अघहन माह का महत्व — हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष के अनुसार
अघहन माह, जिसे “मार्गशीर्ष मास” भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग का नवम महीना है। यह सामान्यतः नवंबर से दिसंबर के बीच आता है। यह माह कार्तिक के पश्चात आता है और शीत ऋतु के आरंभ का सूचक है। इस समय प्रकृति की ऊर्जा बाहरी क्रियाओं से हटकर अंतरमुखी होने लगती है, जिससे साधना, भक्ति और आत्मचिंतन के लिए यह काल अत्यंत उपयुक्त माना गया है।
2025 में 6 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक रहेगा अघहन/मार्गशीर्ष का महिना |
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| Aghan Mahina Kab Se kab Tak Rahega |
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
भगवद गीता के दसवें अध्याय, 'विभूतियोग' में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं —
“मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् — “मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूँ।”
यह वचन इस माह की असाधारण पवित्रता और श्रेष्ठता को दर्शाता है। अघहन का समय भक्ति, तप, दान और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत शुभ होता है।
प्रमुख धार्मिक क्रियाएँ:
- इस माह में विशेष रूप से गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की उपासना का बहुत महत्व होता है।
- परिवार में सुख-शांति हेतु सत्यनारायण व्रत और कथा इस महीने में करना बहुत शुभ होता है।
- इस महीने में अन्न, वस्त्र, और आवश्यक वस्तुएँ दान करने से पापों का क्षय और पुण्य की वृद्धि होती है।
- अघहन शुक्ल एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था, इसलिए यह दिन विशेष रूप से पवित्र माना जाता है और इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है।
ऋतु और मानसिक दृष्टिकोण से महत्व
अघहन माह हेमंत ऋतु का काल है। यह समय शांत, ठंडा और मन को स्थिर करने वाला होता है। आयुर्वेद के अनुसार इस समय शरीर और मन की शक्ति बढ़ाने, सात्त्विक आहार लेने और ध्यान साधना करने से मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार महत्व
ज्योतिषीय दृष्टि से अघहन मास के प्रारंभ में सूर्य वृश्चिक राशि में होता है और बाद में धनु राशि (जिसका स्वामी गुरु बृहस्पति है) में प्रवेश करता है। जिसके कारण यह समय आत्मविश्लेषण और मनोबल बढ़ाने का समय होता है। यह धर्म, ज्ञान और आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होने का समय है।
धर्म और साधना में अघहन का योगदान
अघहन मास को सात्त्विकता और धार्मिक अनुशासन का समय माना गया है। इस अवधि में किए गए सत्य, संयम, दया और कृतज्ञता के कार्य कई गुना फल देते हैं। इस दौरान मंदिरों में यज्ञ, भजन-कीर्तन, गीता पाठ और सत्संग का विशेष आयोजन होता है।
उपसंहार
अघहन या मार्गशीर्ष मास केवल एक धार्मिक काल नहीं, बल्कि भौतिक से आध्यात्मिक जीवन की ओर यात्रा का प्रतीक है। यह महीना हमें आत्मचिंतन, भक्ति और कृतज्ञता की दिशा में प्रेरित करता है। जैसा भगवान श्रीकृष्ण ने कहा — “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” — अर्थात् यह महीना स्वयं भगवान के स्वरूप के समान है। जो इस काल में श्रद्धा, दान और भक्ति करता है, उसे ईश्वरीय कृपा और आंतरिक शांति दोनों प्राप्त होती हैं।
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