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Shree Vishnu Ashtottara Shat Naam Stotram With Hindi Meanings

Shree Vishnu Ashtottara Shat Naam Stotram With Hindi Meanings, जानिए क्या फायदे हैं श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के, विष्णु पूजा मंत्र.   "श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र"  एक दिव्य पापहारी स्तोत्र है। जो व्यक्ति प्रातःकाल इसका पाठ करता है, वह मनुष्य समस्त पापों से शुद्ध होकर भगवान् विष्णु के साथ एकाकार हो जाता है। हज़ार चान्द्रायण व्रत और सौ कन्यादानों के फल के बराबर फल प्राप्त करता है। लाखों गायों के दान का फल और अश्वमेध यज्ञों के पुण्य के बराबर फल उसे प्राप्त होता है। इसके पाठ से मनुष्य मुक्तिप्राप्ति का अधिकारी बनता है। Shree Vishnu Ashtottara Shat Naam Stotram With Hindi Meanings सुनिए YouTube में  श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र Lyrics: नारद उवाच । ॐ वासुदेवं हृषीकेशं वामनं जलशायिनम् । जनार्दनं हरि कृष्णं श्रीवक्षं गरुडध्वजम् ॥१॥ वाराहं पुण्डरीकाक्षं नृसिंहं नरकान्तकम् । अव्यक्तं शाश्वतं विष्णुमनन्तमजमव्ययम् ॥२॥ नारायणं गदाध्यक्षं गोविन्दं कीर्तिभाजनम् । गोवर्धनोद्धरं देवं भूधरं भुवनेश्वरम् ॥३॥ वेत्तारं यज्ञपुरुषं यज्ञेशं यज्ञवाहकम् । चक्रपाणिं ग...

Ashtavakra Geeta Bhaag 3

अष्टावक्र गीता भाग-3, राजा जनक को ज्ञान होने के उनके विचारों को सुनके अष्टावक्र जी ने क्या कहा ? अष्टावक्र गीता के भाग 2 में हमने जाना कि राजा जनक को ज्ञान होने के बाद उनके अंदर से किस प्रकार के विचार स्फुरित हुए उनके विचार सुनने के बाद अष्टावक्र जी राजन की स्थिति को सही तरीके से जांचना चाहते थे की कहीं राजा को बौद्धिक भ्रम तो नहीं हुआ है या फिर वास्तव में आत्मज्ञान हुआ है और इसीलिए उन्होंने कुछ प्रश्न किये और उन्हें कुछ बातें बताई जिसका वर्णन अष्टावक्र गीता के भाग 3 में दिया गया है तो आइए जानते हैं की अष्टावक्र जी क्या कहते हैं | Ashtavakra Geeta Bhaag 3 Astavakra Geeta in Hindi (Third Lesson): अद्वैत अविनाशी आत्मा को यथार्थ में पहचान करके तुझ आत्मज्ञानी धीर को धन संग्रह करने में प्रीति क्यों है? ||1|| आश्चर्य है आत्मा के अज्ञान से विषय का भ्रम होने पर वैसी ही प्रीति होती है जैसे सीपी के अज्ञान से चांदी के भ्रम में लोभ पैदा होता है ||2|| जिस आत्मा रूपी समुद्र में यह संसार तरंगों के समान स्फुरित होता है, वही मैं हूं, इस प्रकार जान करके तू क्यों दीनों की तरह दौड़ता है ? ||3|| यह स...

Ashtavakra Geeta Bhaag 2

अष्टावक्र गीता भाग-2, राजा जनक को ज्ञान होने के बाद जगत कैसा दिखा, सत्य कैसा दिखा ? इसके पहले वाले लेख में हम जान चुके हैं की अष्टावक्र जी ने राजा जनक के 3 सवालों के जवाब क्या दिए | वे तीन सवाल थे - ज्ञान कैसे होता है ?, मुक्ति कैसे होती है ?, वैराग्य कैसे होता है ?| अष्टावक्र जी ने विभिन्न उदाहरणों से राजा जनक को सत्य का ज्ञान कराया | सांसारिक विषयो की सत्यता बताई, सुख और शांति का रास्ता बताया, चित्त स्थिरता का महत्त्व बताया, वास्तविक धर्म बताया | राजा जनक की पात्रता इतनी अद्भुत थी की उपदेश सुनते हुए ही वो समाधि की अवस्था को प्राप्त हो गए | पढ़िए Ashtavakra Geeta Bhaag-1 अब आइये अष्टावक्र गीता के दुसरे अध्याय को सुनते हैं जिसमे की राजा जनक को ज्ञान होने के बाद के अनुभूति का वर्णन है |  Ashtavakra Geeta Bhaag 2 Astavakra Geeta in Sanskrit (Second Lesson): जनक उवाच –  अहो निरंजनः शान्तो बोधोऽहं प्रकृतेः परः। एतावंतमहं कालं मोहेनैव विडम्बितः॥१॥ यथा प्रकाशयाम्येको देहमेनो तथा जगत्। अतो मम जगत्सर्वम- थवा न च किंचन॥२॥ सशरीरमहो विश्वं परित्यज्य मयाऽधुना। कुतश्चित् कौशलादेव परम...

Ashtavakra Geeta Bhaag 1

अष्टावक्र गीता भाग-1, ज्ञान कैसे होता है ?, मुक्ति कैसे होती है ?, वैराग्य कैसे होता है ?, Ashtavakra Geeta lesson 1. इसके पहले वाले लेख में हम जान चुके हैं की अष्टावक्र जी का नाम कैसे पड़ा , कैसे उन्होंने पंडितो को कारागार से मुक्त कराया, कैसे वो राजा जनक के गुरु बने | आइये अब आगे बढ़ते हैं और अष्टावक्र गीता के प्रथम अध्याय की और बढ़ते हैं | अष्टावक्र गीता की शुरुआत होती है राजा जनक के 3 प्रश्न से : ज्ञान कैसे होता है ? मुक्ति कैसे होती है ? वैराग्य कैसे होता है ? इसके जवाब में अष्टावक्र जी ने राजा जनक को विभिन्न तरीके से उपदेश दिया जिसमे की उन्होंने सांसारिक विषयो को छोड़ने का कारण बताया, खुद का महत्त्व बताया, सुख और शांति का रास्ता बताया, चित्त स्थिरता का महत्त्व बताया | अष्टावक्र जी ने राजन को बताया की वो किसी से भिन्न नहीं हैं , वास्तविक धर्म क्या है ये बताया, बंधन को समझाया है| अष्टावक्र जी ने राजा जनक को अकर्ता होने का उपदेश दिया, अपने शुद्ध रूप का चिंतन करने को कहा | राजा जनक की पात्रता इतनी अद्भुत थी की गुरूजी से सुनते हुए ही वो समाधि की अवस्था को प्राप्त हो गए | तो आइये जानते ...