पौष अमावस्या का महत्त्व, December Amavasya, जानिए पौष अमावस्या में पूजा और व्रत का महत्त्व, क्या करे पोश अमावस्या को सफलता के लिए, 12 rashiyo par asar. Paush Amavasya: पौष का महिना बहुत महत्त्व रखता है भारतीय ज्योतिष के हिसाब से क्यूंकि इस महीने में बहुत से महत्ववपूर्ण पूजाएँ होती है. हिन्दू पंचांग के हिसाब से ये महिना दसवां महिना है और इस महीने की जो अमावस्या है वो कहलाती है “पौष अमावस्या” . इस दिन को की जाने वाली पूजाएँ सफलता के रास्ते खोल देती है, पितरो को संतुष्ट करती है, धनागमन के रस्ते खोलती है, जीवन को निष्कंटक बनाती है. 2025 में पौष अमावस्या 19 दिसम्बर शुक्रवार को है, अमावस्या तिथि 19 तारीख को तडके लगभग 5 बजे शुरू होगी और 20 तारीख को प्रातः लगभग 7:10 बजे समाप्त होगी. Paush Amavasya Ka Mahattw In Hindi अतः अगर कोई जीवन में धन की सुरक्षा चाहते हो, पितृ दोष से मुक्ति चाहते हो, शनि, राहू, केतु , ग्रहण योग के दुष्प्रभाव को कम करना चाहते हो तो उनके लिए पौष अमावस्या बहुत महत्त्व रखती है. जो लोग पौष अमावस्या को ह्रदय से प्रार्थना , पूजा पाठ करते हैं उनक...
शीतला अष्टमी का महत्व , शीतला माता का व्रत, कैसे करते है शीतला माता का पूजन, क्या फायदे होते हैं शीतला माता की पूजा करने के.
भारत में प्राचीन काल से शीतला माता का पूजन करने की परंपरा रही है, साल में एक बार होली के बाद शीतला अष्टमी का त्यौहार मनाया जाता रहा है, ऐसा विश्वास किया जाता है की शीतला माता का पूजन कई गंभीर बिमारिओं से हमारी रक्षा करता है.
होली के सात दिन बाद अर्थात कृष्णा पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतलाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है जिसमे की माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. इसी कारण इस त्यौहार को “बासोड़ा” के नाम से भी जाना जाता है.
भारत में प्राचीन काल से शीतला माता का पूजन करने की परंपरा रही है, साल में एक बार होली के बाद शीतला अष्टमी का त्यौहार मनाया जाता रहा है, ऐसा विश्वास किया जाता है की शीतला माता का पूजन कई गंभीर बिमारिओं से हमारी रक्षा करता है.
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होली के सात दिन बाद अर्थात कृष्णा पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतलाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है जिसमे की माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. इसी कारण इस त्यौहार को “बासोड़ा” के नाम से भी जाना जाता है.
क्या फायदे होते हैं शीतला माता पूजन का:
मान्यता के अनुसार शीतला माता भक्तो को कई प्रकार की गंभीर बिमारिओं से बचाती है जैसे की चेचक, खसरा , चरम रोग कई प्रकार के आदि.
सुन्दरता के लिए शारीर का निरोगी होना अति आवश्यक है इसी कारण शीतला माता का पूजन हमे जरुरी होता है, इनकी कृपा से एक स्वस्थ शारीर मिलता है जिससे की हम जीवन को सुगमता से जी सकते हैं.
स्कन्द पुराण में शीतलामाता पूजन का विवरण मिलता है. ये उत्सव हमे प्रेरित करता है सफाई रखने के लिए, ये उत्सव हमे वातावरण को साफ़ सुथरा रखने के फायदे बताता है, ये हमे स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है.
कैसे करते हैं शीतलामाता पूजन:
hindi पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को शीतला माता का पूजन करने का विधान है. परन्तु इस दिन से एक दिन पहले ही भक्त गण माता को भोग लगाने के लिए भोजन तैयार कर लेते हैं.
अष्टमी तिथि को सुबह ब्रह्म मुहुर्त में उठके साफ़ सफाई करके स्नान करके शीतला माता के मंदिर जाके विधिवत पूजा की जाती है और बसी भोजन का भोग लगाया जाता है. इसके बाद कुछ भक्त उपवास भी रह्लेते हैं और शाम को बसी भोजन से उपवास खोलते हैं.
- जो उपवास नहीं रखते हैं वो बासी भोजन की प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इस दिन कोई भी चूल्हा नहीं जलाता है.
- पूजन के बाद शीतला अष्टक स्त्रोत का पाठ भी करने का विधान है. और प्रसाद सगे सम्बन्धियों में, पड़ोसियों में बांटा जाता है.
- देखा जाए तो शीतला माता का पूजन हमे एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है, हमे बासी भोजन के महत्व को बताता है, हमे वातावरण को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है.
अतः माता का पूजन करे और आशीर्वाद प्राप्त करे, सबका सम्मान करे, साफ़ , सफाई और पवित्रता बनाए रखे. इससे सब निरोगी रहेंगे और जीवन को सुगमता से जी पायेंगे.
शीतला अष्टमी का महत्व , शीतला माता का व्रत, कैसे करते है शीतला माता का पूजन, क्या फायदे होते हैं शीतला माता की पूजा करने के.

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