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Malmaas/Adhik Maas Ka Mahattw jyotish anusar

malmaas kab se lagega, मलमास/ पुरुषोत्तम मास/ अधिक मास का महत्त्व ज्योतिष अनुसार, क्या करे मलमास में जीवन को सुखी करने के लिए, कौन से कार्य करे, कौन से नहीं इस समय, किस भगवान् की पूजा करे?, जानिए उज्जैन में मौजूद ७ सगरो के बारे में |

१६ दिसम्बर २०२२ से 14 जनवरी २०२३ तक रहेगा मालमास या खरमास |

malmaas kab se lagega, मलमास/ पुरुषोत्तम मास/ अधिक मास का महत्त्व ज्योतिष अनुसार, क्या करे मलमास में जीवन को सुखी करने के लिए, कौन से कार्य करे,
mal maas ka mahatta in hindi

मलमास कैसे बनता है ? :

हिन्दू पंचाग अनुसार हर ३ साल में एक बार अधिक मास आता है जो की एक खगोलीय घटना है| एक साल में १२ संक्रांति आते हैं और इसी कारण १२ महीने बनते हैं परन्तु सूर्य और चन्द्र मास में ११ दिनों का अंतर होता है | यही अतिरिक्त दिन मिलके एक नया महिना बना देते हैं जिसे की मलमास/ पुरुषोत्तम मास/ अधिक मास कहा जाता है |

  1. अगर किसी महीने में २ सूर्य संक्रांति आ जाए तो उसे क्षय मास कहा जाता है |
  2. जब भी सूर्य गुरु के राशि धनु या मीन में रहते हैं तब मल मास रहता है जिसे खर मास भी कहते हैं |
ये भी देखा गया है की जब भी खरमास होता है तब मौसम में बड़े बदलाव होते हैं | कभी धुंध, कभी बारिश, कभी तेज ठण्ड आदि इसीलिए इस समय अपनी खाने पीने और व्यायाम का विशेष ध्यान रखना चाहिए | बजार में भी काफी उतार चढ़ाव देखने को मिलता है |

आइये जानते हैं की पौराणिक मान्यता के अनुसार पुरुषोत्तम मास का महत्त्व :

पौराणिक मान्यता अनुसार ये अतिरिक्त दिनों से मिलके बना है अतः इसका कोई विशेष देवता से सम्बन्ध नहीं है अतः ये महिना भगवान् विष्णु को समर्पित है | इसी कारण इसे पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा |

वैष्णव मंदिरों में इस महीने में बहुत से आयोजन किये जाते हैं| इस महीने में कोई शुभ कार्य नहीं किये जाते परन्तु धार्मिक कार्य बहुत किये जाते हैं|

उज्जैन में पुरुषोत्तम मास:

धार्मिक नगरी उज्जैन में पुरुषोत्तम मास बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हर वैष्णव मंदिर में पूरे महीने उत्सव मनाया जाता है, वैष्णव मंदिर में इस महीने में अन्नकूट का आयोजन होता है |

एक बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि उज्जैन में 'सप्त सागर' हैं जहाँ भक्त केवल इस पुरुषोत्तम मास में पूजा करते हैं।

आइये जानते हैं उज्जैन के सप्त सागरों के बारे में :

