Shani Margi Kab honge 2025, मार्गी शनि का 12 राशियों पर क्या असर होगा?, नवंबर 2025 में शनि मार्गी होने से कौन सी राशियां प्रभावित होंगी?, शनि के मार्गी होने पर 12 राशियों का राशिफल| Shani Margi 2025: 9 ग्रहों में शनि को सबसे क्रूर और प्रभावशाली माना जाता है, इनका सम्बन्ध न्याय से है इसीलिए जब भी शनि ग्रह गोचर कुंडली में अपनी स्थिति या गति को बदलते हैं तो उसका असर सभी तरफ देखने को मिलता है | 28 नवंबर 2025 शुक्रवार को सुबह लगभग 7:20 पर शनि ग्रह मीन राशि में मार्गी होंगे अर्थात सीधी चाल चलने लगेंगे जो की बहुत बड़ी घटना होगी और काफी ज्यादा प्रभाव हमे सब तरफ देखने को मिलेगा | जब शनि मार्गी होता है, तो वक्री अवस्था के धीमे, कर्म संबंधी सबक आगे बढ़ने लगते हैं। ज़िम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं, और कर्म के परिणाम तेज़ हो जाते हैं। चूँकि शनि मीन राशि में है - जो आध्यात्मिकता, अंतर्ज्ञान, करुणा और विलीनता का प्रतीक है - यह परिवर्तन भावनात्मक सीमाओं, अनुशासन, रचनात्मकता और आध्यात्मिक विकास को प्रभावित करता है। Shani Margi Kab honge Kya Prabhav Hoga 12 Rashiyo Par ...
कैसे करे तर्पण, किस मन्त्र से करे प्रयोग, जानिए कैसे करे घर में तर्पण आसानी से पितरो की कृपा प्राप्त करने के लिए.
तर्पण मंत्र और विधि:
इससे पहले के लेख में हमने जाना की तर्पण क्या होता है? , तर्पण का महत्त्व, तर्पण के प्रकार आदि. इस लेख में हम जानेंगे की तर्पण के लिए कौन से मंत्रो का प्रयोग करना चाहिए. इन मंत्रो का प्रयोग करके कोई भी अपने घर पर भी तर्पण प्रयोग कर सकते हैं और पितरो की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.
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| tarpan kaise kare |
पहला कदम:
सबसे पहले यम देवता का ध्यान करते हुए दक्षिण दिशा में चावल के ढेर पर दीपक प्रज्वलित करना चाहिए क्यूंकि वो मृत्यु के देवता है.
नोट: किसी भी आवाहन मंत्र का प्रयोग करने से पहले हाथ में थोडा चावल के दाने रखना चाहिए और आवाहन के बाद दीपक पर छोड़ देना चाहिए.
यम देवता के नाम से दीप दान के समय निम्न आवाहन मंत्र का जप करना चाहिए –
“ॐ यमाय नमः | आवाहयामी, स्थापयामी, ध्यायामी | ततो नमस्कार करोमि.”
इसके बाद कुछ समय तक यम मंत्र का जप करे “ॐ यमाय नमः ”
दूसरा कदम:
अब एक काले तिल के ढेरी पर पितरो के नाम से दीपक जलाए और निम्न आवाहन मंत्र का जप करे.
“ॐ पितृभ्यो नमः | अवाह्यामी , स्थाप्यामी, ध्यायामी |”
आइये जानते हैं की तर्पण के लिए जल कैसे बनाए:
तर्पण के लिए गंगा जल ले, उसमे थोडा काला तिल डाले, चन्दन पावडर डाले, कपूर डाले, दूध डाले, चावल के दाने डाले, फूल डाले और मिला दे.
अब हम तर्पण के लिए तैयार है.
आइये अब जानते हैं तर्पण मंत्र :
तर्पण शुरू करने से पहले अपने दोनों अनामिका ऊँगली में कुशा का छल्ला बना के धारण करे या फिर सोने की रिंग पहने.
देव तर्पण के लिए उँगलियों के अग्र भाग से जल छोड़ा जाता है मंत्रो को पढ़ते हुए.
