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May Mai Kaun Se Grah Badlenge Rashi

May 2025 में कौन से ग्रह बदलेंगे चाल, जानिए तारीख और समय , May 2025 Grah Gochar, कौन से महत्त्वपूर्ण बदलाव होंगे इस महीने गोचर कुंडली में. May 2025 Grah Gochar:  ग्रहों की चाल समय समय पर बदलती रहती है जिसका असर हमारे जीवन में देखने को मिलता है | May 2025 में भी कई ग्रह अपना राशि परिवर्तन करेंगे जिसके कारण कुछ लोगो को बहुत लाभ होगा व्यापार और नौकरी में, कुछ लोगो की चिंताएं बढेंगी, कुछ लोगो को बिमारी से राहत मिलेगी, कुछ लोगो की अधूरी इच्छाएं पूरी होंगी आदि | मई २०२५ के महीने में 6 ग्रहों का राशि परिवर्तन होने वाला है जो की हैं  बुध, सूर्य,  गुरु, राहु, केतु और  शुक्र जिसके कारण जन जीवन में, वैश्विक स्तर पर बहुत बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे. May Mai Kaun Se Grah Badlenge Rashi WatchVideo here आइये जानते हैं Grah Gochar May 2025: 7 मई को बुध मेष राशि में प्रवेश करेंगे तड़के लगभग 3:54 AM बजे. Read rashifal here 14 मई को सूर्य वृषभ राशि में गोचर करेंगे रात्री में लगभग 11:51 बजे.  15 मई को गुरु ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे रात्री में लगभग 2:30 AM पे....

Guru Ashtkam Lyrics with hindi meanings

 श्री गुरु अष्टकम के बोल, Guru Ashtakam by Shrī Ādi Shankarāchārya, meaning in hindi.

आदि शंकराचार्य जी के द्वारा रचा गया एक अद्भुत अष्टकम है जिसमे गुरु के महत्त्व को बताया गया है | इसका पाठ हमे अपने गुरु के प्रति और श्रद्धावान बनाता है | 

आदि शंकराचार्य जी कहते हैं की कैसे भी धन हो, कैसा भी सुख हो परन्तु अगर हमारा मन गुरु चरणों में नहीं लगा तो सब व्यर्थ है |

उनके अनुसार अपार धन-संपत्ति, ज्ञान, कीर्ति, और यहाँ तक कि यौगिक सफलता,सिद्धियाँ भी गुरु की कृपा के बिना व्यर्थ हैं।

इस लेख में हम जानेंगे श्री गुरु अष्टकम के बोल और उसका हिंदी अर्थ |

श्री गुरु अष्टकम के बोल, Guru Ashtakam by Shrī Ādi Shankarāchārya, meaning in hindi.
Guru Ashtkam Lyrics with hindi meanings

Shree Guru Ashtkam Lyrics in Sanskrit:

|| ॐ श्री गुरुभ्यो नमः ||

शरीरं सुरुपं तथा वा कलत्रं

यशश्चारू चित्रं धनं मेरुतुल्यम् ।

मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे

ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ 1 ॥


कलत्रं धनं पुत्रपौत्रादि सर्वं

गृहं बान्धवाः सर्वमेतद्धि जातम् ।

मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे

ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ 2 ॥


षडंगादिवेदो मुखे शास्त्रविद्या

कवित्वादि गद्यं सुपद्यं करोति ।

मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे

ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ 3 ॥

Listen Shri Guru Ashtkam On YOUTUBE

विदेशेषु मान्यः स्वदेशेषु धन्यः

सदाचारवृत्तेषु मत्तो न चान्यः ।

मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे

ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ 4 ॥

श्री गुरु अष्टकम के बोल, Guru Ashtakam by Shrī Ādi Shankarāchārya, meaning in hindi.

