Skip to main content

Hindi Jyotish Website

Hindi astrology services || jyotish website in hindi|| Kundli reading || Birth Chart Calculation || Pitru Dosha Remedies || Love Life Reading || Solution of Health Issues in jyotish || Career Reading || Kalsarp Dosha Analysis and remedies || Grahan Dosha solutions || black magic analysis and solutions || Best Gems Stone Suggestions || Kala Jadu|| Rashifal || Predictions || Best astrologer || vedic jyotish || Online jyotish || Phone jyotish ||Janm Kundli || Dainik Rashifal || Saptahik Rashifal || love rashifal

Jyotish Mai 12 Rashiyo Ko Janiye Bhag 3

vedic jyotish lesson 3 in hindi, 12 rashiyan aur unke swabhaav in details, how we can check zodiac by seeing he number in horoscope.

हम jyotish lesson 2 में ये देख चुके है की वैदिक महीनो के बारे में जिसका जिक्र हमे हिन्दू पंचांग में मिलता है , 9 ग्रह कौन से है और इनकी हेसियत क्या है ?, ग्रहों का सम्बन्ध कौन से तत्त्व से हैं ?, उत्तरायण और दक्षिणायन क्या होते हैं? |

अब इस jyotish lesson 3 मे हम जानेंगे की-
  1. १२ राशियाँ कौन सी हैं और उनका स्वभाव क्या है, ये हम विस्तार से देखेंगे |
  2. कुंडली मे राशियों के लिए अंक लिखे होते हैं. ज्योतिष उन अंको को देख कर कैसे राशी बता देते हैं.

12 rashi details in hindi jyotish tutorial
jyotish lesson part 3

इससे ये भी जान लेते हैं की कौन से भाव मे कौन सी राशि है. उदाहरण के लिए १ अंक मेष राशी को बताता है, ४ अंक कर्क को बताता है, 9 धनु को बताता है, १२ मीन राशी को बताता है आदि. इस पाठ मे आप इनके बारे मे पूर्ण जानकारी पायेंगे.

राशि चक्र मे हर राशी का अपना एक विशेष स्थान है और उसके लिए हम उसके डिग्री का अध्ययन करते हैं. इस पाठ मे हम इसके बारे मे भी पढेंगे.

हर राशी का एक स्वामी होता है जिसके बारे मे जानना भी आवश्यक है अगर कुंडली को पढना है. इससे भी बहुत कुछ पता चल जाता है.

यही नहीं हर राशि का अपना रंग, लिंग और वर्ण भी होता है. इन सभी के बारे मे हम ज्योतिष सीखिए के पाठ ३ मे पढेंगे.



हमारा स्वभाव राशि पर निर्भर करता है अतः ज्योतिष राशि को जानकार स्वभाव के बारे मे भी जान जाते हैं. इस पाठ को पढ़कर आप बहुत कुछ इस बारे मे जान जायेंगे.

ज्योतिष मे राशियों का बहुत महत्त्व है क्यूंकि हर व्यक्ति की एक राशी होती है जो की उस व्यक्ति के स्वाभाव को प्रभावित करती है. अतः किसी के राशी को जानकार हम उसके स्वभाव और व्यक्तित्त्व के बारे मे जान सकते हैं.
12 rashi ki jankari in jyotish
know about 12 rashi in hindi

आइये जानते है की कैसे जाने किसी के राशी को ?

किसी के राशी को जानने के लिए उसकी कुंडली बनाना जरुरी है, राशी को अंग्रेजी मे zodiac कहते हैं. सबसे पहले ये देखिये की चन्द्रमा कौन से भाव मे बैठा है और वह पे कौन सा अंक लिखा है. हर अंक एक राशी को बताता है. जो अंक चन्द्रमा के साथ होगा वही उस व्यक्ति की राशि होगी. उदाहरण के लिए अगर चन्द्रमा अंक ४ के साथ बैठा हो तो राशी होगी कर्क.