देव आवाहन मंत्र:
ॐ आगछन्तु महाभागा, विश्वेदेवा महाबलाः |
ये तर्पनेsत्र विहिताः , सावधाना भवन्तु ते ||
ॐ ब्रह्मादयो देवाः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन |
ॐ विष्णुस्तृप्यताम |
ॐ रुद्रस्तृप्यताम |
ॐ प्रजापतिस्तृप्यताम |
ॐ देवास्तृप्यताम |
ॐ छान्दांसी तृप्यन्ताम |
ॐ वेदासतृप्यन्ताम |
ॐ ऋषयसतृप्यन्ताम |
ॐ पुरानाचार्यासतृप्यन्ताम |
ॐ गन्धर्वासतृप्यन्ताम |
ॐ इत्रचार्यासतृप्यन्ताम |
ॐ संवत्सरः सावयवस्तृप्यताम |
ॐ देवसतृप्यन्ताम |
ॐ अप्सरसतृप्यन्ताम |
ॐ देवानुगासतृप्यन्ताम |
ॐ नागासतृप्यन्ताम |
ॐ सागरासतृप्यन्ताम
ॐ पर्वतासतृप्यन्ताम |
ॐ मनुष्यासतृप्यन्ताम |
ॐ सरितासतृप्यन्ताम |
ॐ रक्षांसी तृप्यन्ताम |
ॐ यक्शासतृप्यन्ताम |
ॐ पिशाचासतृप्यन्ताम |
ॐ सुपर्नासतृप्यन्ताम |
ॐ भूतानि तृप्यन्ताम |
ॐ पशवसतृप्यन्ताम |
ॐ वनस्पतयसतृप्यन्ताम |
ॐ ओशाधायासतृप्यन्ताम |
ॐ भूतग्रामः चतुर्विधसतृप्यन्ताम |
ऋषि तर्पण मंत्र:
ऋषि आवाहन मंत्र-
ॐ मरिच्यादी दशऋषयः आगछन्तु गृहनन्तु एतान्जलान्जलीन |
ॐ मरिचिसतृप्यताम |
ॐ अत्रिसतृप्यताम |
ॐ अंगीराह तृप्यताम |
ॐ पुलस्त्यसतृप्यताम |
ॐ पुल्हसतृप्यताम |
ॐ क्रतुसतृप्यताम |
ॐ वसिष्ठसतृप्यताम |
ॐ प्रचेतासतृप्यताम |
ॐ भ्रिगुसतृप्यताम |
ॐ नरदसतृप्यताम |
ॐ सनाकादयः सप्तऋषयः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन |
ॐ सनकसतृप्यताम |
ॐ सनन्दनसतृप्यताम |
ॐ सनातानसतृप्यताम |
ॐ कपिलसतृप्यताम |
ॐ आसुरिसतृप्यताम |
ॐ पञ्चशिखसतृप्यताम |
दिव्य पितृ तर्पण :
दक्षिण दिशा की और मूह करके ये तर्पण करे और अंगूठे का प्रयोग करे जल छोड़ने के लिए.
ॐ कव्यवाडादयो दिव्य पितरः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन|
ॐ कव्यवाडनलसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ सोमसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ यमसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ अर्यमा तृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ अग्निश्वाताः पितरसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ सोमपाः पितरसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ बर्हिशदः पितरसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ यमाय नमः |
ॐ धर्मराजाय नमः |
ॐ मृत्यवे नमः |
ॐ अन्तकाय नमः |
ॐ वैवस्वताय नमः |
ॐ कालाय नमः |
ॐ भूतक्षयाय नमः |
ॐ औदुम्बराय नमः |
ॐ दध्नाय नमः |
ॐ नीलाय नमः |
ॐ परमेष्ठिने नमः |
ॐ वृकोदराय नमः |
ॐ चित्राय नमः |
ॐ चित्रगुप्ताय नमः |
इस प्रकार तरपान करने के बाद अपने पितरो के उन्नति और उच्चगति के लिए प्रार्थना करे और अपने जीवन को सफल बनाए.
सभी लोग अपने पितरो की कृपा प्राप्त करे |
कैसे करे तर्पण, how to perfrom tarpan, तर्पण करने से सम्बंधित मंत्र, पितृ दोष के उपाय, जानिए कैसे करे घर में तर्पण आसानी से पितरो की कृपा प्राप्त करने के लिए.
