मोक्षदा एकादशी का महत्त्व हिंदी ज्योतिष में, क्या फायदे होते हैं जानिए, क्यों करे mokshda ekadashi ka vrat, व्रत और आसान पूजा विधि. एकादशी तिथि ११ दिसम्बर बुधवार को तडके लगभग ३:४४ AM पे शुरू होगी और १२ दिसम्बर गुरुवार को रात्री में ही लगभग १:१० AMतक रहेगी अतः उदय तिथि के अनुसार इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा। अगर कुंडली में पितृ दोष है या फिर स्वप्न में पितरो के दर्शन हो रहे हैं, या फिर जीवन में बार बार रूकावटो के कारण समस्याएं आ रही है तो मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखके पूजन करने से बहुत लाभ होते हैं. Mokshda Ekadashi ka Mahattw in Hindi ऐसी मान्यता है की इस व्रत के पुण्य से पितरो के लिए मोक्ष का रास्ता खुल जाता है और जीवन से पितृ दोष के कारन जो समस्याएं आ रही हो वो भी हट जाती है. इस दिन श्रद्धा और भक्ति से विष्णु आराधना करने से पापो से मुक्ति मिलती है. ऐसी मान्यता है की मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण के मुख से श्रीमदभगवद् गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) का जन्म हुआ था. इसीलिए मोक्षदा एकादशी के दिन ...
नाद योग ध्यान क्या है, कैसे करे नाद योग ध्यान, क्या फायदे होते हैं इस ध्यान के, कैसे उर्जित करे अपने मन मस्तिष्क और शारीर को, जानिए ध्यान की अदभुत विधि.
Nada Yoga Dhyan Ke Fayde Aur Vidhi |
इस लेख को शुरू करने से पहले ये बता दे की ये ध्यान विधि बहुत ही प्रभावकारी है और लोगो ने इस विधि का प्रयोग करके बहुत ही अश्चार्जनक बदलाव जीवन में महसूस किया है.
इस ध्यान विधि के बारे में जानने के लिए ये जरुरी है की हम खुद करे और महसूस करे इसकी शक्ति को. नाद योग ध्यान को रोज करने वाले बहुत सी परेशानियों से अनायास ही छुटकारा पा लेते हैं.
अगर इस ध्यान को रोज किया जाए तो हम एक स्वस्थ जीवन, संपन्न जीवन, सकारात्मक जीवन को जी सकते हैं.
क्या है नाद योग ध्यान ?
नाद योग भारत की अति प्राचीन ध्यान विधियों में से एक है जिसका प्रयोग यहाँ के ऋषि, मुनि, योग और जानकार लोग करते आये हैं. साधारणतः लोग इसका प्रयोग अध्यात्मिक उन्नति के लिए ही करते आये हैं परन्तु सच तो ये है की इस ध्यान के प्रभाव से संकल्प शक्ति विकसित हो जाती है और व्यक्ति सफलता पूर्वक जीवन भी जी सकता है.
आइये कुछ और जाने नाद योग के बारे में :
- शारीर और मन के शुद्धिकरण में सहायक है नाद योग ध्यान.
- शारीर में कुंडलिनी शक्ति को जगाने में भी सहायक है नाद योग ध्यान.
- इसे नाद ब्रह्म साधना या फिर गुंजन योग के नाम से भी जाना जाता है.
- इसको करने के कई तरीके है जो की विभिन्न प्रकार के साधक स्तेमाल करते हैं जरुरत के हिसाब से.
- इसको करने के लिए किसी विशेष वास्तु की आवश्यकता नहीं है.
आइये जानते हैं नाद योग ध्यान के विज्ञान को :
नाद का अर्थ है एक गूंज या फिर एक आवाज और योग का अर्थ है मिलना. अतः ये साधना का मुख्य उद्देश्य है हमारी चेतना को एक दिव्य गूँज के साथ मिला देना. अध्यात्मिक विज्ञान के हिसाब से हमारे अन्दर एक स्वतः नाद चलता रहता है और जो उसे सुन लेता है उसे फिर किसी और चीज की लालसा नहीं रहती है, ये नाद साधक को आनंदित कर देता है, उर्जा से भर देता है, अध्यात्मिक विकास करवाता है.
जब साधक नाद योग का अभ्यास करता है तो धीरे धीरे उसका मन सूक्ष्म होता जाता है और वो अंतर नाद को भी सुनने लगता है.
