Kundli Ke Pahle Ghar Mai Shani Ka Fal, लग्न में शनि का प्रभाव, कुंडली के पहले भाव में शनि का फल, लग्न में शनि के उपाय, Saturn in 1st house. जन्म कुंडली में पहला घर जिसे की लग्न भी कहा जाता है बहुत महत्त्वपूर्ण होता है क्यूंकि इसका सम्बन्ध हमारे मस्तिष्क से होता है और इसीलिए हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है, लग्न में मौजूद ग्रह और राशि का बहुत गहरा प्रभाव जातक पर रहता है जीवन भर | Kundli Ke Pahle Ghar Mai Shani Ka Fal Read in English - Saturn in First House Impacts अब आइये जानते हैं शनि ग्रह के बारे में कुछ ख़ास बातें ज्योतिष के अनुसार : हमारे कर्मो के फल को देने वाले ग्रह हैं शनिदेव इसीलिए इन्हें न्याय के साथ जोड़ा जाता है | वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि का सम्बन्ध मेहनत, अनुशाशन, गंभीरता, जिम्मेदारी, स्वाभिमान, दुःख, अहंकार, देरी, भूमि, रोग आदि से होता है | शनि ग्रह मेष राशि में नीच के होते हैं और तुला राशि में उच्च के होते हैं | शनि ग्रह की मित्र राशियाँ हैं – वृषभ, मिथुन और कन्या| शनि ग्रह की शत्रु राशियाँ है – कर्क, सिंह और वृश्चिक| Watch Video Here शनि की दृष्
अंगारक योग का प्रभाव कुंडली के विभिन्न भावो में, कैसे निजात पाए अंगारक योग के दुष्प्रभाव से, angarak yoga ka samadhan in hindi jyotish.
अतः अलग अलग भावो में अंगारक योग के अलग अलग प्रभाव हो सकता हैं. अतः ये जरुरी है की समस्याओं को कम करने के लिए सही कदम उठाया जाए.
उचित समाधान के लिए ज्योतिष से संपर्क करना चाहिए.
दिखाए अपनी कुंडली ज्योतिष को और पाए उचित और आसान समाधान समस्याओं का
अंगारक योग का प्रभाव कुंडली के विभिन्न भावो में, कैसे निजात पाए अंगारक योग के दुष्प्रभाव से, angarak yoga ka samadhan in hindi jyotish.
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अंगारक योग ज्योतिष के अंतर्गत एक समस्या उत्पन्न करने वाला योग है जो की जिसके कुंडली में होता है उसके जीवन में विपरीत प्रभाव उत्पन्न करता. जितनी जल्दी हो सके इसके परिहार के लिए कदम उठाना चाहिए अन्यथा कामकाजी और व्यक्तिगत जीवन दोनों ही प्रभावित होता है.
ज्योतिष संसार के इस लेख में हम जानेंगे की अलग कुंडली के अलग अलग भावो में अंगारक योग क्या प्रभाव उत्पन्न करता है.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में मौजूद १२ भाव अलग अलग विषयो से जुड़े है इसी कारण किसी भी योग का प्रभाव में अलग अलग होता है. कुछ लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं, कुछ लोगो को स्वास्थ्य हानी होती है, कुछ लोगो को आर्थिक तंगी का सामना करना होता है, कुछ लोगो को प्रेम में परेशानी आती है कुछ लोगो को संबंधो में समस्याओं का सामना करना होता है आदि.
ज्योतिष संसार के इस लेख में हम जानेंगे की अलग कुंडली के अलग अलग भावो में अंगारक योग क्या प्रभाव उत्पन्न करता है.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में मौजूद १२ भाव अलग अलग विषयो से जुड़े है इसी कारण किसी भी योग का प्रभाव में अलग अलग होता है. कुछ लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं, कुछ लोगो को स्वास्थ्य हानी होती है, कुछ लोगो को आर्थिक तंगी का सामना करना होता है, कुछ लोगो को प्रेम में परेशानी आती है कुछ लोगो को संबंधो में समस्याओं का सामना करना होता है आदि.
आइये जानते हैं की अंगारक योग का प्रभाव कुछ विशेष भावो के हिसाब से क्या हो सकता है जीवन में :
- अगर कुंडली के पहले भाव में अंगारक योग बने तो क्या होगा – कुंडली में पहला भाव दिमाग से सम्बन्ध रखता है, संबंधो से सम्बन्ध रखता है, निर्णय लेने की क्षमता से सम्बन्ध रखता है, शान्ति से सम्बन्ध रखता है आदि. अतः अगर इस घर में अंगारक योग का निर्माण हो तो जातक को गुस्सेल बना सकता है साथ ही अनावश्यक भय दे सकता है. अस्थिरता के कारण जीवन हमेशा उलझा हुआ सा महसूस हो सकता है. व्यवहार में उत्तेजना के कारण भी समस्या उत्पन्न होती है.
