka upyog kab Karen, सुरक्षा और शक्ति के लिए काली कवच, देवी काली के शत्रु विनाशक मंत्र, lyrics of kali kavach in Sanskrit.

महाकाली इस ब्रह्मांड में सर्वोच्च शक्तियों में से एक हैं और हमेशा भक्तों का ख्याल रखती हैं। वह दिव्य सकारात्मक ऊर्जाओं का स्रोत हैं और भक्तों को किसी भी प्रकार की बुरी शक्तियों, नकारात्मक ऊर्जाओं या काले जादू से बचाती हैं।

जो कोई भी शत्रु या किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, Bandhan dosh या काले जादू या बुरी नजर के प्रभाव से पीड़ित है, वह शक्तिशाली काली कवचम का जाप कर सकता है। 

माँ काली देवी का आक्रामक रूप हैं और बुरी शक्तियों को ख़त्म करने के लिए तैयार हैं।
वह उन भक्तों की महान रक्षक हैं जो उनका आशीर्वाद चाहते हैं। स्वामी रामकृष्ण परमहंस देवी काली के महान भक्तों में से एक हैं।
वह जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता, सभी प्रकार के काले जादू, दुखों, भ्रमों, बंधन दोष,  को आसानी से दूर करने में सक्षम है।
देवी काली भक्तों को जीवन के अंतिम लक्ष्य का आशीर्वाद देने में सक्षम हैं।
siddh mahakali kawach kyu rakhe
Mahakali Kawach Suraksha Ke Liye

सिद्ध महाकाली कवच कोई साधारण कवच नहीं होता है, दशको से लोग इस कवच के चमत्कारी प्रभाव का अनुभव कर रहे है और अपने आपको और अपने परिवार को बुरी शक्तियों से बचाए हुए है. ये कवच धारण करने वाले को बुरी शक्तयो से बचाता है, भूत प्रेत के बाधा से बचाता है, नजर दोष से बचाता है आदि. और यही नहीं अगर कोई ग्रहों की मार का सामना कर रहा है और कोई रास्ता नहीं दिख रहा है तो भी ये कवच बहुत लाभ दायक होता है. ये कवच ग्रहों दोषों से भी रक्षा करता है. अतः हम कह सकते हैं की जीवन को सफल बनाने में महाकाली कवच बहुत सहायक होता है.
 
सिद्ध महाकाली कवच से हमे रोज मर्रा के कार्य को अच्छी तरह से करने के लिए ऊर्जा भी मिलती है. माता की कृपा से भक्त सांसारिक सुख को भी भोग सकता है.
“या देवी सर्व भूतेशु शक्तिरूपेण संस्थिता ,
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः “

महाकाली कवच एक बहुत ही शुभ कवच है और यदि शुभ समय से इसका पाठ करना शुरू कर दिया जाए तो निस्संदेह व्यक्ति को देवी काली की कृपा आसानी से मिल जाएगी। यह कवच शांतिपूर्ण वातावरण बनाने में सक्षम है, यह कवच बुरी शक्तियों से रक्षा करने में सक्षम है। यह कवच पाठ या यंत्र व्यक्ति या वास्तु या घर या व्यवसाय स्थल को कई प्रकार की भौतिक और अदृश्य समस्याओं से बचाता है। यह स्वास्थ्य, धन और समृद्ध जीवन को आकर्षित करने में मदद करता है

अगर घर में कलह बहुत हो नकारात्मक उर्जा के कारण तो महाकाली यन्त्र को कवच के रूप में घर के मंदिर और द्वार पर स्थापित करने से रक्षा होती है. इससे घर में स्वास्थ्य, सम्पन्नता, सुख, शान्ति का वास होने लगता है. 

किसी रोग से मुक्ति के लिए भी इस कवच को धारण किया जा सकता है.

