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Kamakhya kavach Lyrics and meaning in Hindi

Kamakhya kavach lyrics, कामख्या कवच के लाभ, किनके लिए जरुरी है, कैसे करें कामख्या कवच का पाठ ?, कामख्या कवच का हिंदी अर्थ |

जीवन जब बाधाओं से घिर गया हो, कोई रास्ता नजर न आ रहा हो, आपको लगता है की आपके ऊपर किसी ने कुछ तंत्र प्रयोग किया है , काला जादू किया है, बंधन दोष से आप जूझ रहे हैं, किसी साए से आप परेशान है तो घबराने की जरुरत नहीं है | माँ कामाख्या कवच का पाठ शुरू करें | जीवन में कैसी भी बाधा हो मुक्ति मिलेगी |

मान-सम्मान, व्यापार में लाभ, नौकरी में पदोन्नति, धन-संपदा की प्राप्ति माँ कामख्या के आशीर्वाद से हो जाता है | शत्रु कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो अगर कामाख्या कवच का पाठ किया जाये नित्य तो वो भी परास्त हो जाता है | अपनी भौतिक और अध्यात्मिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए Maa kamakhya kavach का पाठ रोज नियम से करिए |

Kamakhya kavach lyrics, कामख्या कवच के लाभ, किनके लिए जरुरी है, कैसे करें कामख्या कवच का पाठ ?, कामख्या कवच का हिंदी अर्थ |
Kamakhya kavach Lyrics and meaning in Hindi


कामख्या कवच के शक्तियों के बारे में स्वयं महादेव जी ने नारद जी को बताया था |

नारद जी ने महादेव से पूछा -

महेश्वर महाभय को दूर करने वाला भगवती कामाख्या कवच कैसा है, वह अब हमें बताएं।


नारद उवाच 

कवच कीदृशं देव्या महाभयनिवर्तकम। 

कामाख्यायास्तु तद्ब्रूहि साम्प्रतं मे महेश्वर।। 


महादेव उवाच 

शृणुष्व परमं गुहयं महाभयनिवर्तकम्।

कामाख्याया: सुरश्रेष्ठ कवचं सर्व मंगलम्।।


यस्य स्मरणमात्रेण योगिनी डाकिनीगणा:।

राक्षस्यो विघ्नकारिण्यो याश्चान्या विघ्नकारिका:।।


क्षुत्पिपासा तथा निद्रा तथान्ये ये च विघ्नदा:।

दूरादपि पलायन्ते कवचस्य प्रसादत:।।


निर्भयो जायते मत्र्यस्तेजस्वी भैरवोयम:। 

समासक्तमनाश्चापि जपहोमादिकर्मसु।

YouTube में सुनिए कवच को  

महादेव जी बोले सुरश्रेष्ठ भगवती कामाख्या का परम गोपनीय महाभय को दूर करने वाला तथा सर्वमंगलदायक वह कवच सुनिये, जिसकी कृपा तथा स्मरण मात्र से सभी योगिनी, डाकिनीगण, विघ्नकारी राक्षसियां तथा बाधा उत्पन्न करने वाले अन्य उपद्रव, भूख, प्यास, निद्रा तथा उत्पन्न विघ्नदायक दूर से ही पलायन कर जाते हैं। इस कवच के प्रभाव से मनुष्य भय रहित, तेजस्वी तथा भैरवतुल्य हो जाता है। जप, होम आदि कर्मों में समासक्त मन वाले भक्त की मंत्र-तंत्रों में सिद्घि निर्विघ्न हो जाती है।।

Kamakhya kavach lyrics, कामख्या कवच के लाभ, किनके लिए जरुरी है, कैसे करें कामख्या कवच का पाठ ?, कामख्या कवच का हिंदी अर्थ |

कामाख्या देवी कवच ||

ओं प्राच्यां रक्षतु मे तारा कामरूपनिवासिनी।

आग्नेय्यां षोडशी पातु याम्यां धूमावती स्वयम् ।।1।।


नैर्ऋत्यां भैरवी पातु वारुण्यां भुवनेश्वरी।

वायव्यां सततं पातु छिन्नमस्ता महेश्वरी ।।2।।


कौबेर्यां पातु मे देवी श्रीविद्या बगलामुखी।

ऐशान्यां पातु मे नित्यं महात्रिपुरसुन्दरी ।।3।।


ऊध्र्वरक्षतु मे विद्या मातंगी पीठवासिनी।

सर्वत: पातु मे नित्यं कामाख्या कलिकास्वयम् ।।4।।


ब्रह्मरूपा महाविद्या सर्वविद्यामयी स्वयम्।

शीर्षे रक्षतु मे दुर्गा भालं श्री भवगेहिनी ।।5।। 


त्रिपुरा भ्रूयुगे पातु शर्वाणी पातु नासिकाम।

चक्षुषी चण्डिका पातु श्रोत्रे नीलसरस्वती ।।6।। 


मुखं सौम्यमुखी पातु ग्रीवां रक्षतु पार्वती।

जिव्हां रक्षतु मे देवी जिव्हाललनभीषणा ।।7।। 


वाग्देवी वदनं पातु वक्ष: पातु महेश्वरी।

बाहू महाभुजा पातु कराङ्गुली: सुरेश्वरी ।।8।। 


पृष्ठत: पातु भीमास्या कट्यां देवी दिगम्बरी।

उदरं पातु मे नित्यं महाविद्या महोदरी ।।9।।


उग्रतारा महादेवी जङ्घोरू परिरक्षतु।

गुदं मुष्कं च मेदं च नाभिं च सुरसुंदरी ।।10।। 


पादाङ्गुली: सदा पातु भवानी त्रिदशेश्वरी।

रक्तमासास्थिमज्जादीनपातु देवी शवासना ।।11।। 

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महाभयेषु घोरेषु महाभयनिवारिणी।