- अगर कुंडली के चौथे भाव में अंगारक योग बने तो क्या होगा – कुंडली का चौथा भाव खुशी से सम्बन्ध रखता है , माता से सम्बन्ध रखता है. अतः अगर अंगारक योग कुंडली के चौथे भाव में बने तो जातक के जीवन में खुशी पाने में हमेशा बाधा उत्पन्न होती रहती है, माता के स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ सकता है या फिर माता से सम्बन्ध ख़राब हो सकते है.
- अगर कुंडली के सातवे भाव में अंगारक योग बने तो क्या होगा – कुंडली का सातवां भाव विवाह, दोस्ती, साझेदारी आदि से सम्बन्ध रखता है अतः अगर इस भाव में अंगारक योग का निर्माण हो तो विवाह में देरी हो सकती है, विवाह के बाद तलाक हो सकता है, साझेदारी के काम में परेशानी उत्पन्न हो सकती है, वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है.
- अगर कुंडली के दसवे भाव में अंगारक योग बने तो क्या होगा – कुंडली का दसवां घर काम काज से सम्बन्ध रखता है अतः जातक को स्थिर काम काज के साधन मिलने में समस्या आती है. कुछ जातको को सही माहोल नहीं मिल पता, मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पाता, व्यापार में भी घाटा हो सकता है.
- क्या होगा जब राहू और मंगल कुंडली के दुसरे भाव में बैठे? वैदिक ज्योतिष के हिसाब से दूसरा भाव लाभ भाव है, यहाँ से ससुराल का भी देखा जाता है, आँख से भी सम्बंधित है. अतः यहाँ पर अंगारक योग बन्ने पर जातक का सम्बन्ध ससुराल से ख़राब हो सकता है, कई प्रकार से धन हानि हो सकती है, अनचाहे खर्चे परेशां कर सकते हैं, आँखों से सम्बंधित रोग हो सकते हैं, स्थिर आय स्त्रोत में समस्या आ सकती है.
- क्या होगा जब कुंडली के पांचवे भाव में अंगारक योग बनेगा?ये भाव पढ़ाई से सम्बन्ध रखता है, संतान से सम्बंधित है, भाग्य से सम्बन्ध रखता है अतः जातक को इन सb विषयों से सम्बंधित परेशानी हो सकती है.
इसी प्रकार जब राहू और मंगल जातक की कुंडली में तीसरे भाव में बैठे तब व्यक्ति को अपनी शक्ति का पूरा स्तेमाल करने से रोक देता है.
छठे भाव में अगर अंगारक योग बने तो जातक को छुपे शत्रुओ से परेशानी हो सकती है और स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी भी हो सकती है.
अगर कुंडली का आठवां भाव राहू और मंगल से ग्रस्त हो तो जातक की अकाल मृत्यु हो सकती है, कोई गंभीर बिमारी लग सकती है, कोई दुर्घटना हो सकती है.
अंगारक योग अगर कुंडली के नवें भाव में बने तो जातक को दुर्भाग्य के कारण बहुत परेशानी हो सकती है. दसवें भाव में ये योग जातक को स्थिर कर्म करने से रोकता है.
छठे भाव में अगर अंगारक योग बने तो जातक को छुपे शत्रुओ से परेशानी हो सकती है और स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी भी हो सकती है.
अगर कुंडली का आठवां भाव राहू और मंगल से ग्रस्त हो तो जातक की अकाल मृत्यु हो सकती है, कोई गंभीर बिमारी लग सकती है, कोई दुर्घटना हो सकती है.
अंगारक योग अगर कुंडली के नवें भाव में बने तो जातक को दुर्भाग्य के कारण बहुत परेशानी हो सकती है. दसवें भाव में ये योग जातक को स्थिर कर्म करने से रोकता है.
अतः अलग अलग भावो में अंगारक योग के अलग अलग प्रभाव हो सकता हैं. अतः ये जरुरी है की समस्याओं को कम करने के लिए सही कदम उठाया जाए.
उचित समाधान के लिए ज्योतिष से संपर्क करना चाहिए.
दिखाए अपनी कुंडली ज्योतिष को और पाए उचित और आसान समाधान समस्याओं का
jyotish samadhan |
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