आइये अब जानते है कौन सा अंक कौन से राशी से सम्बन्ध रखता है :

  1. मेष राशी
  2. वृषभ राशि
  3. मिथुन राशी
  4. कर्क राशी
  5. सिंह राशी
  6. कन्या राशी
  7. तुला राशी
  8. वृश्चिक राशी
  9. धनु राशी
  10. मकर राशी
  11. कुम्भ राशी
  12. मीन राशी

आइये अब जानते हैं १२ राशियों के बारे मे विस्तार से :

1-मेष राशी –

  • ये पहली राशी है और १ से 30 डिग्री तक का स्थान राशी चक्र मे इसका होता है. ये भेड़ जैसी दिखती है जिस प्रकार भेड़ लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहता है उसी प्रकार मेष राशी के लोग भी शक्तिशाली होते हैं और उग्रता नजर आ सकते हैं. अगर वातावरण बन जाए तो ये लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे.
  • मेष राशी का स्वभाव बहुत चंचल होता है.
  • मेष राशी का स्वामी ग्रह मंगल है.
  • इससे सम्बंधित रंग लाल है.
  • लिंग है पुरुष
  • इसका निवास स्थान जंगल होता है.
  • मेष राशी से सम्बंधित तत्त्व है अग्नि.
  • वर्ण है क्षत्रिय
  • इसका असर मुख्यतः सर पर होता है और व्यक्ति को निर्भीक, दोस्तों के प्रति इमानदार, गुस्सेल आदि बनता है. इससे व्यक्ति के अन्दर अहंकार भी पैदा होता है. मेष राशी रात को शक्तिशाली होती है.

2. वृषभ राशि :

  • ये वृषभ जैसी दिखती है, राशी चक्र मे इसका स्थान 30 से ६० डिग्री तक होता है.
  • ये राशी स्थिर स्वभाव की होती है और इसका स्वामी शुक्र होता है.
  • इससे सम्बंधित रंग सफ़ेद है और इसका सम्बन्ध दक्षिण दिशा से है.
  • लिंग है स्त्रीलिंग.
  • वृषभ राशी का निवास जल स्थान, घास युक्त मैदान आदि मे होता है.
  • इसका सम्बन्ध पृथ्वी तत्त्व से होता है.
  • इसका असर मुख्यतः चेहरे और जबड़े मे रहता है.
  • वृषभ राशी के कारन व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है, थोडा बहुत स्वार्थी भी होता है, बुद्धिमान भी होता है, सांसारिक कार्यो मे कुशल होता है. वृषभ राशी के लोग वृषभ जैसे शक्तिशाली होते हैं काम करने मे और रात्रि को ज्यादा शक्तिशाली होते हैं.

3-मिथुन राशी –

  • राशी चक्र मे मिथुन राशी का स्थान ६० से ९० डिग्री तक होता है. इसका चिन्ह स्त्री और पुरुष के जोड़े जैसा होता है. इसका स्वभाव मिश्रित होता है.
  • मिथुन राशी का स्वामी बुध ग्रह होता है.
  • इससे सम्बंधित रंग हरा होता है.
  • इसका सम्बन्ध पश्चिम दिशा से होता है.
  • लिंग पुरुष होता है.
  • मिथुन राशी का निवास स्थान शयन कक्ष, बगीचा, जुआ खाना अदि मे होता है.
  • इसका सम्बन्ध वायु तत्त्व से होता है.
  • वर्ण शुद्र होता है.
  • इसका प्रभाव मुख्यतः फेफड़ो, गला, बाहों, और स्वशन प्रणाली पर होता है.
  • मिथुन राशी दिन मे शक्तिशाली होता है.
  • ये व्यक्ति को बुद्धिमान और कलाकार बनता है.

4-कर्क राशि –

  • ये चौथी राशी है और राशी चक्र मे इसका स्थान ९० से १२० डिग्री तक है. कर्क राशी का स्वामी चन्द्रमा होता है.
  • इसका स्वभाव गतिशील होता है.
  • इसका सम्बंधित रंग सफ़ेद या गुलाबहि होता है.
  • कर्क राशी की दिशा उत्तर होती है.
  • इसका निवास स्थान तालाब, नदी का किनारा, बालू स्थान अदि होता है.
  • इससे सम्बंधित तत्त्व जल है.
  • वर्ण शुद्र होता है.
  • कर्क राशी का मुख्य प्रभाव पेट, किडनी, ह्रदय, ब्रैस्ट आदि पर होता है.
  • इस राशी के लोग सांसारिक सुख को प्राप्त करने के लिए खूब मेहनत करते हैं, ये शर्मीले भी होते हैं पर बुद्धिमान होते हैं,समय के पाबंद होते हैं, बहार से कठोर दीख सकते हैं परन्तु अन्दर से कोमल स्वभाव के होते हैं.

