Sri Anantha Padmanabha Stotram Ke Fayde aur Lyrics, अनन्तपद्मनाभ मङ्गल स्तोत्रम् के लाभ, ईच्छा पूरी करने वाला दिव्य स्त्रोत्रम. श्री अनन्तपद्मनाभ मङ्गल स्तोत्रम् श्री महाविष्णु को समर्पित है, जो हजार फन वाले सांप की शैय्या पर लेटे हुए हैं। जो भक्त इस स्त्रोत्रम का पाठ करता है, वह दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्राप्त करता है और उसे परमज्ञान की प्राप्ति होती है। Sri Anantha Padmanabha Stotram Ke Fayde aur Lyrics श्री अनन्तपद्मनाभ मङ्गल स्तोत्रम् पाठ के लाभ: इसके पाठ से जातक खोई हुई संपत्ति वापस पा सकता है. इसके पाठ से दंपत्ति को वैवाहिक सुख प्राप्त होता है और सुखी जीवन जीने में मदद मिलती है। इसके पाठ से शरीर और मन शुद्ध होते हैं. पूर्ण भक्ति और ईमानदारी के साथ श्री अनन्तपद्मनाभ मङ्गल स्तोत्रम् का पाठ करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. सुनिए YouTube में Lyrics of Sri Anantha Padmanabha Mangala Stotram: श्रियःकान्ताय कल्याणनिधये निधयेऽर्थिनाम् । श्री शेषशायिने अनन्तपद्मनाभाय मङ्गलम् ॥ १ ॥ स्यानन्दूरपुरीभाग्यभव्यरू...
संतान होने में बाधा कब आती है, Santan Yog Calculation, kundli me kaun se yog santan me badha utpann karte hain, संतान होने में विलम्ब क्यों होता है ज्योतिष अनुसार जानिए.
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Santan Hone Mai Badha Kab Aati Hai |
ज्योतिष से अक्सर कुछ सवाल दम्पत्तियो द्वारा पूछे जाते हैं –
- क्या मेरे कुंडली में संतान योग है ?
- यदि संतान योग है तो पुत्र है या पुत्री या दोनों ?
- क्या मेरी संतान मेरा ख्याल रखेंगी ?
- क्या मेरे बच्चे मुझसे प्रेम करते है ?
- क्या मेरे बच्चे की शिक्षा अच्छी होगी ?
- जन्मकुंडली में कौन सा भाव संतान भाव है ?
- जन्मकुंडली में कौन है संतान कारक ग्रह ?
- santan hone me deri hyu ho rahi hai?
इस लेख में आप इन सभी सवालो के जवाब जानेंगे वैदिक ज्योतिष से और अपना ज्योतिष ज्ञान बढ़ा पाएंगे.
सबसे पहले ये जाने की ज्योतिष अनुसार जो ग्रह संतान का कारक है वो है गुरु/ बृहस्पति जिसे अंग्रेजी में जुपिटर भी कहते हैं. इस ग्रह के अध्ययन से हम ये जान सकते है की संतान की स्थिति कैसी होगी, वे सुख देंगे की नहीं, उनके साथ सम्बन्ध कैसे रहेंगे आदि.
परन्तु सिर्फ गुरु का ही अध्ययन काफी नहीं है, इसके साथ पंचम भाव, पंचमेश, नवं भाव, नवमेश आदि का अध्ययन भी किया जाता है.
आइये जानते है इस सवाल का जवाब “क्या मेरे कुंडली में संतान योग है ?
- यदि जातक के जन्मकुण्डली में पंचम भाव शक्तिशाली हो और साथ ही पंचमेश बली हो या उच्च को हो या मित्र राशि का हो तो निश्चिंत रहिये, संतान सुख है.
- अगर पंचमेश शुभ का होके सप्तम भाव, भाग्य स्थान अर्थात नवम भाव में बैठ जाए तो और निश्चिन्त हो जाइए, संतान बाधा बिलकुल भी नहीं रहेगी.
- और जानिए कैसे मजबूत होता है संतान योग. अगर पंचम भाव को लग्न से कोई शुभ ग्रह देखे और पंचम भाव का स्वामी वही मौजूद रहे या फिर पंचम भाव का स्वामी शुभ का होक उसे पूर्ण दृष्टि से देखे तो भी संतान भाव मजबूत होता है.