क्षमामण्डले भूपभूपालवृन्दैः

सदा सेवितं यस्य पादारविन्दम् ।

मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे

ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ 5 ॥


यशो मे गतं दिक्षु दानप्रतापात्

जगद्वस्तु सर्वं करे सत्प्रसादात् ।

मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे

ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ 6 ॥

श्री गुरु अष्टकम के बोल, Guru Ashtakam by Shrī Ādi Shankarāchārya, meaning in hindi.

न भोगे न योगे न वा वाजिराजौ

न कान्तामुखे नैव वित्तेषु चित्तम् ।

मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे

ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ 7 ॥


अरण्ये न वा स्वस्य गेहे न कार्ये

न देहे मनो वर्तते मे त्वनर्घ्ये ।

मनश्चेन्न लग्नं गुरोरंघ्रिपद्मे

ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम् ॥ 8 ॥


|| ॐ श्री गुरुभ्यो नमः ||

Shree Guru Ashtkam Meaning in Hindi:

आप का शरीर भले ही सुंदर हो, आप की पत्नी भी सुंदर हो, आप का यश चारों दिशाओं में हो, मेरु पर्वत की तरह विशाल धन संपत्ति हो, पर यदि आप का मन गुरु के चरणकमलों में न लगता हो तो फिर इन सब का क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है ?||1||

आपके पास धन हो, पुत्र, पौत्र हो, पत्नी हो, घर, भाई-बहन, सभी सगे संबंधी भी हों पर आप का मन यदि गुरु के चरणकमलों में न लगता हो तो इन सब का क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है ?||2||

श्री गुरु अष्टकम के बोल, Guru Ashtakam by Shrī Ādi Shankarāchārya, meaning in hindi.

आप के होठों पर सभी वेद एवं उनके छः अंग हों, आप सुंदर कविता करते हों, गद्य पद्य की सुंदर रचना करते हों, पर आप का मन यदि गुरु के चरणकमलों में न लगता हो तो इन सब का क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है ?||3||

 कोई ऐसा सोच सकता है कि 'मेरा विदेशों में बहुत आदर सम्मान होता है, मुझे अपने देश में धन्य माना जाता है, सदाचार के मार्ग पर मुझसे बढ़ कर कोई और नहीं है, पर उसका मन यदि गुरु के चरणकमलों में न लगता हो तो इन सब का क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है ?||4||

किसी का हर समय गुणगान होता रहता हो एवं सारे जगत के राजा, महाराजा, सम्राट उनके सामने उपस्थित हो कर उनका सम्मान करते हों पर यदि उसका मन गुरु के चरणकमलों में न लगता हो तो इन सब का क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है ?||5||

श्री गुरु अष्टकम के बोल, Guru Ashtakam by Shrī Ādi Shankarāchārya, meaning in hindi.

मेरे परोपकार, दान के कार्यों एवं मेरे कौशल का यश चारों दिशाओं में फैला हुआ है, जगत की सारी वस्तुएं मेरे गुणों के पुरस्कार के रूप में मेरे हाथों में हैं| ऐसा होने पर भी यदि मन गुरु के चरणकमलों में न लगता हो तो इन सब का क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है ?||6||

वैराग्य द्वारा, बाहरी आकर्षणों, योग एवं ध्यान जैसी सफलताओं, पत्नी के सुंदर मुख एवं पृथ्वी की समस्त धन, संपत्ति से भी मन दूर हट गया हो पर यदि मन गुरु के चरणकमलों में न लगता हो तो इन सब का क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है ?||7||

 वन में रहने का या घर में रहने का मन का आकर्षण समाप्त हो गया हो, कोई भी सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा समाप्त हो गयी हो, अपने शरीर को पुष्ट, स्वस्थ रखने की परवाह भी न रही हो पर यदि मन गुरु के चरणकमलों में न लगता हो तो इन सब का क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है, क्या अर्थ है ? ||8||

श्री गुरु अष्टकम के बोल, Guru Ashtakam by Shrī Ādi Shankarāchārya, meaning in hindi.

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