Sri Anantha Padmanabha Stotram Ke Fayde aur Lyrics, अनन्तपद्मनाभ मङ्गल स्तोत्रम् के लाभ, ईच्छा पूरी करने वाला दिव्य स्त्रोत्रम. श्री अनन्तपद्मनाभ मङ्गल स्तोत्रम् श्री महाविष्णु को समर्पित है, जो हजार फन वाले सांप की शैय्या पर लेटे हुए हैं। जो भक्त इस स्त्रोत्रम का पाठ करता है, वह दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्राप्त करता है और उसे परमज्ञान की प्राप्ति होती है। Sri Anantha Padmanabha Stotram Ke Fayde aur Lyrics श्री अनन्तपद्मनाभ मङ्गल स्तोत्रम् पाठ के लाभ: इसके पाठ से जातक खोई हुई संपत्ति वापस पा सकता है. इसके पाठ से दंपत्ति को वैवाहिक सुख प्राप्त होता है और सुखी जीवन जीने में मदद मिलती है। इसके पाठ से शरीर और मन शुद्ध होते हैं. पूर्ण भक्ति और ईमानदारी के साथ श्री अनन्तपद्मनाभ मङ्गल स्तोत्रम् का पाठ करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. सुनिए YouTube में Lyrics of Sri Anantha Padmanabha Mangala Stotram: श्रियःकान्ताय कल्याणनिधये निधयेऽर्थिनाम् । श्री शेषशायिने अनन्तपद्मनाभाय मङ्गलम् ॥ १ ॥ स्यानन्दूरपुरीभाग्यभव्यरू...
श्राद्ध से सम्बंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य, तर्पण में उपयोग होने वाले वस्तुए, गोत्र का महत्तव , पितरो को प्रसन्न करने का सही समय, तर्पण के लिए 7 मुख्य स्थल.
श्राद्ध अर्थात पितृ पक्ष या फिर महालया जो की 16 दिनों का विशेष समय होता है जब पितृ गण अपने परिवार को आशीर्वाद देने आते हैं. अतः इस समय कोई भी व्यक्ति बहुत आसानी से अपने जीवन को निष्कंटक कर सकता है और उन्नति के रस्ते खोल सकता है.
भारत के ऋषि मुनियों ने अपने तपोबल से आत्माओं के अस्तित्तव को दिखाया है और पूरी दुनिया आज आत्माओं के अस्तित्व को मानती है. अतः हम पितृ पक्ष को एक अंधविश्वास नहीं मान सकते हैं. ये भी सत्य है की हम अगर है तो वो सिर्फ हमारे पितरो के कारण और हमे ये भूलना नहीं चाहिए. भारत में तो हर मुख्य कार्य से पहले पितरो को पूजने का भी नियम है. उनके आशीर्वाद के बिना कोई कार्य संभव नहीं है.
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Shraadh Se Sambandhit Kuch Tathya In Hindi |
भारत के ऋषि मुनियों ने अपने तपोबल से आत्माओं के अस्तित्तव को दिखाया है और पूरी दुनिया आज आत्माओं के अस्तित्व को मानती है. अतः हम पितृ पक्ष को एक अंधविश्वास नहीं मान सकते हैं. ये भी सत्य है की हम अगर है तो वो सिर्फ हमारे पितरो के कारण और हमे ये भूलना नहीं चाहिए. भारत में तो हर मुख्य कार्य से पहले पितरो को पूजने का भी नियम है. उनके आशीर्वाद के बिना कोई कार्य संभव नहीं है.
पूजा में गोत्र का महत्तव:
किसी भी पूजा को करने पर नाम के साथ गोत्र का उच्चारण किया जाता है जो की हमारे कुल को बताता है और हमारे कुल से जुड़े आदि ऋषि के बारे में बताता है. अतः पूजा से पहले हम अपने आदि ऋषि और पुरे कुल को याद करते हैं, उस परंपरा को याद करते हैं जिनसे हम जुड़े हैं.
श्राद्ध से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
श्राद्ध का एक रहस्य ये भी है की जो व्यक्ति अपने पूर्वजो के लिए अनुष्ठान करते हैं वो न केवल अपने पितरो को संतुष्ट करते हैं बल्कि दुसरे आत्माओं को भी प्रसन्न करते हैं. क्यूंकि मंत्र शक्ति और अनुष्ठानो से जो ऊर्जा का निर्माण होता है वो सभी के लिए कल्याणकारी होता है. अतः अपने द्वारा किये गए अनुष्ठानो को साधारण न समझे.
कोई भी अनुष्ठान जो की सकारात्मक रूप से किया जाए तो वो जीवनी शक्ति को बढ़ाती है और सफलता के रास्ते खोलती है सभी के लिए.
कौन सा समय पितरो की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है:
हांलाकि पुरे साल अमावस्या में पितरो की पूजा होती है परन्तु ये जो 16 दिन है महालया के ये पितृ कृपा प्राप्त करने के सर्वश्रेष्ठ दिन हैं. ये समय भाद्रपद पूर्णिमा को शुरू होता है और आश्विन माह के अमावस्या तक चलता है हिन्दू पंचाग के अनुसार. इस समय सूर्य कन्या राशि से गुजरता है.
इन सोलह दिनों में कोई भी व्यक्ति अपने पितरो की कृपा के लिए प्रयोग कर सकता है.
पितरो की दिशा:
पितरो की पूजा के लिए नैऋत्य कोण शुभ माना जाता है अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा, ये दिशा पितरो की दिशा मानी जाती है.
आइये जानते हैं श्राद्ध पक्ष में दी जाने वाली पंचबली :
श्राद्ध कर्म के लिए दिन का समय शुभ होता हैं और पवित्र होक क्रियाओं को करना चाहिए. भोजन बना के उसमे से भगवान्, गौ माता, कुत्ता, कौआ और चीटियों के लिए भोजन निकला चाहिए. इसे ही पंच्बली कहते हैं. इसके अलावा किसी ब्राह्मण को भी भोजन, दक्षिणा, वस्त्र आदि से संतुष्ट करना चाहिये और आशीर्वाद लेना चाहिए.
इसके अलावा तर्पण करना नहीं भूलना चाहिए.
आइये जानते हैं की पितृ पक्ष में तर्पण में क्या चीजे प्रयोग में आती हैं:
तर्पण के लिए काला तिल, अक्षत/चावल, दूध, जौ, सफ़ेद फूल, गंगा जल, कुशा आदि का प्रयोग सामान्यतः होता है. इनका प्रयोग करके मंत्रो के साथ तर्पण किया जाता है जिससे की पितृ गण प्रसन्न होते हैं.
आइये जानते हैं तर्पण के लिए 7 प्रमुख स्थल कौन से हैं :
वैसे तो तर्पण कही भी किया जा सकता है परन्तु नदी तट विशेष रहते हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे तीर्थ हैं जहा पर अनुष्ठान बहुत पुण्यशाली माने जाते हैं-
- अयोध्या जहा पर श्री राम का मंदिर है.
- मथुरा जो की कृष्ण का शहर है.
- हरिद्वार जो की गंगा किनारे हैं.
- काशी जो की विश्वनाथ की नगरी है.
- कांछी जो की तमिलनाडु में है.
- उज्जैन जो की माँ क्षिप्रा के तट पर है और महाकाल की नगरी है.
- जगन्नाथपुरी
अतः पितरो की प्रसन्नता के लिए अनुष्ठान करे और जीवन को धन्य बनाए, सफल बनाए.
सभी की उन्नति हो, सभी का कल्याण हो, सभी का मंगल हो.
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