Guru purnima kab hai 2025, Guru Poornima Importance In Hindi, गुरु पूर्णिमा का महत्तव हिन्दी में, क्या करे गुरु पूर्णिमा को. Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा एक हिंदू त्योहार है और इस दिन हम शिक्षक और आध्यात्मिक गुरुओं का सम्मान करते हैं | यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। "गुरु" शब्द संस्कृत के शब्द "गु" से आया है जिसका अर्थ है "अंधकार" और "रु" का अर्थ है "दूर करना।" इसलिए गुरु वह होता है जो अज्ञानता के अंधकार को दूर करते है और हमें सत्य का प्रकाश देखने में मदद करते है। हिंदू धर्म में, गुरु पूर्णिमा हमारे सभी जीवित और ब्र्हम्लीन गुरुओं का सम्मान करने का समय है। हम उनके मार्गदर्शन और शिक्षाओं के लिए अपना आभार व्यक्त करते हैं, और उनके निरंतर आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। गुरु पूर्णिमा पर, लोग आमतौर पर अपने गुरुओं से मिलते हैं, उनका पूजन करते हैं, उन्हें उपहार देते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं | यह उन लोगों को याद करने का दिन है जिन्होंने हमें बढ़ने और सीखने में मदद की है,...
शिवजी से जुड़ी वस्तुओं का वैज्ञानिक महत्त्व जानिए हिंदी मे, damru ka mahattw, nagdevta ka mahattw, bilwa patra kyu khas hai, rudraksh ki shakti, ganga ka mahattw| |
मानसिक शांति, सांसारिक सफलता, अध्यात्मिक उच्च अवस्था को पाने का सबसे सरल तरीका है शिव पूजा. हिन्दू धर्म ग्रंथो के हिसाब से भगवान् शिव कण कण मे मौजूद है. शिवजी के मंदिर संसार मे सब जगह मिल जाते हैं, शिव भक्त भी पुरे विश्व मे मौजूद है.
भक्तगण शिव को अनेक नामो से पुकारते है जैसे भूतनाथ, रूद्र, नीलकंठ, मृत्युंजय, अघोरी आदि. सोमवार, शिवरात्रि, चौदस, अमावस्या आदि को इनकी विशेष पूजा की जाती है.
भक्तगण शिव को अनेक नामो से पुकारते है जैसे भूतनाथ, रूद्र, नीलकंठ, मृत्युंजय, अघोरी आदि. सोमवार, शिवरात्रि, चौदस, अमावस्या आदि को इनकी विशेष पूजा की जाती है.
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Shiv Pooja Me Kuch Vastuo Ka Mahttw |
शिव पूजा मे कई प्रकार के वस्तुओ का प्रयोग होता है जैसे बिल्व पात्र, दूध, जल, धतुरा, शहद आदि.
इसी प्रकार कई वस्तुए इनसे जुडी हुई है जैसे कड़ा, मृगछाल रुद्राक्ष, नाग, खप्पर, डमरू, गंगा, चन्द्रमा. इन सबका अपना ही महत्त्व है.
आइये जानते हैं भगवान् शिव से जुडी वस्तुओ का महत्त्व:
- बिल्वपत्र :इसमे औषधीय गुण पाए जाते हैं, ये जठराग्नि को भी पोषित करता है, पाचन क्रिया मे सहायक है और बहुत अच्छा शोधक है. शिव हमेशा ही समाधि मे रहते हैं अतः भक्त उनक बेलपत्र अर्पित करते हैं.
- मृगछाल : ऐसा माना जाता है की ये ध्यान के लिए बहुत अच्छा होता है, ये शरीर के उर्जा को धरती मे जाने से रोकता है अतः साधक को अच्छी ऊर्जा प्राप्त होती है साधना के दौरान.
- रुद्राक्ष: ये उर्जा का स्त्रोत है और शारीर मे उर्जा को बनाए रखने मे मदद करता है. ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है, अतः अनेक औषधीय गुणों से युक्त है रुद्राक्ष.
- नागदेवता : सांप कुण्डलिनी शक्ति के प्रतिक होते हैं, शारीर के अन्दर एक उर्जा का स्त्रोत जो की ध्यान द्वारा जागृत किया जाता है. योगी जन ध्यान द्वारा कुंडलिनी को जागृत करते हैं और दिव्या शक्ति को पाते हैं.
- डमरू : ऐसा माना जाता है की की डमरू की आवाज कीटाणु को मरती है अतः ये एक पवित्र वाद्य यन्त्र है. इसी कारण तपस्वी भी इसे अपने साथ रखते हैं.
- त्रिशूल : ये माँ जगदम्बा का प्रतिक है जो की शक्ति का प्रतिक हैं. त्रिशूल से माँ नकारात्मक शक्ति और बुरी शक्तियों का नाश करती है.
- गंगा: ये एक पवित्र नदी है जो की हिमालय से निकलती है, इसमे अत्यधिक वेग होता है जिसे शिवजी धारण कर लेते हैं. इसी प्रकार शिव आराधना से हम अपनी भावनाओं और वेगो को नियंत्रित कर सकते हैं.
- चन्द्रमा : ये मन का करक है जिसे शिवजी नियंत्रित करते हैं. अतः शिव आराधना से हम अपने मन को भी नियंत्रित कर सकते हैं जो की इधर उधर भागता रहता है.
आइये अब जानते हैं कुछ शिव मंत्रो के बारे मे :
शिवजी से जुड़ी वस्तुओं का वैज्ञानिक महत्त्व जानिए हिंदी मे- “ॐ नमः शिवाय”, ये शिवजी का पंचाक्षरी मंत्र है.
- “ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं ”, ये अष्टाक्षर मंत्र है.
- “ॐ नमो भगवते रुद्राय”, ये शिवजी का दशाक्षर मंत्र है.
- “ॐ हौं जूं सः”, ये त्रयक्षर मृत्युंजय मंत्र है शिवजी को प्रसन्न करने के लिए.
आइये अब जानते हैं शिव आराधना से क्या लाभ मिल सकते हैं?
- शिवजी की पूजा से स्वास्थय सम्बंधित परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है.
- रूद्र पूजा से नकारात्मक उर्जा से बचाव होता है.
- शिव की कृपा से जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है.
- सांसारिक सफलता के लिए भी शिव पूजा सरल मार्ग है.
भगवान् शिव की कृपा से सभी शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य और संपत्ति प्राप्त करे यही कामना.
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