Aja ekadashi kab hai, अजा एकादशी कब है| August Ekadashi| Gyaras ki sahi tarikh 18 ya 19, पारण का समय, पारण का मंत्र, gyaras puja mantra, कथा.
"अजा एकादशी" भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आती है। 2025 में Aja Ekadashi मंगलवार, 19 अगस्त 2025 को है. इस दिन गोचर कुंडली में गजलक्ष्मी, कलात्मक योग और गज केसरी योग भी बना रहेगा.
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Aja ekadashi kab hai | अजा एकादशी कब है |
हिन्दू पंचांग के अनुसार, एकादशी का समय
- अजा एकादशी तिथि प्रारंभ : 18 अगस्त 2025 की शाम को लगभग 5:24 बजे
- अजा एकादशी तिथि समाप्त : 19 अगस्त 2025 दोपहर को लगभग 3:33 बजे
तो उदय तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत १९ तारीख को को किया जायेगा।
पारण २० अगस्त को किया जाएगा।
धार्मिक महत्व
अजा एकादशी व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया व्रत, कथा श्रवण और भक्तिभाव से किए गए पूजन से व्रती के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
📖 अजा एकादशी व्रतकथा
एक समय महर्षि पुलस्त्यजी ने युधिष्ठिर महाराज से कहा –
“राजन! भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की जो एकादशी आती है, उसे ‘अजा एकादशी’ कहते हैं। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सब पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।
हे धर्मराज! अब आप इसकी कथा सुनिए—
🌸 कथा आरंभ
प्राचीन समय में सत्यप्रिय हरिश्चंद्र नामक एक महान प्रतापी राजा राज्य करते थे। वे सत्य और धर्म के पालन में अद्वितीय थे।
लेकिन एक बार महर्षि विश्वामित्र की प्रेरणा से उन्हें अपना राज्य, रानी और पुत्र तक त्यागना पड़ा।
राजा निर्धन होकर एक चांडाल के यहाँ दास बनकर श्मशान में कार्य करने लगे। वहाँ उन्हें अपने प्रिय पुत्र को भी अपने ही हाथों से जलाना पड़ा।
🌸 ऋषि गौतम का उपदेश
जब राजा हरिश्चंद्र अत्यंत दुःख और कष्ट में जीवन व्यतीत कर रहे थे, तब महर्षि गौतम वहाँ आए। उन्होंने राजा को धर्म पर स्थिर देखकर कहा—
“राजन! तुम्हारे दुःखों का कारण तुम्हारे पूर्वजन्म के पाप हैं। यदि तुम भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी का व्रत करो, तो तुम्हारे सब पाप नष्ट हो जाएँगे और तुम्हें समस्त सुख प्राप्त होगा।”
🌸 व्रत का प्रभाव
गौतम मुनि के उपदेश अनुसार राजा हरिश्चंद्र ने श्रद्धापूर्वक अजा एकादशी का व्रत किया।
उसके प्रभाव से उनके समस्त पाप नष्ट हो गए।
उनकी खोई हुई रानी और मृत पुत्र भी पुनः जीवित हो उठे।
राजा का राज्य उन्हें वापस मिल गया और वे पुनः सुखपूर्वक राज्य करने लगे।
🌸 फलश्रुति (फल)
हे युधिष्ठिर! जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत करता है, उसे वह फल प्राप्त होता है जो अश्वमेध यज्ञ करने से मिलता है।
इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के परम धाम को प्राप्त करता है।
🙏 अजा एकादशी व्रत की पूजा विधि
- प्रातः काल स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा/चित्र के सामने दीप जलाएँ।
- तुलसी पत्र, फूल, धूप, दीप, पंचामृत और फल अर्पित करें।
- दिनभर निर्जल व्रत या फलाहार के साथ उपवास करें।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- विष्णु सहस्रनाम, गीता या विष्णु कथा का पाठ करें।
- रात में जागरण करके भजन-कीर्तन करें।
- दूसरे दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर दान करें।
- पारण करते समय इस मंत्र का प्रयोग करें —
“ॐ अन्नं भगवान् विष्णुः। अन्नं ब्रह्मस्वरूपं ममोपवितव्रतपरिपूर्ण्यर्थं ब्राह्मणेभ्यो दत्तं तदनु आहारं करिष्ये।”
👉 अर्थात – “यह अन्न स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप है। इसे ब्राह्मणों को अर्पित करने के बाद मैं व्रत का समापन करके भोजन ग्रहण करूँगा।”
📿 अजा एकादशी व्रत मंत्र
पूजा करते समय इन मन्त्रों का उच्चारण कर सकते हैं :
- ॐ वासुदेवाय नमः
- ॐ विष्णवे नमः
- ॐ नारायणाय नमः
🌟 अजा एकादशी का महत्व
- इस व्रत से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होते हैं।
- व्रती को मोक्ष की प्राप्ति और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
- जीवन में सत्य, धर्म और सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।
- यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ है जो कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हों।
विशेष ध्यान
- व्रत के दिन तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा) वर्जित है।
- तुलसी पत्र का सेवन और अर्पण अति शुभ माना जाता है।
🙏 निष्कर्ष
इस प्रकार अजा एकादशी का व्रत जीवन में सत्य, धर्म, मोक्ष और पापों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
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