Lyrics of KALI KAVACHAM:

विनियोग

ॐ अस्य श्री कालिका कवचस्य भैरव ऋषिः,

अनुष्टुप छंदः, श्री कालिका देवता,

शत्रुसंहारार्थ जपे विनियोगः ।

ध्यानम्

ध्यायेत् कालीं महामायां त्रिनेत्रां बहुरूपिणीं।

चतुर्भुजां ललज्जिह्वां पूर्णचन्द्रनिभाननां।।

नीलोत्पलदलश्यामां शत्रुसंघविदारिणीं।

नरमुण्डं तथा खड्गं कमलं च वरं तथा।।

निर्भयां रक्तवदनां दंष्ट्रालीघोररूपिणीं।

साट्टहासाननां देवी सर्वदा च दिगम्बरीम्।।

शवासनस्थितां कालीं मुण्डमालाविभूषिताम्।


|| अथ कवचम ||

ऊँ कालिका घोररूपा सर्वकामप्रदा शुभा ।

सर्वदेवस्तुता देवी शत्रुनाशं करोतु मे ।।

ॐ ह्रीं ह्रीं रूपिणीं चैव ह्रां ह्रीं ह्रां रूपिणीं तथा ।

ह्रां ह्रीं क्षों क्षौं स्वरूपा सा सदा शत्रून विदारयेत् ।।

श्रीं ह्रीं ऐंरूपिणी देवी भवबन्धविमोचिनी।

हुँरूपिणी महाकाली रक्षास्मान् देवि सर्वदा ।।

यया शुम्भो हतो दैत्यो निशुम्भश्च महासुरः।

वैरिनाशाय वंदे तां कालिकां शंकरप्रियाम ।।

ब्राह्मी शैवी वैष्णवी च वाराही नारसिंहिका।

कौमार्यैर्न्द्री च चामुण्डा खादन्तु मम विदिवषः।।

सुरेश्वरी घोर रूपा चण्ड मुण्ड विनाशिनी।

मुण्डमालावृतांगी च सर्वतः पातु मां सदा।।

ह्रीं ह्रीं ह्रीं कालिके घोरे दंष्ट्र व रुधिरप्रिये ।

रुधिरापूर्णवक्त्रे च रुधिरेणावृतस्तनी ।।

अथ मन्त्रः
“ ऊँ कालिका मम शत्रून् खादय खादय हिंस हिंस मारय मारय

भिन्धि भिन्धि छिन्धि छिन्धि उच्चाटय उच्चाटय

द्रावय द्रावय शोषय शोषय स्वाहा ।

ह्रां ह्रीं कालीकायै मदीय शत्रून् समर्पयामि स्वाहा ।

ऊँ जय जय किरि किरि किटी किटी कट कट मदं

मदं मोहय मोहय हर हर मम रिपून् ध्वंस ध्वंस भक्षय

भक्षय त्रोटय त्रोटय यातुधानान् चामुण्डे सर्वजनान् राज्ञो

राजपुरुषान् स्त्रियो मम वश्यान् कुरु कुरु तनु तनु धान्यं

धनं मेsश्वान गजान् रत्नानि दिव्यकामिनी: पुत्रान्

राजश्रियं देहि यच्छ क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः स्वाहा ।”