- यदि जातक के कुंडली में गुरु बलवान हो और पंचम भाव शुभ हो या फिर पंचम भाव का स्वामी भी शुभ हो तो ऐसे जातक की संतान उसका ख्याल रखती है.
- अगर सप्तम भाव का स्वामी शुभ का हो के पंचम भाव में बैठे और पंचम भाव का स्वामी सप्तम भाव में शुभ का होक बैठ जाए तो भी जातक के संतान योग मजबूत हो जाते हैं.
- जब जन्मकुंडली के ग्यारहवे भाव में शुभ ग्रह बैठे तो भी संतान होने के योग को बढ़ा देते हैं.
- अगर पंचम भाव में शुभ का गुरु बैठे और बली भी हो तो संतान ज्ञानी होती है.
- इसी के साथ अगर नवं भाव भी शुभ ग्रहों से युक्त हो तो उत्तम संतान योग बनेगा.
संतान होने में विलम्ब क्यों होता है या फिर संतान बाधा कब उत्पन्न होती है ज्योतिष अनुसार जानिए:
कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देख के हम ये जन सकते हिं की संतान उत्पत्ति में विघ्न कब आता है. ज्योतिषी इन्ही को देखते हुए भविष्यवाणी करते हैं. आइये कुछ योग देखते हैं -
- अगर संतान भाव में कोई पाप ग्रह बैठा हो तो ऐसे में बच्चा होने में समस्या आती है दंपत्ति को.
- अगर ख़राब राहू कुंडली के पांचवे, नवे या लग्न में बैठा हो तो संतति में बाधा उत्पन्न करता है.
- अगर संतान भाव का स्वामी कुंडली के छठे, आठवे या बारहवे भाव में बैठे हो तो ऐसे में भी दंपत्ति को समस्या आ सकती है.
- अगर पाप ग्रह जातक के पांचवे भाव को देखे तो भी समस्या उत्पन्न करता है.
आइये अब जानते हैं की गर्भाधान कब करना चाहिए ज्योतिष अनुसार:
अच्छी संतान, स्वस्थ संतान के लिए ज्योतिष में गर्भाधान के बारे में भी विस्तार से वर्णन मिलता है, अगर पति पत्नी इस का ज्ञान रखे तो निश्चित ही अच्छी और स्वस्थ संतान के योग बढ़ जाते हैं.
गर्भाधान का विचार जब किया जाता है तो स्त्रियों के रोजोधर्म का अध्ययन एक महत्त्वपूर्ण विषय है. मासिक धर्म शुरू होने से १६ रात्रियो को ऋतुकाल कहा जाता है. जिसमे पहले के 4 रातो को छोड़ा जाता है. इसमें संतान के लिए प्रयास करना मना है. 4 रात्रियों के बाद जो १२ रात्रियाँ मिलती है उसमे अगर दंपत्ति प्रयास करे तो संतान होने के योग अच्छे बनते हैं.
अब एक और महत्त्वपूर्ण बात जो लोगो के दिमाग में आती है की कुछ को पुत्र की इच्छा होती है और कुछ को पुत्री की आकांक्षा होती है.
- इसके लिए इस बात को ध्यान में रखना चाहिए की अगर संतान के लिए दोनों 6, 8, 10, 12, 14, 16 रात्रि को करे तो पुत्र होने के योग बढ़ जाते हैं.
- और यदि 5, 7, 9, 11, 13, 15 रात्रियो में कोशिश करे तो पुत्री के योग बढ़ जाते हैं.
इसी के साथ अगर ज्योतिष से महूरत या योग की जानकारी कुंडली दिखा के ले तो आपको और ज्यादा सफलता मिल सकती है स्वस्थ और अच्छी संतान होने में.
अगर मेडिकल जांच के बाद भी, सारे प्रयास के बाद भी संतान होने में समस्या आ रही हो तो ज्योतिष से सलाह लेना उचित होता है, ज्योतिष गर्भाधान के लिए पति और पत्नी दोनों के पंचमेश का अध्ययन करके भी ये पता लगा सकते हैं की संतान होने में क्या बाधा आ रही है.
संतान होने में बाधा कब आती है, Santan Yog Calculation, kundli me kaun se yog santan me badha utpann karte hain, संतान होने में विलम्ब क्यों होता है ज्योतिष अनुसार जानिए.
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