लगातार ध्यान के अभ्यास से हम इस ब्रह्म नाद या फिर अनहद नाद को सुन सकते हैं.
अध्यात्मिक विज्ञान के हिसाब से नाद २ प्रकार के होते हैं:
- अहद
- अनहद
अहद नाद को किसी चीज या वास्तु के द्वारा पैदा किया जाता है परन्तु अनहद नाद को किसी वास्तु की जरुरत नहीं होती है. अनहद नाद सार्वभौमिक ध्वनि है परंतु इसे कानो द्वारा नहीं सुना जा सकता है. इसे सुनने के लिए गहरे ध्यान में जाना होता है.
हमे अपने इन्द्रियों को अत्यंत सूक्ष्म करना होगा इस दिव्य संसार का अनुभव करने के लिए और शारीर के अन्दर की दुनिया को जानने के लिए.
नाद योग के द्वारा कुछ अनसुलझे पहलु को जाना जा सकता है.
नाद योग ध्यान कोई भ्रम नहीं है, एक हफ्ते के लगातार अभ्यास के द्वारा हम इसकी शक्ति को अनुभव कर सकते हैं.
आइये अब जानते हैं कैसे करे नाद योग ध्यान:
जैसा की हमने ऊपर पढ़ा की इसको करने के लिए किसी बहरी वास्तु की आवशयकता नहीं है. हम इस साधना को कहीं भी कर सकते हैं, किसी भी अवस्था में कर सकते हैं, किसी भी अवस्था में कर सकते हैं परन्तु शुरू में अगर एकांत स्थान का चुनाव करे तो इसके प्रभाव को महसूस करने में आसानी होगी.
- सबसे पहले किसी आसान, आराम दायक आसन पर बैठ जाए. आप पद्मासन में या फिर सुखासन में बैठ सकते हैं.
- अब अपने इष्ट या गुरु को याद करे और प्रणाम करके साधना की सफलता के लिए प्रार्थना करे.
- करीब ५ मिनट तक गहरी सांस ले और गहरी सांस छोड़े और मन को एकाग्र करे.
- अब अपने पुरे शारीर को ढीला छोड़ दे और आँखे बंद कर ले, कही भी तनाव न रहे.
- अपने अपने अंगूठो से दोनों कानो को बंद करे और तर्जनी ऊँगली से आँखों को ढके.
- अब एक गहरी सांस ले और अपना मूंह बंद रखते हुए ॐ की ध्वनि करे. अपने मन मस्तिष्क को इस ध्वनि में खो जाने दे. इस प्रकार लगतार करीब ३० मिनट तक नाद करते रहे और उसमे खो जाए, बाद में आप इस समय को बढ़ा भी सकते हैं.
क्या फायदे होंगे नाद योग ध्यान के द्वारा ?
इस ध्यान के सभी फायदों का वर्णन करना असंभव है परन्तु यहाँ हम इसके कुछ सांसारिक फायदे देखते हैं –
- नाद योग ध्यान के अभ्यास से हमारे शारीर के नाड़ी तंत्र खुलने लगते हैं. उर्जा सभी तरफ प्रवाहित होने लगता है.
- इसके अभ्यास से मन , मस्तिष्क और शारीर उर्जा से भर जाता है.
- शारीर और मन को शुद्ध करने में नाद योग बहुत सहायक होता है.
- पुरे शारीर के हर भाग में उर्जा प्रवाहित होने लगती है और हर भाग को जागृत कर देता है ये ध्यान.
- इससे स्मृति भी बढ़ने लगती है.
- इससे व्यक्ति अपनी सुन्दरता को भी बढ़ा सकता है.
- नाद योग ध्यान से इन्द्रियां सूक्ष्म होने लगती है और हम अपने अन्दर के सूक्ष्म संसार को भी जान सकते हैं.
- इसके अभ्यास से साधक प्रसन्न रहने लगता है, शांति से रहने लगता है.
- इसके द्वारा कुंडलिनी शक्ति को भी जगा सकते हैं.
अतः अपने जीवन को सफल बनाने के लिए शुभ महुरत से इस नाद योग ध्यान को करना शुरू करे.
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नाद योग ध्यान क्या है, कैसे करे नाद योग ध्यान, क्या फायदे होते हैं इस ध्यान के, कैसे उर्जित करे अपने मन मस्तिष्क और शारीर को, जानिए ध्यान की अदभुत विधि.
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