  1. क्षीर सागर- ये क्षीर सागर स्टेडियम के पास ही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस सागर को 'खीर का सागर' के रूप में जाना जाता है। इस सागर पर स्नान करने से यह कहा जाता है कि जीवन में समृद्धि और वृद्धि होती है।
  2. श्री पुष्कर सागर- यह नलिया बाखल क्षेत्र में है, अब इस सागर के चारों ओर एक बड़ी कॉलोनी का निर्माण हो चुका है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर पूजा करने से नैमिषारण्य की पूजा करने का फल मिलता है। यहां पूजा करने से संतान वृद्धि होती है।
  3. रुद्र सागर- रुद्र सागर महाकाल मंदिर के ठीक पीछे है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ पहले 4 सागर आए थे। यहां पूजा बहुत शुभ मानी जाती है । यहां पूजा करने से संतान की बाधा दूर होती है।
  4. गोवर्धन सागर- गोवर्धन सागर नगरकोट माताजी के पास है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पूजा करने से गरीबी दूर होती है। समृद्धि हर तरह से आती है।
  5. रत्नाकर सागर जिसे उंडासा तालाब के नाम से भी जाना जाता है- यह मक्सी रोड पर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह सागर बहुत ही चमत्कारी सागर था। प्राचीन समय में इस सागर से कीमती पत्थर निकलते थे । देवी लक्ष्मी यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
  6. विष्णु सागर- यह अंकपात मार्ग में मौजूद है। पौराणिक कथाओं के अनुसार विष्णु सागर का अपना आध्यात्मिक महत्व है। भक्त यहाँ पितरों को शांति हेतु और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाने के लिए यहां पूजन करते हैं |
  7. पुरुषोत्तम सागर- यह अंकपात दरवाजा के पास है और भगवान् विष्णु की कृपा प्राप्त करने हेतु यहाँ सभी पूजन करते हैं |

ऐसी मान्यता है की पुरुसोत्तम मास में जो उज्जैन नगरी के इन सात सागरों पे पूजन करते हैं उन्हें भगवान् विष्णु की कृपा से शारीर छोड़ने के पश्चात मोक्ष को प्राप्त करता है |

तो देखा जाए तो मल मास भगवान विष्णु की पूजा का महीना है। यह भगवान विष्णु की कृपा का पाने का महिना है। यह जीवन और मृत्यु के बाद के जीवन में सफलता पाने के लिए मार्ग खोलता है |

मलमास में पूजा पाठ, व्रत, उपासना, दान और साधना को सर्वोत्तम माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मलमास में भगवान का स्मरण करना चाहिए. अधिक मास में किए गए पूजा, दान आदि का कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है. इस मास को आत्म शुद्धि से भी जोड़कर देखा जाता है. अधिक मास में व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए भी प्रयास करने का समय मिलता है जब कोई भी आत्म चिंतन करते हुए कल्याण के मार्ग में अग्रसर हो सकता है |

पढ़िए क्या करे अधिक मास में भगवान् विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए >>

आइये जानते हैं 2022 में मल मास कब आ रहा है :

मलमास 16 दिसम्बर से 14 जनवरी  तक रहेगा |

आइये जानते हैं की मलमास में किन कार्यों को नहीं करना चाहिए:

मलमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं जैसे शादी, मकान बनवाना, उत्सव, गृह प्रवेश, मुंडन, उद्द्यापन, कर्णवेध, यज्ञोपवित  आदि |

हम अपनी कुंडली अनुसार भी ये जान सकते हैं की मल मास में हमे किस तरह की पूजाएँ करनी चाहिए, किन चीजो का दान करना चाहिए, कौन से अनुष्ठान करने चाहिए जिसके लिए आप ज्योतिष से संपर्क कर सकते हैं |

आइये जानते हैं किन कार्यो को कर सकते हैं खर मास में ?

  • अगर आपको नए कपड़े खरीदने हो तो खरीद सकते हैं |
  • रोजमर्रा की जरुरत की चीजे खरीदी जा सकती है |
  • रत्न आभूषण खरीद सकते हैं परन्तु इन्हें धारण खर मास के बाद करना चाहिए |

मलमास/ पुरुषोत्तम मास/ अधिक मास का महत्त्व ज्योतिष अनुसार, क्या करे मलमास में जीवन को सुखी करने के लिए, कौन से कार्य करे, कौन से नहीं इस समय, किस भगवान् की पूजा करे?, purushottam maas, जानिए उज्जैन में मौजूद ७ सगरो के बारे में | 

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