भूतनाथ अष्टकम्, Bhootnath Ashtakam, Powerful Shiva Prayer for blessings, Divine Mantras.
भूतनाथ अष्टकम की रचना श्री कृष्णदास जी महाराज ने की है और इसमें भगवान् शिव के गुणों और शक्तियों का गुणगान किया गया है.
जो भी निष्काम भाव से इस 'भूतनाथ अष्टकम्' का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है।
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Bhootnath Ashtakam Lyrics With Meaning in Hindi |
Lyrics of BHOOTHNATH ASHTAKAM in sanskrit :
शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम्
नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम्
घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घंन्निनादम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||1||
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कळकळकाळरूपं कल्लोळंकंकराळम्
डम डम डमनादं डम्बुरुं डंकनादम्
सम सम शक्तग्रिवं सर्वभूतं सुरेशम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||2||
रम रम रामभक्तं रमेशं रां रारावम्
मम मम मुक्तहस्तं महेशं मं मधुरम्
बम बम ब्रह्मरूपं बामेशं बं विनाशम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||3||
हर हर हरिप्रियं त्रितापं हं संहारम्
खमखम क्षमाशीळं सपापं खं क्षमणम्
द्दग द्दग ध्यानमूर्त्तिं सगुणं धं धारणम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||4||
पम पम पापनाशं प्रज्वलं पं प्रकाशम्
गम गम गुह्यतत्त्वं गिरीशं गं गणानाम्
दम दम दानहस्तं धुन्दरं दं दारुणम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||5||
गम गम गीतनाथं दूर्गमं गं गंतव्यम्
टम टम रूंडमाळं टंकारं टंकनादम्
भम भम भ्रम् भ्रमरं भैरवं क्षेत्रपाळम्
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||6||
त्रिशुळधारी संहारकारी गिरिजानाथम् ईश्वरम्
पार्वतीपति त्वम्मायापति शुभ्रवर्णम्महेश्वरम्
कैळाशनाथ सतीप्राणनाथ महाकालम्कालेश्वरम्
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ||7||
नीलकंठाय सत्स्वरूपाय सदा शिवाय नमो नमः
यक्षरूपाय जटाधराय नागदेवाय नमो नमः
इंद्रहाराय त्रिलोचनाय गंगाधराय नमो नमः
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ||8||
तव कृपा कृष्णदासः भजति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः स्मरति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पश्यति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पिबति भूतनाथम् ||9||
|| अथ श्रीकृष्णदासः विरचित 'भूतनाथ अष्टकम्' यः पठति निस्कामभावेन सः शिवलोकं सगच्छति ||
Bhoonath Ashktam का सरल अर्थ :
- शिव, शक्ति के स्वामी, संहारक रूप, शुभ स्वरूप वाले, जो नित्य नवीन तांडव नृत्य करते हैं, जिनके डमरू की ध्वनि गूंजती रहती है; जिनकी आवाज घने बादलों और घोर गर्जना जैसी है — उन भस्मधारी भूतनाथ की मैं भक्ति करता हूँ।
- काल रूप धारण करने वाले, प्रलयंकर, डमरू की डमडम ध्वनि से युक्त, शक्तिशाली कंठ वाले, समस्त जीवों में व्याप्त और देवों के अधिपति — उन भस्म से लेपे हुए भूतनाथ को मैं नमस्कार करता हूँ।
- राम भक्त, विष्णु जी के प्रिय, मुक्त हस्त वाले, महेश्वर, मधुर वाणी से युक्त, ब्रह्मस्वरूप, बामदेव रूपधारी और विनाशकारी — ऐसे भस्मलेपित भूतनाथ की मैं आराधना करता हूँ।
- हरि (विष्णु) के प्रिय, तीनों प्रकार के ताप को हरने वाले, संहारक, क्षमाशील, पापों को नष्ट करने वाले, ध्यान का स्वरूप, सगुण ब्रह्म और धारण करने योग्य — उन भूतनाथ को मैं भजता हूँ।
- पापों को नष्ट करने वाले, ज्योतिर्मय, रहस्यतत्त्व के ज्ञाता, पर्वतराज के स्वामी, गणों के नाथ, दान देने वाले हाथों वाले, राक्षसों को नाश करने वाले — उन भस्मधारी भूतनाथ को मैं भजता हूँ।
- संगीत के स्वामी, कठिन से कठिन स्थल में पहुंचने योग्य, मुंडों की माला धारण करने वाले, डमरू के टंकार से गूंजते, भ्रमणशील, भैरव रूप, क्षेत्रपाल (रक्षक) — ऐसे भस्मधारी भूतनाथ की मैं आराधना करता हूँ।
- त्रिशूलधारी, संहारक, पार्वतीपति, ईश्वर, मायापति, उज्ज्वल वर्ण वाले, कैलाशपति, सती के प्राणस्वरूप, महाकाल, काल के भी ईश्वर, सिर पर अर्धचंद्र धारण करने वाले — ऐसे शिव को मैं भजता हूँ।
- नीलकंठ, सच्चिदानंद स्वरूप, सदा शिव को नमस्कार; यक्ष रूपधारी, जटाधारी, नागराज को धारण करने वाले; इंद्रहार धारण करने वाले, त्रिनेत्रधारी, गंगा को सिर पर धारण करने वाले — ऐसे भूतनाथ शिव को मैं नमस्कार करता हूँ।
- हे प्रभु! आपकी कृपा से कृष्णदास भूतनाथ का भजन करता है, उनका स्मरण करता है, उन्हें देखता है और उनका रसपान करता है।
फलश्रुति :
जो भी निष्काम भाव से इस 'भूतनाथ अष्टकम्' का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है।
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