Guru purnima kab hai 2025, Guru Poornima Importance In Hindi, गुरु पूर्णिमा का महत्तव हिन्दी में, क्या करे गुरु पूर्णिमा को. Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा एक हिंदू त्योहार है और इस दिन हम शिक्षक और आध्यात्मिक गुरुओं का सम्मान करते हैं | यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। "गुरु" शब्द संस्कृत के शब्द "गु" से आया है जिसका अर्थ है "अंधकार" और "रु" का अर्थ है "दूर करना।" इसलिए गुरु वह होता है जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करते है और हमें सत्य का प्रकाश देखने में मदद करते है। हिंदू धर्म में, गुरु पूर्णिमा हमारे सभी जीवित और ब्र्हम्लीन गुरुओं का सम्मान करने का समय है। हम उनके मार्गदर्शन और शिक्षाओं के लिए अपना आभार व्यक्त करते हैं, और उनके निरंतर आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। गुरु पूर्णिमा पर, लोग आमतौर पर अपने गुरुओं से मिलते हैं, उनका पूजन करते हैं, उन्हें उपहार देते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं | यह उन लोगों को याद करने का दिन है जिन्होंने हमें बढ़ने और सीखने में मदद की है,...
हरियाली अमावस्या कब है 2024, कौन सी पूजाएँ फायदा देती है हरियाली अमावस्या को, जनिये सावन अमावस्या का महत्त्व, हरियाली अमावस और ज्योतिष.
वर्ष 2024 में हरियाली अमावस्या 4 अगस्त, रविवार को है। इस दिन रवि पुष्य योग भी रहेगा। अमावस्या तिथि 3 अगस्त को दोपहर लगभग 3:50 बजे शुरू होगी और 4 अगस्त को शाम लगभग 4:42 बजे समाप्त होगी।
सावन का महिना बहुत ख़ास होता है और इस महीने में पड़ने वाले अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं. ये दिन मानसून के महत्त्व को भी बताता है और हर तरफ हरियाली का प्रतिक है. हरियाली अमावस्या को इस दिन विशेषकर हिन्दू लोग अलग अलग प्रकार के कर्म काण्ड करते हैं जीवन को सफल बनाने के लिए. भक्त गण भगवान् शिव की विशेष पूजा अर्चना करते हैं श्रद्धा भक्ति से.
आइये जानते हैं की हरियाली अमावस्या को किन किन नामो से जाना जाता है?
- आन्ध्र प्रदेश में इसे “चुक्काला अमावस्या” के नाम से जाना जाता है.
- महाराष्ट्र में इसे “गटारी अमावस्या” के नाम से जाना जाता है.
- उड़ीसा में इसे “चिटालागी अमावस्या” के नाम से मनाया जाता है.
- गुजरात में इसे “दिवसो” के नाम से जाना जाता है.
- कर्णाटक में इसे “भीमाना अमावस्या” के नाम से जानते हैं.
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आइये जानते है हरियाली अमावस्या का महत्त्व:
ज्योतिष के हिसाब से अमावस को पितरो के लिए कर्म काण्ड होता है. ये दिन पितरो को समर्पित है. इस दिन लोग पितरो को प्रसन्न करने के लिए क्रियाएं करते हैं. भारत में कई जगह तो हरियाली अमावस को मनाने के लिए मेले भी लगते हैं.
कुछ ज्योतिष मानते हैं की इस दिन भगवान् शिव की पूजा से कालसर्प दोष के दुष्परिणाम कम होते हैं, ग्रहण योग का प्रभाव कम होता है, पितृ दोष का प्रभाव भी कम होता है.
हरियाली अमावस को लोग पितृ तर्पण करते हैं, दान करते हैं, पूजा करते हैं पितरो की उच्च गति के लिए और उनके आशीर्वाद के लिए.
यही नहीं विभिन्न प्रकार की अन्य पूजाएँ भी होती है हरियाली अमावस्या को :
- काले जादू से छुटकारे के लिए भी पूजायें होती है इस दिन.
- ग्रहण शांति पूजा हो सकती है इस दिन.
- अगर किसी के वैवाहिक जीवन में समस्या आ रही हो तो वो भी पूजाएँ कर सकते हैं.
- ग्रह शांति पूजाएँ भी होती है इस दिन कुंडली में मौजूद ग्रहों को देखते हुए.
- हरियाली अमावस्या को विभिन्न प्रकार के उतारे भी होते हैं बुरी नजर और बुरी शक्तियों से बचने के लिए.
- कुछ लोग वशीकरण साधना भी करते हैं.
- कुछ तांत्रिक तंत्र सिद्धि और मंत्र सिद्धि की क्रिया भी करते हैं.
- भक्तगण शिव पूजा भी करते हैं स्वास्थ्य और सम्पन्नता के लिए.
- इस दिन पीपल पूजा का भी महत्त्व है
आइये जानते है की Hariyali Amavas को ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी ?
- सूर्य अपनी सम राशि कर्क में रहेगा।
- चन्द्रमा अपनी स्वयं की राशि कर्क में रहेगा।
- मंगल अपनी सम राशि वृषभ में रहेगा।
- बुध अपनी मित्र राशि सिंह में रहेगा।
- बृहस्पति अपनी शत्रु राशि वृषभ में रहेगा।
- शुक्र अपनी शत्रु राशि सिंह में रहेगा।
- शनि अपनी स्वयं की राशि कुंभ में रहेगा।
- राहु और केतु शुभ रहेंगे।
क्या करे हरियाली अमावस को सफलता के लिए?
श्रवण महीने का एक महत्त्वपूर्ण दिन है हरियाली अमावस्या और हम इस दिन का उपयोग बहुत सी बाधाओं को हटाने के लिए कर सकते हैं.- कम से कम ४८ घंटे के लिए दीपक जलाएं अखंड शान्ति और सम्पन्नता के लिए.
- पवित्र नदियों में दीपक छोड़े पूर्वजो और उपरी शक्तियों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए.
- पितृ तर्पण करे दिवंगत आत्माओं की शांति और उच्चगति के लिए.
- शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करे शांति और सम्पन्नता के लिए.
- अगर कोई नकारात्मक उर्जा से ग्रस्त हो तो उनका उतरा भी कर सकते हैं.
- आप किसी अच्छे ज्योतिष से भी पूजाएँ करवा सकते हैं.
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