फलश्रुति
इत्येतत् कवचं दिव्यं कथितं शम्भुना पुरा ।

ये पठन्ति सदा तेषां ध्रुवं नश्यन्ति शत्रव: ।।

वैरणि: प्रलयं यान्ति व्याधिता वा भवन्ति हि ।

बलहीना: पुत्रहीना: शत्रवस्तस्य सर्वदा ।।

सह्रस्त्रपठनात् सिद्धि: कवचस्य भवेत्तदा ।

तत् कार्याणि च सिद्धयन्ति यथा शंकरभाषितम् ।।

श्मशानांग-र्-मादाय चूर्ण कृत्वा प्रयत्नत: ।

पादोदकेन पिष्ट्वा तल्लिखेल्लोहशलाकया ।।

भूमौ शत्रून् हीनरूपानुत्तराशिरसस्तथा ।

हस्तं दत्तवा तु हृदये कवचं तुं स्वयं पठेत् ।।

शत्रो: प्राणप्रतिष्ठां तु कुर्यान् मन्त्रेण मन्त्रवित् ।

हन्यादस्त्रं प्रहारेण शत्रो ! गच्छ यमक्षयम् ।।

ज्वलदंग-र्-तापेन भवन्ति ज्वरिता भृशम् ।

प्रोञ्छनैर्वामपादेन दरिद्रो भवति ध्रुवम् ।।

वैरिनाश करं प्रोक्तं कवचं वश्यकारकम् ।

परमैश्वर्यदं चैव पुत्र-पुत्रादिवृद्धिदम् ।।

प्रभातसमये चैव पूजाकाले च यत्नत: ।

सायंकाले तथा पाठात् सर्वसिद्धिर्भवेद् ध्रुवम् ।।

शत्रूरूच्चाटनं याति देशाद वा विच्यतो भवेत् ।

प्रश्चात् किं-ग्-करतामेति सत्यं-सत्यं न संशय: ।।

शत्रुनाशकरे देवि सर्वसम्पत्करे शुभे ।

सर्वदेवस्तुते देवि कालिके त्वां नमाम्यहम् ।। 

॥ श्रीरुद्रयामल तन्त्रोक्तं कालिका कवचं समाप्तम् ॥


शुभ और सर्वोच्च दिव्य माँ काली, जो अपने स्वरूप में भयानक हैं और सभी इच्छाओं और इच्छाओं को पूरा करने वाली हैं, जिनकी पूजा सभी देवताओं और संपूर्ण सृष्टि के सभी प्राणियों द्वारा की जाती है, आंतरिक और बाहरी सभी शत्रुओं का विनाशक है।
वह भौतिक संसार के सभी बंधनों से मुक्ति दिलाने वाली है।
जिस तरह से भगवान शंकर की सबसे प्रिय माँ काली ने असुरों को नष्ट कर दिया, उसी तरह, वह हमारे सभी शत्रु प्रभावों को दूर कर देगी और हमें सभी भय और नकारात्मकताओं से मुक्त कर देगी।

इस कवच में हम माँ से प्रार्थना करते हैं की हमें पुरुषों और महिलाओं को आकर्षित करने की शक्ति प्रदान करें, हमें एक आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करें, हमें प्रचुर भोजन, धन और सभी प्रकार की संपत्ति प्रदान करें। वह हमें अनेक वाहन, घोड़े, हाथी, रत्न, संतान, राजसी स्वभाव और ऐश्वर्य वाले जीवनसाथी प्रदान करें। हमें हमारे लक्ष्यों तक ले जाने के लिए सभी ज्ञान प्रदान करता है|

यह अद्भुत कवच जब भक्त द्वारा निष्ठा से पढ़ा जाता है तो सभी दुश्मनों को नष्ट कर देता है और उन्हें हमें कोई नुकसान पहुंचाने से दूर रखता है।
आध्यात्मिक निहितार्थ यह है कि, हमारे भीतर भौतिक धन की इच्छाएं वश में हो जाती हैं, मन पर नियंत्रण प्राप्त हो जाता है |

जो शत्रु होते हैं वे विनाश की ओर जाने लगते हैं, वे भी सभी प्रकार की बीमारियों से पीड़ित होने लगते हैं, शत्रुओं पर सभी प्रकार के कष्ट आने लगते हैं |
जो भी इस काली कवच का पूर्ण निष्ठा से १००० बार पाठ करते हैं, उन्हें सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होंगी |

यह कवचम न केवल शत्रुओं का विनाश करने के लिए है, बल्कि इसका उपयोग किसी भी भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाओं को आकर्षित करने के लिए भी किया जा सकता है। यह आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से अपार धन देने वाला है और साथ ही संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए यह संतान देने वाला भी है।

कितने प्रकार से बन सकता है महाकाली कवच?

  • महाकाली कवच को पेंडेंट के रूप में गले में धारण किया जा सकता है.
  • महाकाली कवच को भोजपत्र पर यन्त्र के रूप में पूजा में स्थापित किया जा सकता है.
  • गोल्ड प्लेटेड यन्त्र के रूप में भी ये उपलब्ध होता है.
  • ताम्बे पर भी बना हुआ मिलता है काली यन्त्र.
  • कुछ जानकार महाकाली ये मंत्रो से अभिमंत्रित करके गंडे , ताबीज और धागे भी बना के देते हैं.
अतः अगर आप भी किसी समस्या से ग्रस्त है और उससे बाहर आना चाहते हैं तो संपर्क कर सकते हैं www.jyotishsansar.com के माध्यम से और ले सकते हैं ज्योतिषीय सलाह दुनिया के किसी भी कोने से.
  • बचाए अपने आप को काले जादू से सिद्ध महाकाली कवच के द्वारा.
  • खोलिए सफलता के द्वार अपने और अपनों के लिए ज्योतिष के माध्यम से.
  • बनाइये अपने आपको शक्तिशाली माँ काली की कृपा से.
और सम्बंधित ज्योतिषीय लेख पढ़े:
महाकाली यन्त्र की शक्ति

महाकाली कवच क्या है, क्या फायदे है महाकाली कवच के, कैसे बचाए अपने आपको बुरी शक्तियों और काले जादू से.

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