5- सिंह राशी –

  • ये राशी का चिन्ह शेर जैसा होता है और पांचवी राशी है. राशी चक्र मे इसका स्थान १२० से १५० डिग्री तक होता है. इसका स्वामी ग्रह सूर्य है.
  • ये स्थिर स्वाभाव की राशी है और सम्बंधित रंग पिला है.
  • इसकी दिशा पूर्व है.
  • लिंग पुरुष है.
  • सिंह राशी पहाड़ो, गुफा, जंगल आदि मे निवास करती है.
  • इसका प्रभाव मुख्यतः पेट, पाचन तंत्र, ह्रदय आदि मे होता है.
  • इस राशी के स्वामी स्वस्थ, परोपकारी, घुम्मकड़ स्वाभाव के हो सकते हैं.

6-कन्या राशी –

  • ये छठी राशी है और इसका चिन्ह नाव चलाती हुई लड़की जैसा होता है. राशी चक्र मे इसका स्थान १५० से १८० डिग्री तक है.
  • इसका स्वभाव स्थिर नहीं रहता है और इसका स्वामी ग्रह है बुध.
  • सम्बंधित रंग है हरा.
  • लिंग है स्त्री.
  • कन्या राशी का निवास स्थान है घास युक्त मैदान.
  • इससे सम्बंधित तत्त्व है पृथ्वी.
  • वर्ण है शुद्र.
  • शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः कमर, अंतड़ियों पर और पेट से निचे के भाग पर होता है.
  • ऐसे लोग स्व-सम्मान का ख्याल रखते हैं और ज्ञान पाने के लिए लालायित रहते हैं अपने आपको बढाने के लिए.
  • ये राशी रात्रि को ताकतवर होती है.

7- तुला राशी –

  • ये सातवी राशी है और इसका चिन्ह हाथ मे तराजू लिए जैसा दीखता है. राशी चक्र मे इसका स्थान १८० से २१० डिग्री तक है. इसका स्वाभाव अस्थिर है. तुला राशी का स्वामी शुक्र ग्रह है. सम्बंधित रंग थोडा कालापन लिए है.
  • सम्बंधित दिशा पश्चिम है.
  • लिंग पुरुष है.
  • इसका निवास स्थान व्यापारिक जगह होती है.
  • तुला राशी का सम्बन्ध वायु तत्त्व से होता है.
  • वर्ण शुद्र है.
  • शारीर मे मुख्यतः ये नाभि के निचे के भाग पर प्रभाव रखता है.
  • शुक्र ग्रह से सम्बन्ध होने के कारण व्यक्ति का रुझान काला की तरफ होता है, चकाचौंध की तरफ होता है.
  • ये राशी दिन मे शक्तिशाली होती है.

8 - वृश्चिक राशी –

  • इसका चिन्ह वृश्चिक जैसा होता है और राशी चक्र मे इसका स्थान आठवां है २१० से २४० डिग्री तक.
  • ये स्थिर राशी है
  • इसका स्वामी ग्रह मंगल है.
  • इससे सम्बंधित रंग सफ़ेद और सुनहरा है.
  • इससे सम्बंधित दिशा उत्तर है.
  • लिंग स्त्री है.
  • इसका निवास स्थान है पथरीला इलाका, गुफा आदि.
  • इससे सम्बंधित तत्त्व है जल.
  • वृश्चिक राशी का सम्बन्ध ब्राह्मण वर्ण से है.
  • शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः सेक्स अंगो पर रहता है.
  • ये व्यक्ति को जिद्दी, सीधे बात करने वाला, आत्मशक्ति वाला बनाता है.
  • वृश्चिक राशी दिन मे शक्तिशाली होती है.

9-धनु राशी –

  • इस राशी का चिन्ह आधा घोड़ा और आधा आदमी हाथ मे धनुष लिए होता है. ये नवी राशी है और राशी चक्र मे इसका स्थान २४० से २७० डिग्री तक होता है.
  • इसका स्वभाव मिश्रित होता है.
  • इससे सम्बंधित रंग सुनहरा होता है.
  • धनु राशी का स्वामी गुरु होता है
  • दिशा है पूर्व.
  • लिंग है पुरुष.
  • इसका निवास स्थान महल, घुद्शाल आदि.
  • इससे सम्बंधित तत्त्व है अग्नि.
  • धनु राशी का वर्ण है क्षत्रिय.
  • शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः लीवर/यकृत, धमनियों और नसों मे होता है.
  • ऐसे लोग ताकतवर होते हैं और उनकी नियंत्रण करने की शक्ति भी अच्छी होती है.