ॐ आगछन्तु महाभागा, विश्वेदेवा महाबलाः |
ये तर्पनेsत्र विहिताः , सावधाना भवन्तु ते ||
ॐ ब्रह्मादयो देवाः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन |
ॐ विष्णुस्तृप्यताम |
ॐ रुद्रस्तृप्यताम |
ॐ प्रजापतिस्तृप्यताम |
ॐ देवास्तृप्यताम |
ॐ छान्दांसी तृप्यन्ताम |
ॐ वेदासतृप्यन्ताम |
ॐ ऋषयसतृप्यन्ताम |
ॐ पुरानाचार्यासतृप्यन्ताम |
ॐ गन्धर्वासतृप्यन्ताम |
ॐ इत्रचार्यासतृप्यन्ताम |
ॐ संवत्सरः सावयवस्तृप्यताम |
ॐ देवसतृप्यन्ताम |
ॐ अप्सरसतृप्यन्ताम |
ॐ देवानुगासतृप्यन्ताम |
ॐ नागासतृप्यन्ताम |
ॐ सागरासतृप्यन्ताम
ॐ पर्वतासतृप्यन्ताम |
ॐ मनुष्यासतृप्यन्ताम |
ॐ सरितासतृप्यन्ताम |
ॐ रक्षांसी तृप्यन्ताम |
ॐ यक्शासतृप्यन्ताम |
ॐ पिशाचासतृप्यन्ताम |
ॐ सुपर्नासतृप्यन्ताम |
ॐ भूतानि तृप्यन्ताम |
ॐ पशवसतृप्यन्ताम |
ॐ वनस्पतयसतृप्यन्ताम |
ॐ ओशाधायासतृप्यन्ताम |
ॐ भूतग्रामः चतुर्विधसतृप्यन्ताम |
ऋषि तर्पण मंत्र:
ऋषि आवाहन मंत्र-
ॐ मरिच्यादी दशऋषयः आगछन्तु गृहनन्तु एतान्जलान्जलीन |
ॐ मरिचिसतृप्यताम |
ॐ अत्रिसतृप्यताम |
ॐ अंगीराह तृप्यताम |
ॐ पुलस्त्यसतृप्यताम |
ॐ पुल्हसतृप्यताम |
ॐ क्रतुसतृप्यताम |
ॐ वसिष्ठसतृप्यताम |
ॐ प्रचेतासतृप्यताम |
ॐ भ्रिगुसतृप्यताम |
ॐ नरदसतृप्यताम |
दिव्य मनुष्य तर्पण:
इस तर्पण को करने के लिए कनिष्ठिका ऊँगली के जड़ से जल छोड़ना चाहिए मंत्रो को पढ़ते हुए. उत्तर दिशा की और मुख करके करे.ॐ सनाकादयः सप्तऋषयः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन |
ॐ सनकसतृप्यताम |
ॐ सनन्दनसतृप्यताम |
ॐ सनातानसतृप्यताम |
ॐ कपिलसतृप्यताम |
ॐ आसुरिसतृप्यताम |
ॐ पञ्चशिखसतृप्यताम |
दिव्य पितृ तर्पण :
दक्षिण दिशा की और मूह करके ये तर्पण करे और अंगूठे का प्रयोग करे जल छोड़ने के लिए.
ॐ कव्यवाडादयो दिव्य पितरः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन|
ॐ कव्यवाडनलसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ सोमसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ यमसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ अर्यमा तृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ अग्निश्वाताः पितरसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ सोमपाः पितरसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
ॐ बर्हिशदः पितरसतृप्यताम, इदं सतिलं जलं तस्मये स्वधा नमः | |
यम तर्पण:
ॐ यमादिचतुर्दशदेवाः आगछन्तु गृहनन्तु एतान जलान्जलीन |ॐ यमाय नमः |
ॐ धर्मराजाय नमः |
ॐ मृत्यवे नमः |
ॐ अन्तकाय नमः |
ॐ वैवस्वताय नमः |
ॐ कालाय नमः |
ॐ भूतक्षयाय नमः |
ॐ औदुम्बराय नमः |
ॐ दध्नाय नमः |
ॐ नीलाय नमः |
ॐ परमेष्ठिने नमः |
ॐ वृकोदराय नमः |
ॐ चित्राय नमः |
ॐ चित्रगुप्ताय नमः |
इस प्रकार तरपान करने के बाद अपने पितरो के उन्नति और उच्चगति के लिए प्रार्थना करे और अपने जीवन को सफल बनाए.
सभी लोग अपने पितरो की कृपा प्राप्त करे |
ॐ पितृभ्यो नमः |
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