Maa Baglamukhi Brahmastra Mantra Lyrics aur Fayde, Baglamukhi Brahmastra mantra, माँ बगलामुखी ब्रह्मास्त्र मंत्र.
Baglamukhi Brahmastra Mantra Lyrics: दशमहाविद्याओं में माँ बगलामुखी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इन्हें स्तंभन शक्ति की देवी कहा जाता है। साधक के जीवन में यदि शत्रु बाधाएँ, कोर्ट-कचहरी के मामले, वाद-विवाद, या मानसिक अशांति बनी रहती है, तो माँ बगलामुखी की उपासना से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं।
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| Maa Baglamukhi Brahmastra Mantra Lyrics aur Fayde |
माँ बगलामुखी के कई मंत्र प्रचलित हैं, किंतु बगलामुखी ब्रह्मास्त्र मंत्र को अत्यंत प्रभावशाली और दुर्लभ माना गया है। यह मंत्र साधक को अजेय शक्ति प्रदान करता है और शत्रुओं के दुष्कर्मों का नाश कर देता है।
यह मंत्र साधक को ब्रह्मास्त्र के समान दिव्य शक्ति देता है। इसके जप से –
- शत्रु की नकारात्मक ऊर्जा निष्फल हो जाती है।
- कोर्ट केस, चुनाव या वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है।
- तंत्र-मंत्र और काले जादू से सुरक्षा मिलती है।
- मानसिक शांति और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
Lyrics Of Baglamukhi Brahmastra Mantra In Sanskrit:
श्री बगलातन्त्रे ब्रह्मास्त्रमालामन्त्र
ॐ नमो, भगवति चामुण्डे नरकंक गृधोलूक परिवार सहिते श्मशानप्रिये नररुधिर मासं चरू भोजन प्रिये सिद्ध विद्याधर वृन्द वन्दित चरणे ब्रह्मेश विष्णु वरुण कुबेर भैरवी भैरवप्रिये इन्द्रक्रोध विनिर्गत शरीरे द्वादशादित्य चंदप्रभे अस्थि मुण्डकपाल मालाभरणे शीघ्र दक्षिणदिशि आगच्छ आगच्छ, मानय मानय, नुद - नुद अमुकं ( शत्रु का नाम लें ) मारय मारय, चूर्णय चूर्णय, आवेशयावेशय त्रुट - त्रुट, त्रोटय - त्रोटय, स्फुट - स्फुट, स्फोटय - स्फोटय, महाभूतान जृम्भय - जृम्भय, ब्रह्मराक्षसानुच्चाटयोच्चाटय, भूत प्रेत पिशाचान् मूर्च्छय - मूर्च्छय मम शत्रुन् उच्चाटयोच्चाटय, शत्रुन् चूर्णय - चूर्णय, सत्यं कथय - कथय, वृक्षेभ्यः सन्नाशय - सन्नाशय, अर्कं स्तम्भय - स्तम्भय, गरुड़ पक्षपातेन विषं निर्विर्ष कुरु - कुरु, लीलांगालय वृक्षेभ्यः परिपातय - परिपातय शैलकाननमहीँ मर्दय - मर्दय, मुख उत्पोटयोत्पाटय, पात्रं पूरय पूरय भूत भविष्यं यत्सर्वं कथय कथय कृन्त कृन्त दह दह पच पच मथ मथ पृमथ पृमथ घर्घर घर्घर ग्रासय ग्रासय विद्रावय विद्रावय उच्चाटयोच्चाटय विष्णु चक्रेण वरुणपाशेन, इन्द्रवज्रेण, ज्वरं नाशय - नाशय, प्रविदं स्फोटय - स्फोटय, सर्वं शत्रुन् मम वशं कुरु - कुरु, पातालं प्रत्यन्तरिक्षं आकाशग्रहं आनयानय, करालि, विकरालि, महाकालि, रुद्रशक्ते पूर्व दिशं निरोधय - निरोधय, पश्चिम दिशं स्तम्भय स्तम्भय दक्षिण दिशं निधय निधय उत्तरदिशं बन्धय बन्धय ह्रां ह्रीं ॐ बंधय - बंधय, ज्वालामालिनी स्तम्भिनी मोहिनी मुकुट विचित्र कुण्डल नागादि, वासुक़ी कृतहार भूषणे मेखला चन्दार्कहास प्रभंजने विद्युत्स्फुरित सकाश साट्टहासे निलय - निलय हुं फट् - फट्, विजृम्भित शरीरे सप्तद्वीपकृते, ब्रह्माण्ड विस्तारित स्तनयुगले, असिमुसल परशुतोमरक्षुरिपाशहलेषु वीरान शमय - शमय, सहस्त्रबाहु परापरादि शक्ति विष्णु शरीरे शंकर हृदयेश्वरी बगलामुखि विष्णु चालीसा सर्व दुष्टान विनाशय विनाशय हुम् फट स्वाहा | Baglamukhi Brahmastra Mantra Lyrics
ॐ ह्लीं बगलामुखि ये केचनापकारिणः सन्ति तेषां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय
जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं विनाशय विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा |
ॐ ह्रीं ह्रीं हिली हिली अमुकस्य ( शत्रु का नाम )
वाचं मुखं पदं स्तम्भय शत्रुं जिह्वां कीलय शत्रुणां दृष्टिमुष्टि गति मति
दन्त तालु जिह्वां बन्धय बन्धय मारय मारय शोषय शोषय हुम् फट स्वाहा ||
माँ बगलामुखी ब्रह्मास्त्र मंत्र साधना साधक को अद्वितीय शक्ति, आत्मविश्वास और शत्रुओं पर विजय प्रदान करती है। यह मंत्र तभी फलित होता है जब इसे श्रद्धा, पूर्ण विश्वास और उचित विधि-विधान से किया जाए।
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