10 - मकर राशी –

  • इसका चिन्ह मगरमच्छ का शारीर और हिरन का मुह लिए होता है. ये दसवीं राशी है और राशी चक्र मे इसका स्थान २७० से ३०० डिग्री तक होता है.
  • इसका स्वभाव चंचल और अस्थिर होता है.
  • मकर राशी का स्वभाव चंचल होता है और इसका स्वामी शनि है.
  • लिंग पुरुष है.
  • मकर राशी का निवास स्थान जल से सम्बंधित इलाके होते हैं और जंगल.
  • मकर राशी से सम्बंधित तत्त्व है पृथ्वी
  • वर्ण है वैश्य.
  • शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः घुटना, हड्डी और जोड़ो पर होता है.
  • ऐसे लोग किसी ख़ास लक्ष्य को रखते हैं, अच्छा शारीर भी होता है और लगातार तरक्की चाहते हैं.
  • मकर राशी रात्रि को शक्तिशाली होती है .

11- कुम्भ राशी –

  • इसका चिन्ह बाँहों मे मटका लिए जैसा है. ये ग्यारहवी राशी है और राशी चक्र मे इसका स्थान ३०० से ३३० डिग्री तक है.
  • कुम्भ राशी का स्वभाव स्थिर रहता है.
  • इसका स्वामी शनि है.
  • रंग है चितकबरा.
  • इस राशी की दिशा है पश्चिम.
  • लिंग है पुरुष.
  • कुम्भ राशी का निवास जल के पास और कुम्हार के यहाँ होता है.
  • इससे सम्बंधित तत्त्व है वायु.
  • वर्ण है शुद्र.
  • इसका प्रभाव मुख्यतः खून/रक्त मे होता है.
  • ऐसे लोग धार्मिक होते हैं, शांत प्रकृति के हो सकते हैं, उत्साहित और शोध करने मे विश्वास रखते हैं.
  • ये राशी दिन मे शक्तिशाली होती है.

12 - मीन राशी –

  • इसका चिन्ह 2 मछलियाँ अपनी पूछ की तरफ देखते हुए है. राशी चक्र मे इसका स्थान बारहवा है और ३३० से ३६० डिग्री तक है.
  • मीन राशी का स्वाभाव मिश्रित होता है.
  • इसका स्वामी गुरु ग्रह है.
  • सम्बंधित रंग मिश्रित है.
  • मीन राशी की दिशा उत्तर है.
  • लिंग है स्त्री.
  • मीन राशी का निवास जल, नदी, तालाब, समुन्दर आदि मे है.
  • सम्बंधित तत्त्व जल है.
  • इसका वर्ण ब्राह्मण है
  • शारीर मे इसका प्रभाव मुख्यतः पाँव पर होता है, कफ पर भी होता है.
  • ऐसे व्यक्ति उदार और अच्छे व्यवहार के होते हैं.
  • मीन राशी रात्रि मे ताकतवर होती है.
तो इस पाठ मे हमने जाना १२ राशियों के बारे मे, उम्मीद करते हैं की इससे बहुत कुछ पाठको को लाभ हुआ होगा. जुड़े रहिये और जानते रहिये ज्योतिष के बारे मे रोज और लगातार.



अगले jyotish lesson4 में हम और जानेंगे
click to donate for astrology research
Donate Here
१२ राशियाँ वैदिक ज्योतिष मे भाग ३, बारा राशियों का स्वाभाव और प्रभाव हिंदी मे ज्योतिष द्वारा,vedic jyotish lesson 3 in hindi, 12 rashiyan aur unke swabhaav in details, how we can check zodiac by seeing he number in horoscope.