पातु देवी महामाया कामाख्यापीठवासिनी ।।12।।


भस्माचलगता दिव्यसिंहासनकृताश्रया।

पातु श्री कालिकादेवी सर्वोत्पातेषु सर्वदा ।।13।।


रक्षाहीनं तु यत्स्थानं कवचेनापि वर्जितम्।

तत्सर्वं सर्वदा पातु सर्वरक्षण कारिणी ।।14।। 


इदं तु परमं गुह्यं कवचं मुनिसत्तम।

कामाख्या भयोक्तं ते सर्वरक्षाकरं परम् ।।15।। 


अनेन कृत्वा रक्षां तु निर्भय: साधको भवेत।

न तं स्पृशेदभयं घोरं मन्त्रसिद्घि विरोधकम् ।।16।। 


जायते च मन: सिद्घिर्निर्विघ्नेन महामते।

इदं यो धारयेत्कण्ठे बाहौ वा कवचं महत् ।।17।।


अव्याहताज्ञ: स भवेत्सर्वविद्याविशारद:।

सर्वत्र लभते सौख्यं मंगलं तु दिनेदिने ।।18।।


य: पठेत्प्रयतो भूत्वा कवचं चेदमद्भुतम्।

स देव्या: पदवीं याति सत्यं सत्यं न संशय: ।।19।।

Kamakhya kavach lyrics, कामख्या कवच के लाभ, किनके लिए जरुरी है, कैसे करें कामख्या कवच का पाठ ?|

मां कामाख्या देवी कवच हिन्दी में अर्थ :

कामरूप में निवास करने वाली भगवती तारा पूर्व दिशा में, पोडशी देवी अग्निकोण में तथा स्वयं धूमावती दक्षिण दिशा में रक्षा करें।। 1।।

नैऋत्यकोण में भैरवी, पश्चिम दिशा में भुवनेश्वरी और वायव्यकोण में भगवती महेश्वरी छिन्नमस्ता निरंतर मेरी रक्षा करें ।।2।।

उत्तरदिशा में श्रीविद्यादेवी बगलामुखी तथा ईशानकोण में महात्रिपुर सुंदरी सदा मेरी रक्षा करें ।।3।।

भगवती कामाख्या के शक्तिपीठ में निवास करने वाली मातंगी विद्या ऊध्र्वभाग में और भगवती कालिका कामाख्या स्वयं सर्वत्र मेरी नित्य रक्षा करें।। 4।।

ब्रह्मरूपा महाविद्या सर्व विद्यामयी स्वयं दुर्गा सिर की रक्षा करें और भगवती श्री भवगेहिनी मेरे ललाट की रक्षा करें ।। 5।।

त्रिपुरा दोनों भौंहों की, शर्वाणी नासिका की, देवी चंडिका आँखों की तथा नीलसरस्वती दोनों कानों की रक्षा करें ।। 6।।

भगवती सौम्यमुखी मुख की, देवी पार्वती ग्रीवा की और जिव्हाललन भीषणा देवी मेरी जिव्हा की रक्षा करें ।।7।।

वाग्देवी वदन की, भगवती महेश्वरी वक्ष: स्थल की, महाभुजा दोनों बाहु की तथा सुरेश्वरी हाथ की, अंगुलियों की रक्षा करें।। 8।।

भीमास्या पृष्ठ भाग की, भगवती दिगम्बरी कटि प्रदेश की और महाविद्या महोदरी सर्वदा मेरे उदर की रक्षा करें।।9।।

महादेवी उग्रतारा जंघा और ऊरुओं की एवं सुरसुन्दरी गुदा, अण्डकोश, लिंग तथा नाभि की रक्षा करें ।।10।।

भवानी त्रिदशेश्वरी सदा पैर की, अंगुलियों की रक्षा करें और देवी शवासना रक्त, मांस, अस्थि, मज्जा आदि की रक्षा करें ।।11।।

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भगवती कामाख्या शक्तिपीठ में निवास करने वाली, महाभय का निवारण करने वाली देवी महामाया भयंकर महाभय से रक्षा करें ।।12।।

भस्माचल पर स्थित दिव्य सिंहासन विराजमान रहने वाली श्री कालिका देवी सदा सभी प्रकार के विघ्नों से रक्षा करें ।।13।।

जो स्थान कवच में नहीं कहा गया है, अतएव रक्षा से रहित है उन सबकी रक्षा सर्वदा भगवती सर्वरक्षकारिणी करे ।। 14।।

मुनिश्रेष्ठ! मेरे द्वारा आप से महामाया सभी प्रकार की रक्षा करने वाला भगवती कामाख्या का जो यह उत्तम कवच है वह अत्यन्त गोपनीय एवं श्रेष्ठ है ।।15।।

इस कवच से रहित होकर साधक निर्भय हो जाता है। मन्त्र सिद्घि का विरोध करने वाले भयंकर भय उसका कभी स्पर्श तक नहीं करते हैं ।।16।।

महामते! जो व्यक्ति इस महान कवच को कंठ में अथवा बाहु में धारण करता है उसे निर्विघ्न मनोवांछित फल मिलता है ।।17।।

वह अमोघ आज्ञावाला होकर सभी विद्याओं में प्रवीण हो जाता है तथा सभी जगह दिनोंदिन मंगल और सुख प्राप्त करता है ।18।। 

जो जितेन्द्रिय व्यक्ति इस अद्भुत कवच का पाठ करता है वह भगवती के दिव्य धाम को जाता है। यह सत्य है, इसमें संशय नहीं है ।।19।।

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