Sharad poornima kab hai 2025 mai, sharad poornima ka mahattwa, kya kare safaltaa ke liye, kisi pooja kare sharad poornima ko as per jyotish, शरद पूर्णिमा पर hindi में जानिये महत्तव और क्या करे सफलता के लिए. sharadpoornima 2025: साल की सबसे बड़ी और शक्तिशाली पूर्णिमा है शरद पूर्णिमा और ऐसी मान्यता है की अगर कोई आर्थिक और शारीरिक परेशानी से गुजर रहा हो तो इस रात्रि को पूजन जरुर करना चाहिए, इससे बहुत लाभ मिलता है | ये रात्रि माता लक्ष्मी से भी सम्बन्ध रखता है | वैदिक ज्योतिष के हिसाब से अगर कुंडली में चंद्रमा ग्रह मजबूत हो तो जातक बहुत ही संपन्न जीवन जीता है ऐशो -आराम के साथ वहीँ कमजोर चंद्रमा असंतुष्ट जीवन का प्रतीक होता है |अतः चन्द्रमा अती महत्त्वपूर्ण है हमारे जीवन में | २०२५ में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर की रात्री को रहेगा, पूर्णिमा तिथि 6 तारीख को दोपहर में लगभग 12:25 पे शुरू होगा और 7 तारीख को सुबह लगभग 9:18 तक रहेगा. अगर आपको चाह है एक शांति पूर्ण जीवन की, अगर आपको चाह है एक स्वस्थ जीवन की अगर आप चाहते हैं एक सुखी और संपन्न जीवन तो शरद पूर्णिमा की रात्री आपके...
Rukmani ashtmi kab hai 2024 mai, रुक्मणी अष्टमी का महत्त्व , कौन है रुक्मणी हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, क्या करे इस दिन सफलता के लिए, कब मनाया जाता है रुक्मणी अष्टमी?
जीवन में प्रेम रस और प्रेम संबंधो को बढाने के लिए एक ख़ास दिन, विवाह में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए भी एक ख़ास दिन है और वो है पौष महीने की अष्टमी |
जीवन में प्रेम रस और प्रेम संबंधो को बढाने के लिए एक ख़ास दिन, विवाह में आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए भी एक ख़ास दिन है और वो है पौष महीने की अष्टमी |
2024 में 4 जनवरी गुरुवार को रुक्मणि अष्टमी मनाई जायेगी
हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष महीने में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ रुक्मणी अष्टमी मनाई जाती है. भक्तगण इस दिन कृष्ण और रुक्मणी जी की विशेष पूजा अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
मान्यता के अनुसार रुक्मणी जी माता लक्ष्मी का अवतार थी और भगवान् कृष्ण जो की विष्णु जी के अवतार थे की पहली पत्नी थी. रुक्मणी अष्टमी के दिन हम कृष्ण मंदिरों में , इस्कोन मंदिरों में, मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन आदि में भक्तो की भीड़ को देख सकते हैं.
रुक्मणी जी राजा भिश्मिका जो की विधर्भ पर राज करते थे की पुत्री थी. उनको श्री कृष्ण से प्रेम हो गया था और वो उनसे विवाह करना चाहती थी , उनके माता पिता भी तैयार थे परन्तु भाई राजी नहीं थे. अतः कृष्ण जी ने उन्हें मंदिर से ही अपने साथ ले गए.
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Rukmani Ashtmi Ka Mahattw In Hindi |
मान्यता के अनुसार रुक्मणी जी माता लक्ष्मी का अवतार थी और भगवान् कृष्ण जो की विष्णु जी के अवतार थे की पहली पत्नी थी. रुक्मणी अष्टमी के दिन हम कृष्ण मंदिरों में , इस्कोन मंदिरों में, मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन आदि में भक्तो की भीड़ को देख सकते हैं.
रुक्मणी जी राजा भिश्मिका जो की विधर्भ पर राज करते थे की पुत्री थी. उनको श्री कृष्ण से प्रेम हो गया था और वो उनसे विवाह करना चाहती थी , उनके माता पिता भी तैयार थे परन्तु भाई राजी नहीं थे. अतः कृष्ण जी ने उन्हें मंदिर से ही अपने साथ ले गए.
read here about Significance of Rukmani Ashtmi in English,
आइये जानते हैं रुक्मणी अष्टमी का महत्त्व :
ऐसी मान्यता है की रुक्मणी जी का जन्म पौष महीने में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को हुआ था अतः माता लक्ष्मी के अवतार के याद में ये दिन आज भी हर्सोल्लास से मनाया जाता है.भक्तो का विश्वास है की अगर इस दिन व्रत/उपवास करके पूजा की जाए तो माता की कृपा जरुर प्राप्त होती है जीवन में शांति और सम्पन्नता आती है. अतः भक्तगण रात और दिन कृष्ण और रुक्मणी जी के मंत्रो का पाठ और भजन गाते हैं.
जानिए रुक्मणी अष्टकम के फायदे
आइये जानते हैं की रुक्मणी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए क्या कर सकते हैं ?
वास्तव में रुक्मणी जी को अकेले पूजना ठीक नहीं होता है , हमेशा कृष्ण जी को उनके साथ पूजना सही होता है. भक्तगण इस दिन विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित करते हैं, धुप देते हैं, दीप जलाते हैं और भजन गाते हैं, मन्त्र पाठ करते हैं दिन-रात. कुछ लोग कृष्ण मंदिरों में मिठाइयाँ बाटते हैं रुक्मणी जी के जन्मदिन के ख़ुशी में.अगर आप भी रुक्मणी जी को मानते हैं तो इस दिन उपवास करे और किसी भी कृष्ण या फिर रुक्मणी जी के मंत्र का जप करे और प्रार्थना करे सुख-शांति और सम्पन्नता के लिए. हो सके तो षोडशोपचार पूजा करे, प्रसाद का वितरण करे, आनंद करे.
आइये जानते हैं की क्या फायदे हो सकते हैं रुक्मणी अष्टमी की पूजा के ?
- जिन लोगो को विवाह के लिए जीवन साथी की तलाश हो और कठिनाई आ रही हो उनको रुक्मणी जी और कृष्ण जी की साथ में पूजा करनी चाहिए. ये दोनों सच्चे प्रेम की निशानी है और इनकी कृपा से निश्चित ही सफल विवाह हो सकता है.
- जो लोग जीवन में सम्पन्नता चाहते हैं उनके लिए भी इस दिन विशेष पूजा अर्चना करने का समय होता है.
- जो लोग जीवन में प्रेम के लिए तरस रहे हैं उन्हें रुक्मणि अष्टमी के दिन जरुर कृष्ण जी के साथ रुक्मणि जी की पूजा करनी चाहिए |
- जो लोग मन पसंद की शादी करना चाहते हैं उन्हें भी इस दिन कृष्ण और रुक्मणि जी से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए |
आइये जानते हैं पूजन का आसान तरीका :
- सबसे पहले पूजन स्थल को साफ़ करे और पवित्र जल से पोछा लगा दे |
- अब वहां पे एक चौकी पे भगवन श्री गणेश, श्री कृष्ण और माता रुक्मणि का फोटो स्थापित करे |
- सबसे पहले श्री गणेश का पूजन करे और फिर कृष्णजी और माता रुक्मणि जी का पूजन करे | आप पंचोपचार पूजन कर सकते हैं |
- किसी भी कृष्ण और रुक्मणि जी के मन्त्र का जप कर सकते हैं जैसे आप कृष्ण गायत्री मन्त्र का जप कर सकते हैं |
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