Comments

Popular posts from this blog

om kleem krishnaay namah mantra ka mahattw

om kleem krishnaya namah benefits in hindi, ॐ क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र के लाभ और अर्थ, ॐ क्लीं नमः का जाप कैसे करे, क्लीं बीज का रहस्य वशीकरण मंत्र ॐ क्लीं कृष्णाय नमः का रहस्य.  क्लीं बीज मंत्र काली देवी से संबंधित है और बहुत शक्तिशाली है। इस मंत्र के जाप से एक दिव्य आभा और आकर्षण शक्ति विकसित होती है जो दैवीय ऊर्जाओं के साथ-साथ भौतिक सुखों को आकर्षित करने में मदद करती है।  श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं और महान व्यक्तित्व, प्रेम, ज्ञान और बुद्धि के प्रतीक हैं। om kleem krishnaay namah mantra ka mahattw " ॐ क्लीं कृष्णाय नमः " एक अद्भुत मंत्र है जो जप करने वाले को सब कुछ प्रदान करने में सक्षम है और इसलिए भक्तों द्वारा दशकों से इसका उपयोग किया जाता रहा है। यह मंत्र देवी दुर्गा के साथ-साथ कृष्ण की भी शक्ति रखता है और इसलिए यह उन सभी के लिए एक दिव्य मंत्र है जो जीवन में जल्द ही सफलता चाहते हैं। "ॐ क्लीं कृष्णाय नमः" एक शक्तिशाली मंत्र है जो आंतरिक आध्यात्मिक ऊर्जा का आह्वान करता है जिसका लगातार जप किया जाता है इसलिए जो लोग आध्यात्मिक विकास चाहते हैं उनके लिए

Suar Ke Daant Ke Totke

Jyotish Me Suar Ke Daant Ka Prayog , pig teeth locket benefits, Kaise banate hai suar ke daant ka tabij, क्या सूअर के दांत का प्रयोग अंधविश्वास है. सूअर को साधारणतः हीन दृष्टि से देखा जाता है परन्तु यही सूअर पूजनीय भी है क्यूंकि भगवान् विष्णु ने वराह रूप में सूअर के रूप में अवतार लिया था और धरती को पाताल लोक से निकाला था. और वैसे भी किसी जीव से घृणा करना इश्वर का अपमान है , हर कृति इस विश्व में भगवान् की रचना है. Suar Ke Daant Ke Totke सूअर दांत के प्रयोग के बारे में आगे बताने से पहले कुछ महत्त्वपूर्ण बाते जानना चाहिए : इस प्रयोग में सिर्फ जंगली सूअर के दांत का प्रयोग होता है. किसी सूअर को जबरदस्त मार के प्रयोग में लाया गया दांत काम नहीं आता है अतः किसी भी प्रकार के हिंसा से बचे और दुसरो को भी सचेत करे. वैदिक ज्योतिष में सूअर के दांत के प्रयोग के बारे में उल्लेख नहीं मिलता है. इसका सूअर के दांत के प्रयोग को महुरत देख के ही करना चाहिए. कई लोगो का मनना है की सुकर दन्त का प्रयोग अंधविश्वास है परन्तु प्रयोग करके इसे जांचा जा सकता है , ऐसे अनेको लोग है जो अपने बच्चो

84 Mahadev Mandir Ke Naam In Ujjain In Hindi

उज्जैन मंदिरों का शहर है इसिलिये अध्यात्मिक और धार्मिक महत्त्व रखता है विश्व मे. इस महाकाल की नगरी मे ८४ महादेवो के मंदिर भी मौजूद है और विशेष समय जैसे पंचक्रोशी और श्रवण महीने मे भक्तगण इन मंदिरों मे पूजा अर्चना करते हैं अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए. इस लेख मे उज्जैन के ८४ महादेवो के मंदिरों की जानकारी दी जा रही है जो निश्चित ही भक्तो और जिज्ञासुओं के लिए महत्त्व रखती है.  84 Mahadev Mandir Ke Naam In Ujjain In Hindi आइये जानते हैं उज्जैन के ८४ महादेवो के मंदिरों के नाम हिंदी मे : श्री अगस्तेश्वर महादेव मंदिर - संतोषी माता मंदिर के प्रांगण मे. श्री गुहेश्वर महादेव मंदिर- राम घाट मे धर्मराज जी के मंदिर मे के पास. श्री ढून्देश्वर महादेव - राम घाट मे. श्री अनादी कल्पेश्वर महादेव- जूना महाकाल मंदिर के पास श्री दम्रुकेश्वर महादेव -राम सीढ़ियों के पास , रामघाट पे श्री स्वर्ण ज्वालेश्वर मंदिर -धुंधेश्वर महादेव के ऊपर, रामघाट पर. श्री त्रिविश्तेश्वर महादेव - महाकाल सभा मंडप के पास. श्री कपालेश्वर महादेव बड़े पुल के घाटी पर. श्री स्वर्न्द्वार्पलेश्वर मंदिर- गढ़ापुलिया